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जैलदार परिवार ने संभाली 108 साल पुरानी विरासती इमारत

इन दरबाजों में लगता था कभी दरबार -संगत कलां के बुक्कन ¨सह का परिवार कर रहा है संभाल-विरासती कला के नमूने हैं

By JagranEdited By: Published: Tue, 31 Jul 2018 08:10 PM (IST)Updated: Tue, 31 Jul 2018 08:10 PM (IST)
जैलदार परिवार ने संभाली 108 साल पुरानी विरासती इमारत
जैलदार परिवार ने संभाली 108 साल पुरानी विरासती इमारत

गुरप्रेम लहरी ब¨ठडा

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ब¨ठडा जिले के गांव संगत कलां में 108 साल पुरानी इमारत लोगों को लुप्त होते जा रहे अमीर विरसे की याद दिलाती है। भले ही आधुनिकता के दौर में हमारी विरासती निशानियां लुप्त होती जा रही हैं लेकिन संगत कलां के जैलदार परिवार ने इस इमारत को 108 साल से संजो कर रखा हुआ है। पंजाब की विरासत का उदाहरण बनी इस इमारत में 108 साल पहले सरकारी दरबार लगा करता था। उस समय के सुरक्षा प्रबंधों को देखते हुए इस इमारत का निर्माण किया गया था। करीब 120 फीट चौड़ी इस इमारत का एक मुख्य दरवाजा है जिसको डऊडी कहते हैं जबकि दो अन्य छोटे दरवाजे हैं। इन तीनों दरवाजों पर सुरक्षा के मद्देनजर लोहे के कील लगे हुए हैं। इन दरवाजों का जिक्र प्रसिद्ध कवीश्र बाबू रजब अली अपनी कविशरियों में किया करते थे।

यह इमारत जैलदार मैंगल ¨सह की ओर से साल 1910 में यानि आज से 108 साल पहले राज मिस्त्री पंजाब ¨सह से तैयार करवाई थी। इमारत के दरवाजे पर इसे तैयार करवाने वाले मैंगल ¨सह, मिस्त्री पंजाब ¨सह का नाम और इसका साल 1910 खोदा हुआ है। अब इस इमारत की संभाल जैलदार बुक्कन ¨सह की वंश के बेटे वित्तमंत्री के मीडिया सलाहकार हरजोत ¨सह सिद्धू के परिवार की ओरसे की जा रही है। इन दरवाजों की छत 18 फीट ऊंची है। हरजोत ¨सह सिद्धू ने बताया कि उस समय हवा का कोई प्रबंध न होने के चलते छतें ऊंची रखी जाती थी ताकि गर्मी नीचे तक न पहुंच सके। इसके अलावा डाकूओं से बचने के लिए भी छत ऊंची रखी जाती थी। हरजोत ¨सह सिद्धू ने कहा कि कई लोगों ने उनको सुझाव दिया कि अब यह इमारत पुरानी हो चुकी है। इसको तोड़ कर नई इमारत बना लें। लेकिन उन्होंने कहा कि यह उनके बड़ों की यादगार है और अमीर विरासत है। ऐसे में इसको किसी भी हालत में नहीं तोड़ेंगे। अब इस इमारत के पीछे के हिस्से में नई इमारतों का निर्माण जरूर कर लिया गया है। लेकिन फिर भी आगे के दरबाजों को नहीं तोड़ा गया।

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इमारत का निर्माण करने को लगा दिया था ईटों का भटटा

जैलदार परिवार की पांचवी पीढ़ी में से राजवंत ¨सह ने बताया कि इस इमारत का निर्माण करने के लिए उनके बुजुर्गों की ओर से घर से थोड़ी ही दूरी पर इर््टों का भट्ठा भी लगवा दिया था। यह इमारत पक्की ईंटों की बनी हुई है जबकि इसकी चिनाई के लिए गारे का इस्तेमाल किया गया है। इस से इमारत गर्मियों में ठंडी व सर्दियों में गर्म रहती है। दरवाजे की दीवारें दो से ढाई फीट तक चौड़ी हैं।


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