पीजीआइ के डॉक्टरों ने बताया मृत पर बाद में जिंदा निकला किशोर
इसको कुदरत का करिश्मा कहें या डाक्टरों की लापरवाही। एक नौजवान को पीजीआई के डॉक्टरों द्वारा मृतक घोषित किए जाने से
जागरण संवाददाता, बरनाला
इसे कुदरत का करिश्मा कहें या डॉक्टरों की लापरवाही। एक किशोर पीजीआइ के डॉक्टरों द्वारा मृत घोषित किए जाने से 8 घंटे बाद जीवित पाया गया है। उक्त घटना जिला बरनाला के गांव पक्खोकलां के सरकारी स्कूल में 10वीं में पढ़ने वाले 15 वर्षीय गुरतेज सिंह की है। गुरतेज को शुक्रवार सुबह 6 बजे पीजीआइ चंडीगढ़ के डॉक्टरों ने मृत करार दे दिया था। मगर, जब जब उसके शव को गाड़ी में गांव लाया जा रहा था, तो अचानक रास्ते में उसे होश आ गया।
जानकारी के अनुसार गुरतेज ¨सह (15) पुत्र ¨सगारा ¨सह निवासी पक्खोकलां को विगत दिनों से एक आंख की रोशनी कम हो जाने के कारण ब¨ठडा अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। वहां से उसे डॉक्टर ने सिर में रसौली बताकर डीएमसी लुधियाना व फिर पीजीआइ चंडीगढ़ रैफर कर दिया। पीजीआइ में उसे 10 जनवरी को दाखिल करवाया गया था। जहां डॉक्टरों ने उसे इमरजैंसी वार्ड में रखने के बाद शुक्रवार सुबह 6 बजे मृत करार देकर उसे ले जाने के लिए परिजनों को कहा।
इस घटना का पता चलते ही रिश्तेदार व अन्य ग्रामीण उसके घर पर एकत्र होकर अंतिम संस्कार करने की तैयारियां करने लगे। इस बीच पीजीआइ से घर लाते हुए जब रूड़ेके कलां में गाड़ी रोक गुरतेज सिंह के शव के जब कपड़े बदले जाने लगे, तो उसके पड़ोसी सतनाम ¨सह को उसकी सांस चलते का आभास हुआ। इस पर उसने जल्द ही पास से एक कैमिस्ट को बुलाया। जिसने गुरतेज सिंह का ब्लड प्रेशर आदि चेक कर उसे ठीक पाया और गुरतेज ने भी आंखें खोलकर बोलने की कोशिश की।
इसके बाद गुरतेज को को तुरंत सिविल अस्पताल बरनाला लाया गया। जहां पर डॉक्टरों ने उसका चेकअप करके उसे बाबा फरीद अस्पताल फरीदकोट रेफर कर दिया है।
गुरतेज के पिता सिंगारा सिंह व माना परमजीत कौर ने बताया है कि गुरतेज ¨सह उनकी अकेली संतान है। वह किसान हैं और उनके पास ढाई किले जमीन है। गुरतेज के इलाज पर अभी तक चार लाख खर्च आ चुका है और वह अस्पताल में बेहोश उपचाराधीन है। वहीं, दूसरी ओर गांव में लोगों को जब गुरतेज के जिंदा होने की जानकारी मिली, तो उनके आंसू खुशी में बदल गए। ग्रामीणों ने गुरतेज की तंदुरुस्ती के लिए गुरुद्वारा साहिब में अरदास की है।