स्टिंग ऑपरेशन के बाद 55 केस दर्ज, 37 गिरफ्तार और 6062 लीटर लाहन बरामद, फ्लैग मार्च निकाला
स्टिंग ऑपरेशन के बाद बठिडा पुलिस ने पूरे जिले में सख्ती अपनाई हुई है।
पिथौरागढ़, जेएनएन : लैंगिंक वगीकृत तकनीक से पहाड़ में पशुपालन की तस्वीर बदलेगी। राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत दी जाने वाली इस कृत्रिम गर्भाधान तकनीक से केवल बछिया ही जन्म लेगी। शनिवार को पशुपालन विभाग ने सीमांत जिले में इस मिशन के दूसरे चरण की शुरू आत की।
गोकुल मिशन के पहले चरण में अपनाई गई तकनीक से बछिया पैदा होने का प्रतिशत बढ़ा, लेकिन यह शतप्रतिशत नहीं था। वैज्ञानिकों ने अब ऐसी तकनीक विकसित कर ली है जिसमें कृत्रिम गर्भाधान के जरिए केवल बछिया ही पैदा की जा सकेगी। उप मुख्य पशुपालन अधिकारी डॉ. पंकज जोशी ने बताया कि गोकुल मिशन के दूसरे चरण की शुरू आत शनिवार को की गई। इस बार योजना में पूरे जिले को शामिल किया गया है। जिले में तीस हजार गायों में कृत्रिम गर्भाधान कराया जाएगा। लैंगिंग वर्गीकरण तकनीक से सिर्फ बछिया ही जन्म लेगी। बछड़े नहीं होंगे। इससे जिले में दुग्ध उत्पादन बढ़ेगा साथ ही बछड़ों को सड़कों पर छोड़ देने वाली समस्या से भी निजात मिलेगी। उन्होंने बताया कि कृत्रिम गर्भाधान के लिए पशुपालक को सौ रुपये का शुल्क देना होगा। इसके लिए जो सीमेन उपयोग में लाया जाएगा उसका बाजार मूल्य 1150 रुपये है। पशुपालकों से लिए जाने वाले शुल्क के अतिरिक्त लागत का 1050 रुपये का अनुदान केंद्र और राज्य सरकार देंगी। कृत्रिम गर्भाधान के लिए टीमें तैनात कर दी गई हैं। टीमें गांव-गांव जाकर कृत्रिम गर्भाधान करेंगी।