केंद्रीय विश्वविद्यालय में 675 छात्रों को प्रदान की डिग्री
पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय घुद्दा परिसर में सातवां दीक्षा समारोह आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. जगबीर सिंह ने की।
संस, बठिडा: पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय घुद्दा परिसर में सातवां दीक्षा समारोह आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. जगबीर सिंह ने की। भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष पद्म विभूषण डा. अनिल काकोदकर इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। दीक्षा समारोह के दौरान हाईब्रिड मोड में स्नातकोत्तर के 650 और पीएचडी के 25 विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान की गई।
समारोह में विभिन्न विषयों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 35 मेधावी छात्रों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। वहीं डिग्रियां हासिल करने वालों में 12 छात्र अफगानिस्तान, स्वाजीलैंड और बांग्लादेश के नागरिक शामिल हैं। कोविड-19 स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह दीक्षा समारोह हाइब्रिड मोड पर आनलाइन आयोजित किया गया। हालांकि पीएचडी के छात्रों को आफलाइन मोड पर समारोह में ही डिग्री प्रदान की गई। इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राघवेंद्र प्रसाद तिवारी ने विश्वविद्यालय की वार्षिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। वहीं मुख्य अतिथि डा. अनिल काकोदकर ने डिग्री हासिल करने वाले और स्वर्ण पदक विजेता विद्यार्थियों को बधाई दी। इस अवसर पर डीन प्रो. आरके वुसिरिका, डीन प्रो. वीके गर्ग और डीन अंजना मुंशी ने उपाधि हासिल करने वालों को उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम के दौरान कुलसचिव कंवल पाल सिंह मुंदरा ने मंच समन्वय किया। वहीं परीक्षा नियंत्रक प्रो. बीपी गर्ग ने कार्यक्रम के अंत में औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन पेश किया। जिम्मेदार नागरिक के रूप में समाज में सकारात्मक बदलाव लाएं छात्र: डा. काकोदकर इस मौके पर डा. काकोदकर ने उच्च-स्तरीय प्रौद्योगिकियों के युग में समाज में ग्रामीण-शहरी ज्ञान अंतर को समाप्त करने के लिए देश के शैक्षिक ढांचे में नवोन्मेषी सुधार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने देश के शहरी-ग्रामीण अंतर पर प्रकाश डालते हुए साइलेज और आकृति की अवधारणा को प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि सीयूपीबी के स्नातकों में प्रतिस्पर्धी दुनिया में सफल होने के लिए उच्च क्षमताएं हैं और वे जिम्मेदार नागरिक के रूप में कार्य करते हुए समाज में सकारात्मक बदलाव लाएंगे। उन्होंने शिक्षकों को समाज के प्रति अपने अद्वितीय उत्तरदायित्व का पालन करते हुए युवाओं में नैतिक मूल्यों का विकास करने तथा छात्रों में वैज्ञानिक स्वभाव विकसित करने के लिए प्रेरित किया।