खस्ताहाल स्कूल की बदली काया, सबसे सुंदर स्कूल का खिताब दिलाया
----- ::तमसो मा ज्योतिर्गमय:: -प्रिंसिपल ने जेब से खर्चे पांच लाख, 25 लाख की मदद से बना दिया मॉ
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::तमसो मा ज्योतिर्गमय:: -प्रिंसिपल ने जेब से खर्चे
पांच लाख, 25 लाख की मदद से बना दिया मॉडल
-अध्यापकों, एनआरआइ व ग्रामीणों के सहयोग से बदली स्कूल की नुहार
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सोनू उप्पल, बरनाला: जिस स्कूल की दीवारों से कभी पानी रिसता था। बच्चों को बैठने में परेशानी होती थी। उसे एक शिक्षक की मेहनत ने सबसे सुंदर स्कूल का खिताब दिला दिया। सरकारी प्राइमरी स्कूल बीहला के प्रिंसिपल, अध्यापकों, एनआरआइ व गाववासियों ने सामूहिक प्रयास कर सरकारी प्राइमरी स्कूल को मॉडल स्कूल बना दिया। वर्ष 2002 से स्कूल में पि्रंसिपल की सेवाएं निभा रहे हरप्रीत सिंह दीवाना का कहना है कि जब वह स्कूल में आए थे, तब स्कूल की हालत काफी खस्ता थी। कमरों की दीवारों में पड़ी दरारों से बारिश का पानी अंदर आ जाता था। ऐसे में कक्षाएं लगाने में काफी परेशानी आती थी। उन्होंने बच्चों के उज्जवल भविष्य को देखते हुए अपनी तरफ से पांच लाख रुपये खर्च कर सभी कमरों की मरम्मत करवाकर दीवारों पर रंग-बिरंगे कार्टून बनाकर व स्लोगन लिखवाकर नया रूप दिया। इसके बाद स्कूल के अन्य अध्यापकों, गांव के एनआरआइज व ग्रामीणों का भी सहयोग मिला और सभी ने मिलकर 25 लाख रुपये जुटाकर स्कूल को मॉडल बनाने का काम शुरू हुआ। स्कूल प्रबंधक कमेटी के चेयरमैन गुरमीत सिंह रंधावा व सरपंच रछपाल सिंह ने कहा कि प्रिंसिपल के प्रयास व ग्रामीणों के सहयोग से बनाए गए इस मॉडल स्कूल को डीसी धर्मपाल गुप्ता ने जिले के सबसे सुंदर स्कूल का खिताब दिया है। डीसी धर्मपाल गुप्ता ने कहा कि प्रिंसिपल का प्रयास सराहनीय है। दूसरे स्कूलों को भी इस तरह के प्रयास करने चाहिए। स्कूल में ये हैं सुविधाएं
स्कूल में स्मार्ट रूम, स्मार्ट लैब, कंप्यूटर लैब, ट्रैफिक पार्क, एजुकेशन एक्टिविटी पार्क, आरओ सिस्टम, फर्नीचर, कमरों में एलईडी, शौचालय, बच्चों के लिए झूले, बैंडमिंटन व बॉस्केटबॉल कोर्ट, अलमीरा, पोडियम, कूड़ेदान आदि लगाए गए हैं। पूरे जिले में नहीं ऐसा मॉडल स्कूल
वर्तमान में सरकारी प्राइमरी स्कूल बीहला में प्रिंसिपल सहित छह अध्यापक तैनात हैं। स्कूल में कुल 195 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। विद्यार्थी साहिलदीप सिंह के पिता गुरप्रीत सिंह ने कहा कि बीहला गाव में 5000 की आबादी के बीच पूरे जिले में ऐसा मॉडल स्कूल कहीं नहीं है। उन्होंने कहा कि जो अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट या कॉन्वेंट स्कूलों नहीं पढ़ा सकते, उनके लिए ऐसे सरकारी प्राइमरी स्कूल किसी वरदान से कम नहीं।