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पर्यावरण में जहर घोल रहा है प्लास्टिक, हों जागरूक

प्लास्टिक के लिफाफे खाली बोतलें व अन्य सामान विशेषकर शहर के क्षेत्रों नालियों नालों रजबाहों व सीवरेज में फंसकर पानी की निकासी को रोक देते हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Nov 2019 11:57 PM (IST)Updated: Mon, 11 Nov 2019 11:57 PM (IST)
पर्यावरण में जहर घोल रहा है प्लास्टिक, हों जागरूक
पर्यावरण में जहर घोल रहा है प्लास्टिक, हों जागरूक

हेमंत राजू, बरनाला

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प्लास्टिक के लिफाफे, खाली बोतलें व अन्य सामान विशेषकर शहर के क्षेत्रों नालियों, नालों, रजबाहों व सीवरेज में फंसकर पानी की निकासी को रोक देते हैं। यह प्लास्टिक नष्ट नहीं होने के कारण पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है।

शहर में लगे कूड़े के करीब 30 ओपन डंप पर अकसर ही प्लास्टिक के लिफाफे, थर्मोकोल के ग्लास, कप आदि जो कि गलनशील नहीं है, इधर-उधर ही फैलते रहते हैं, से भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। वहीं, नालियां व सीवरेज में फंसकर उसे जाम कर देते हैं, जिससे पानी की निकासी नहीं हो पाती। रासायनिक पदार्थ घोल रहे पर्यावरण में जहर

पर्यावरण प्रेमी सुखविदर सिंह भंडारी ने कहा कि प्लास्टिक में मौजूद कुछ रासायनिक व जहरीले पदार्थ हैं, जो पर्यावरण में जहर घोलते हैं। इसे रोकना काफी मुश्किल है। प्लास्टिक में पाया जाने वाला कई एडीटीवायस, जैसे पैथलेट्स, एडिपेटस व यहां तक कि एलकेफिनोलस को जहरीली सामग्री के रूप में मान्यता दी गई है, विनाइल क्लोराइड, जिसका इस्तेमाल पीवीसी पाइपों के निर्माण में किया जाता है, इसको कैंसर के रूप में बांटा गया है।

कपड़े के थैले का करें प्रयोग

पर्यावरण प्रेमी एसपी कौशल ने कहा कि प्लास्टिक का लिफाफा व अन्य प्लास्टिक के बनीं वस्तुएं, जो गलनशील नहीं है, इससे पर्यावरण दूषित होता है। हम सभी को वन टाइम प्लास्टिक को ना करके कपड़े का बना बैग व स्टार्च से बने लिफाफे का इस्तेमाल करना चाहिए।

प्लास्टिक इस्तेमाल न कर करें पर्यावरण संरक्षण

पर्यावरण प्रेमी सुनील मंटू ने कहा कि वन टाइम यूज प्लास्टिक जहां प्रदूषण का कारण बन रहा है, तो वहीं इससे गली-मोहल्लों की नालियां व सीवरेज जाम हो जाता है, जिसका खामियाजा लोगों को ही भुगतना पड़ता है। इसलिए हमें प्लास्टिक व पॉलीथिन इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

पशुओं को मौत में मुंह में धकेल रहे लिफाफे

पर्यावरण प्रेमी अमनदीप मित्तल ने कहा कि प्लास्टिक के इस्तेमाल से जहां पर्यावरण की सुंदरता को ग्रहण लगता है। वहीं, प्लास्टिक के लिफाफों को निगलने से बेसहारा पशु मौत का शिकार हो रहे हैं, क्योंकि यह प्लास्टिक का लिफाफा गलता नहीं है और एक मृत पशु के पेट में करीब 10 से 15 किलो प्लास्टिक का लिफाफा पाया जाना आम बात है।

--सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाएं बना रही है कपड़े के थैले : डीसी

डीसी बरनाला तेज प्रताप सिंह फूलका ने कहा कि प्रशासन द्वारा सेल्फ हेल्प ग्रुप के तहत ग्रामीण महिलाओं को रोजगार देते हुए कपड़े से बने थैले बनवाए गए हैं। इससे प्लास्टिक के लिफाफों का इस्तेमाल कम होगा, वहीं रोजगार में भी बढ़ोतरी होगी। शहर निवासियों को इस मुहिम का हिस्सा बन कर सहयोग करना चाहिए। --नहीं बिकने देगे प्लास्टिक के लिफाफे-ईओ गर्ग

नगर कौंसिल के ईओ सतीश कुमार गर्ग ने कहा कि उनके द्वारा सेनेटरी विभाग की टीम गठित कर शहर में बिक रहे व इस्तेमाल हो रहे प्लास्टिक के लिफाफों को बंद करने के लिए छापामारी करवाई जाएगी।


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