आरटीआइ में जवाब न मिलने पर राज्य सूचना कमिशन के पास पहुंची शिकायतें
राज्य में सूचना अधिकार एक्ट को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ रही है।
साहिल गर्ग, ब¨ठडा : राज्य में सूचना अधिकार एक्ट को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ रही है। यही कारण है कि मांगी गई जानकारी समय पर मुहैया न करवाए जाने के कारण राज्य सूचना कमिशन के पास शिकायतों की गिनती लगातार बढ़ रही है। अगर राज्य सूचना कमिशन के आंकड़ों को देखा जाए तो पता लगता है कि साल 2005 में सूचना अधिकार एक्ट लागू होने के बाद पहले साल स्टेट इंफोरमेशन कमिशन के पास सिर्फ 20 शिकायतें ही पहुंची थी। मगर अब इनका धीरे-धीरे आंकड़ा बढ़ रहा है। जबकि लोग तो यहां तक जागरूक हो गए हैं कि अगर पहली अपीलेंट अथॉरिटी जवाब नहीं देती तो वह इसकी शिकायत कर देते हैं।
साल 2010 के बाद साल 2017 तक कमिशन के पास सुनवाई के लिए 62 हजार 732 आवेदन पहुंचे, जिसमें से कमिशन ने 47 हजार 745 केसों का निपटारा कर दिया। जबकि 14 हजार 987 केस पें¨डग रह गए हैं। साल 2018 के 10 महीनों में कमिशन के पास ऐसे 4658 आवेदन पहुंचे थे, जिसमें से करीब 4500 आवेदनों का निपटारा हो चुका है। साल 2010 में 6402 आवेदनों में से 5522 का निपटारा किया गया, जबकि 880 पें¨डग हैं। साल 2011 में कमिशन के पास आई कुल आवेदन 6159 में से 4870 का निपटारा हुआ, साल 2012 में 6956 में से 5413 निपटारा हुआ, साल 2013 में 8609 आवेदन में से 7125, साल 2014 में कुल 8596 में से 6641, साल 2015 में कुल 9063 में से 6670, साल 2016 में 8700 में से 5868 व साल 2017 में कमिशन के पास कुल 8947 आवेदन में से 5636 का निपटारा किया गया, जबकि 2411 आवेदन पें¨डग रह गए हैं।
लोग हो गए हैं जागरूक
आरटीआई कार्यकर्ता हरमिलाप ग्रेवाल का कहना था कि विभिन्न विभागों के अधिकारी आरटीआई का जवाब देने से दूरी बना लेते हैं, जिस कारण बहुत से लोग राज्य सूचना कमिशन तक पहुंच नहीं कर सकते। उनका कहना था कि मगर अब लोग काफी जागरूक हो चुके हैं, अगर पहली अपीलेंट अथॉरिटी आरटीआई का जवाब नहीं देती तो फिर लोक राज्य सूचना कमिशन तक पहुंच करते हैं। जबकि बहुत से विभागों के लोक संपर्क अधिकारी आरटीआईज का जवाब नहीं दे रहे।
साल 2018 में आए आवेदन
जनवरी- 402
फरवरी- 605
मार्च- 430
अप्रैल- 196
मई- 509
जून- 561
जुलाई- 449
अगस्त- 446
सितंबर- 571
अक्टूबर- 489