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प्लांट बंद हो रहा है इसी के चलते बच्चों को सरकारी स्कूल में किया शिफ्ट

राजेश नेगी,ब¨ठडा पहले मेरे बच्चे शहर के प्राइवेट स्कूल में पढ़ते थे जब मुझे पता चला कि कुछ समय बाद

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Jan 2018 01:02 AM (IST)Updated: Tue, 23 Jan 2018 01:02 AM (IST)
प्लांट बंद हो रहा है इसी के चलते बच्चों को सरकारी स्कूल में किया शिफ्ट
प्लांट बंद हो रहा है इसी के चलते बच्चों को सरकारी स्कूल में किया शिफ्ट

राजेश नेगी,ब¨ठडा

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पहले मेरे बच्चे शहर के प्राइवेट स्कूल में पढ़ते थे जब मुझे पता चला कि कुछ समय बाद मेरी नौकरी चली जाएगी इसी डर के चलते मेने अपने दोनों बच्चों को प्राइवेट अस्पताल से हटा कर गांव के सरकारी स्कूल में लगा दिया। यह बात पक्का मोर्चा में बैठे गांव दियोण वासी कर्मजीत ¨सह ने कही। कर्मजीत ¨सह ने कहा कि वह पिछले आठ साल से थर्मल प्लांट में ठेके पर काम कर रहा है। उसे काम के बदले 6200 रुपये मिलते थे। इसी रकम से वह अपना घर चलाता व बच्चों को पढ़ाता था। कर्मजीत ¨सह ने बताया कि करीब पांच माह पहले उसने अपने दोनों बच्चों(कमलप्रीत कौर व राजबीर ¨सह) को गांव दियोण के सरकारी स्कूल में लगा दिया। उसकी बेटी कमलप्रीत कौर व बेटा राजबीर ¨सह पहले शहर के रोजमैरी कंनवेंट स्कूल में पढ़ते थे। जब उसे पता चला कि सरकार थर्मल प्लांट को बंद करने जा रही है तो उसने सोचा कि भविष्य में अगर नौकरी चली गई तो वह अपने बच्चों की फीस नहीं भर सकेगा व उसके बच्चों का एक साल खराब हो जाएगा। कर्मजीत ¨सह ने बताया कि उसके परिवार वालों ने मिलकर फैसला लिया कि बच्चों को प्राइवेट स्कूल से हटा कर गांव के सरकारी स्कूल में लगवा दिया जाए। कर्मजीत ¨सह का कहना है कि इन दिनों वह अपने रिश्तेदारों से उधार पैसे मांग कर अपने घर का गुजारा चला रहा है। उसने बताया कि उसे दूसरी जगह पर भी नौकरी नहीं मिल रही है। इस लिए उनके पास अब संघर्ष करने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं है। कर्मजीत ने बताया कि वह पिछले 22 दिनों से पक्के मोर्चे पर डटा है वह अपने घर अभी तक नहीं गया।

मां व बेटे के इलाज करवाने में आ रही दिक्कत

थर्मल प्लांट में ठेके पर काम करने वाले गुरजंट ¨सह ने बताया कि वह पिछले 18 सालों से ब¨ठडा के थर्मल प्लांट में ठेके पर नौकरी कर रहा था। सरकार ने जब फैसला किया कि थर्मल प्लांट को बंद करना है उसी दिन से उसे अपनी भविष्य की ¨चता सताने लगी। गुरजंट ¨सह ने बताया कि उसकी मां जल कौर की आंखों की रौशनी खराब हो रही है, अब उसे साफ तक दिखाई नहीं दे रहा है। उसकी नौकरी चले जाने के बाद उसके पास अपनी मां का इलाज करवाने के लिए पैसे नहीं है। उसके बेटे हरदीप ¨सह को सांस की तकलीफ है, उसके इलाज के लिए भी उसके पास पैसे नहीं है। गुरजंट ¨सह ने कहा कि वह कम वेतन पर जैसे तैसे अपना गुजर बसर कर लेते थे, अब बिना पैसों के घर चलाना संभव नहीं है।


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