प्रदूषित हो रहे शहर में बढ़ रही दमा व खांसी के मरीजों की गिनती
एक-दो दिनों में होने वाली बारिश के बाद ही पराली के धुएं से राहत मिल सकेगी।
जागरण संवाददाता, बठिडा : जिले में पराली जलाने के मामले बेशक पिछले साल की बजाय घटे हैं, लेकिन इस बार हरियाणा की दूषित हवा ने शहर के वातावरण को पूरी तरह से बिगाड़ कर रख दिया है। मौसम विभाग के अधिकारियों की मानें तो एक-दो दिनों में होने वाली बारिश के बाद ही पराली के धुएं से राहत मिल सकेगी।
बता दें कि रविवार तक जिले में पराली जलाने के करीब 1400 मामले सामने आए हैं, जिसमें 207 किसानों के चालान काटकर उन्हें 6,50,000 रुपये का जुर्माना भी किया गया है। किसानों की जमीनों को रेडलाइन करने के लिए संबंधित विभाग के अधिकारियों को रिपोर्ट भी भेज दी है। अगर हालात पर काबू नहीं पाया गया तो आने वाले 5-7 दिन तक हालात इससे भी बद्तर होने की आशंका है। दूसरी तरफ रविवार को दिनभर बादल छाए रहे व सुबह हल्की धूप निकलने के बावजूद बठिडा का प्रदूषण लेवल 283 दर्ज किया गया।
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि जिले में 41 कोऑर्डिनेटरों की अगुवाई में टीमों का गठन किया गया है। इसमें खेतीबाड़ी विभाग, भूमि विभाग, पुलिस, जिला प्रशासन व कई अन्य विभागों के अधिकारी शामिल हैं। टीमें कार्रवाई के साथ ही किसानों को जागरूक भी कर रही हैं। रविवार को जिले में हवा का स्तर सामान्य से सात गुणा खराब था। नेशनल प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के मानक के हिसाब से एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 0 से 50 तक बेहतर माना जाता है, जबकि शुक्रवार को यह 406 था, जो शनिवार को 296 व रविवार को 283 रहा। ऐसी हवा में आम लोगों का भी सांस लेना मुश्किल हो जाता है।
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पराली न जलाने के विकल्प पर किसानों ने दिए तर्क
- पराली संभालने के औजार और बोनस दें।
- सरकार धान की बजाय फल-सब्जियों व अन्य फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करे तो किसान धान की खेती करना छोड़ देंगे।
- बासमती का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय हो, उसकी पराली गेहूं की तूड़ी की तरह पशुओं के खाने के काम आएगी।
- पराली की संभाल पर किसानों को प्रति एकड़ दो हजार रुपये बोनस मिलना चाहिए।
- पराली की संभाल के लिए हर गांव में जरूरत के हिसाब से औजार मुहैया करवाए जाएं।
- ऐसी फसलों व किस्मों को प्रमोट किया जाए, जिससे पराली जलाने की जरूरत न पड़े।
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रेड एंट्री से होने वाले नुकसान
- किसान की जमीन के लैंड रिकार्ड नंबर में रेड एंट्री हो जाए तो उस जमीन के आधार पर किसी भी बैंक, सोसायटी से किसान को लोन नहीं मिलता।
- किसान को खेती के औजारों पर मिलने वाली 50 प्रतिशत तक की सब्सिड़ी, कम कीमत पर मिलने वाला यूरिया व अन्य सामान नहीं मिलता।
- रेड एंट्री वाला कोई भी व्यक्ति किसी भी तरह का चुनाव नहीं लड़ सकता।
- रेड एंट्री वाला व्यक्ति को अगर कोई सरकारी सुविधा (जैसे सरकारी घर, गनमैन, लीज पर मिली सरकारी जमीन, कम कीमत पर ठेके पर मिली सरकारी जमीन) मिली है, तो वह खत्म कर दी जाएगी।
- अगर सरकारी कर्मचारी, सरपंच-पंच, जिला परिषद, ब्लॉक समिती मेंबर की जमीन रेड एंट्री में दर्ज होती है तो उसे पद से उतार दिया जाएगा।