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सरकारी प्राइमरी स्कूलों की प्री-प्राइमरी कक्षाएं बनी एलकेजी और यूकेजी

रकारी स्कूलों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से जोड़ने और 2017 के दौरान शुरू की गई प्राथमिक शिक्षा को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए सरकार और शिक्षा विभाग ने योजना शुरू कर दी है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Feb 2021 05:34 PM (IST)Updated: Fri, 26 Feb 2021 05:34 PM (IST)
सरकारी प्राइमरी स्कूलों की प्री-प्राइमरी कक्षाएं बनी एलकेजी और यूकेजी
सरकारी प्राइमरी स्कूलों की प्री-प्राइमरी कक्षाएं बनी एलकेजी और यूकेजी

मनीष गुप्ता बरनाला : सरकारी स्कूलों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से जोड़ने और 2017 के दौरान शुरू की गई प्राथमिक शिक्षा को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए सरकार और शिक्षा विभाग ने योजना शुरू कर दी है। शिक्षा मंत्री विजयइंद्र सिगला और शिक्षा विभाग पंजाब के शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार के मार्गदर्शन में स्कूलों में बाल मनोविज्ञान के साथ-साथ छात्रों के बैठने के लिए रंगीन फर्नीचर उपलब्ध कराने के लिए प्री-प्राइमरी कक्षाओं के कमरे तैयार किए जा रहे हैं, जिसमें पहली बार प्री-प्राइमरी कक्षाओं के लिए शिक्षकों की अलग-अलग नियुक्तियां भी की जा रही हैं। स्कूल शिक्षा विभाग ने अब माता-पिता और शिक्षकों की मांग के अनुसार प्री-प्राइमरी कक्षाओं के नाम बदलकर एलकेजी व यूकेजी कर दिए हैं।

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जिला शिक्षा अधिकारी एलिमेंट्री जसबीर कौर और डिप्टी डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन आफिसर एलिमेंट्री वसुंधरा कपलिया ने बताया कि जिले के सभी प्राथमिक स्कूलों में प्री-प्राइमरी कक्षाएं चल रही हैं। शिक्षा विभाग द्वारा जारी पत्र के अनुसार, इनका नाम बदलकर एलकेजी और यूकेजी कर दिया गया है। अधिकारियों ने कहा कि भविष्य में प्री-प्राइमरी1-2 को एलकेजी के रूप में जाना जाएगा और प्री-प्राइमरी-2 को यूकेजी के रूप में जाना जाएगा। एलकेजी और यूकेजी कक्षाओं के लिए दाखिला मुहिम भी जारी है।

डिस्ट्रिक्ट कोआर्डिनेटर पंजाब कुलदीप सिंह भुल्लर ने कहा कि सरकारी स्कूलों में एलकेजी और यूकेजी क्लासेस कम उम्र में अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए माता-पिता के बीच बढ़ते रुझान को देखते हुए एक वरदान साबित हो रहे हैं। प्रथम श्रेणी के नामांकन से पहले किसी भी अन्य स्कूल में अपने बच्चों को दाखिला लेने के लिए आवश्यक है। जिला मीडिया समन्वयक बिदर सिंह खुड्डी कलां ने कहा कि माता-पिता को सरकार द्वारा प्रदान की जा रही सुविधाओं और सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को दाखिला देकर उच्च योग्य शिक्षकों द्वारा प्रदान की जा रही शिक्षा का लाभ उठाना चाहिए।


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