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60 एकड़ में कुलवंत रोपते हैं धान, पराली को नहीं बनाते राख

60 एकड़ में गेहूं की खेती करने वाला कुलवंत ¨सह नहीं लगाता पराली को आग60 एकड़ में गेहूं की खेती करने वाला कुलवंत ¨सह नहीं लगाता पराली को आग60 एकड़ में गेहूं की खेती करने वाला कुलवंत ¨सह नहीं लगाता पराली को आग60 एकड़ में गेहूं की खेती करने वाला कुलवंत ¨सह नहीं लगाता पराली को आग

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 05:31 PM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 06:01 PM (IST)
60 एकड़ में कुलवंत रोपते हैं धान, पराली को नहीं बनाते राख
60 एकड़ में कुलवंत रोपते हैं धान, पराली को नहीं बनाते राख

जागरण संवाददाता, बरनाला : गेहूं की बिजाई के लिए खेत तैयार करने के लिए किसानों द्वारा धान की फसल की कटाई के बाद बचती पराली को आग लगाने के बुरे रुझान के उलट 60 एकड़ जमीन पर खेती करने वाला जिले के गांव मल्लियां गांव का किसान कुलवंत ¨सह दो वर्ष से हैप्पीसीडर की मदद से पराली का कुदरती विधि के साथ खेत में ही निपटारा करता आ रहा है। कुदरती तरीके से फसलों की अवशेष का प्रबंध करने से जहां पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता, वहीं खेती माहिरों का मानना है कि इससे किसानों को भी फायदा होता है। इसी कारण जिला प्रशासन के प्रयत्न से गांव मल्लियां व नजदीक के गांव के किसानों द्वारा गेहूं की बिजाई के लिए हैप्पी सीडर मशीन की मदद से कर रहे हैं। किसान कुलवंत ¨सह मल्लियां ने बताया कि उसने दो वर्ष से खेतों में पराली को आग नहीं लगाई व गेहूं की हैप्पीसीडर की मदद से सीधी बिजाई करता है। उसने बताया कि पराली को आग लगाए बगैर बीजी गई गेहूं का झाड़ भी अधिक निकलता है। उसने कहा कि विगत बार उसकी सीधी बिजाई वाली गेहूं में से तकरीबन 60-62 मन झाड़ निकला जो कि साबित करता है कि पराली को आग लगा कर गेहूं की बिजाई करने का कोई फायदा नहीं। उन्होंने जिले के किसानों से अपील की कि पराली को जलाए बगैर गेहूं की बिजाई करके ही आने वाली पीढि़यों के लिए साफ पर्यावरण रखने के लिए अपना योगदान डालें।

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