मानसून आते ही लोगों को डराने लगी हैं शहर की जर्जर इमारतें
महानगर में बड़ी गिनती में कर्मचारी व उनके परिवारों के लोग खस्ताहाल इमारतों में काम करने और रहने के लिए मजबूर हैं।
सुभाष चंद्र, बठिडा
महानगर में बड़ी गिनती में कर्मचारी व उनके परिवारों के लोग खस्ताहाल इमारतों में काम करने और रहने के लिए मजबूर हैं। हालांकि नगर निगम की ओर से अपनी शहर की खस्ताहाल बिल्डिगों को स्टोर में तब्दील कर दिया गया है। लेकिन, इसके कई अन्य विभागों की कई बिल्डिगें जर्जर होने के बावजूद वहां पर न केवल दफ्तर चलाए जा रहे हैं, बल्कि उनका इस्तेमाल आवास के रूप में भी किया जा रहा है। सर्वाधिक बुरा पुलिस विभाग के लाल सिंह बस्ती स्थित क्वार्टरों और थाना सदर की बिल्डिग है। लाल सिंह बस्ती स्थित करीब 300 क्वार्टर हैं, जोकि 35 साल पुराने बताए जा रहे हैं। अधिकतर क्वार्टरों में कर्मचारी रह रहे हैं। पुलिस कर्मियों के अनुसार बरसात के दिनों में चिता सताने लगती है। कई क्वार्टरों की छतों में पानी टपकने लगता है। कई बार किसी न किसी क्वार्टर की दीवार या बनेरा भी गिर जाता है। उनके अनुसार यहां पर रहने को मन तो नहीं करता, लेकिन मजबूरी में रहना पड़ रहा है। कई बार क्वार्टरों की खस्ता हालत आला अधिकारियों के ध्यान में भी लाई गई है, लेकिन इसके बावजूद इस दिशा में कुछ हो नहीं रहा है। जर्जर हालत में पुलिस क्वार्टर और थाना सदर
पुलिस के इन क्वार्टरों से बुरी हालत पुराना सदर थाना की है। इस बिल्डिग को असुरक्षित भी घोषित किया जा चुका है। परंतु इसके बावजूद बरसों से यहां पर थाना सदर और सीआइए स्टाफ चल रहा है। बरसातों में सबसे अधिक मार इसी थाने को पड़ती है। शहर का सबसे नीचा इलाका होने के कारण न केवल आसपास की सड़कें दो से तीन फीट पानी में डूबकर रह जाती हैं, बल्कि थाने की बिल्डिग में भी पानी भर जाता है। यहां हर समय तीन दर्जन से अधिक पुलिस कर्मचारी काम करते रहते हैं। हालांकि अब कुछ समय पहले इस थाने की बीड़ तालाब रोड पर नई बिल्डिग का निर्माण होने लगा है, लेकिन तब तक यहीं पर थाना चलता रहेगा। यहां पर काम करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि मानसून के दिनों में यहां काम करते हुए बहुत डर लगता है। बरसात का पानी भरने से काम करना मुश्किल होकर रह जाता है। आला अधिकारी थाने की खस्ता हालत से बहुत अच्छी तरह से वाकिफ हैं, परंतु फिर जान जोखिम में डालकर काम करने को मजबूर हैं। सरकारी कॉलेज का ब्वायज होस्टल व स्कूल
ऐसी ही स्थिति सरकारी राजिदरा कॉलेज के ब्वायज होस्टल की है। हालांकि खस्ताहाल बिल्डिग होने के कारण बेशक बहुत कम विद्यार्थी यहां पर ठहरते हैं, लेकिन फिर भी कुछ विद्यार्थियों को यहां रहना ही पड़ता है। शहर के अनेक सरकारी स्कूल अभी भी इसी तरह की जर्जर इमारतों में चल रहे हैं। हालांकि क्षेत्र के विधायक एवं राज्य के वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल के प्रयासों से काफी स्कूलों की नई बिल्डिगों का निर्माण हो रहा है। लेकिन जब तक यह निर्माण कार्य मुकम्मल नहीं हो जाता, तब तक पुरानी बिल्डिगों में ही कक्षाएं लगेंगी। बेशक इस बार का मानसून कोरोना संक्रमण काल की वजह से स्कूल बंद होने के कारण सुरक्षित निकल जाएगा। ऐसे स्कूलों में प्रमुख रूप से संजय नगर का सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, नरुआना रोड स्थित सरकारी प्राइमरी स्कूल, जनता नगर स्थित सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, चंदसर बस्ती, संगूआना बस्ती तथा हाजी रत्न के सरकारी प्राइमरी स्कूलों की बिल्डिगें प्रमुख रूप से शामिल हैं। डीसी सहित तमाम अधिकारी भी अनुपयुक्त बिल्डिगों में
बीएंडआर विभाग की ओर से शहर में 1954 में कुल 84 बिल्डिगों का निर्माण किया गया था। इन कुल बिल्डिगों में से 10 इमारतों को असुरक्षित घोषित किया गया है। बाकी बची इमारतों को लगातार रखरखाव के चलते डीसी, एसएसपी से लेकर जिला प्रशासन ौर ज्यूडिशियरी के अधिकारी रह रहे हैं। इन तमाम रिहायशी बिल्डिगों को बीएंडआर विभाग ने बेशक असुरक्षित तो घोषित नहीं किया है, लेकिन अनुपयुक्त जरूत घोषित किया हुआ है। इसीलिए ही अब इन सब अधिकारियों का निवास थर्मल प्लांट की कॉलोनी में तब्दील किया जा रहा है।