इंडिया पर्यावरण सहायक फाउंडेशन गेहूं की बिजाई के लिए कर रही प्रेरित : डीसी
,इंडिया पर्यावरण सहायक फाउंडेशन, कर रही है किसानों को गेहूं की सीधी बिजाई के लिए प्रेरित-डीसी गुप्ता,इंडिया पर्यावरण सहायक फाउंडेशन, कर रही है किसानों को गेहूं की सीधी बिजाई के लिए प्रेरित-डीसी गुप्ता,इंडिया पर्यावरण सहायक फाउंडेशन, कर रही है किसानों को गेहूं की सीधी बिजाई के लिए प्रेरित-डीसी गुप्ता,इंडिया पर्यावरण सहायक फाउंडेशन, कर रही है किसानों को गेहूं की सीधी बिजाई के लिए प्रेरित-डीसी गुप्ता,इंडिया पर्यावरण सहायक फाउंडेशन, कर रही है किसानों को गेहूं की सीधी बिजाई के लिए प्रेरित-डीसी गुप्ता
जागरण प्रतिनिधि, बरनाला : पराली को आग लगाने के बुरे रुझान के साथ बढ़ रहे प्रदूषण को नकेल डालने के लिए जिला प्रशासन के प्रयत्नों के साथ-साथ सामाजिक संस्थाएं भी पर्यावरण की सुरक्षा के लिए लगातार आगे आकर किसानों को जागरूक कर रही हैं। 'इंडिया पर्यावरण सहायक फाउंडेशन' संबंधी जानकारी देते हुए डीसी बरनाला धर्म पाल गुप्ता ने बताया कि संस्था द्वारा फसलों की अवशेष को आग लगाने खिलाफ जागरुकता पैदा करने के साथ-साथ आज के समय की मुख्य जरूरत, खेती खर्च को कम करने पर भी जोर दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि संस्था द्वारा जिले के 26 गांव में 'चेंज बडी' नाम के 33 ग्रुप बनाए गए हैं, जिनकी मदद से 4000 एकड़ क्षेत्रफल पर पराली जलाएं बगैर हैपीसीडर मशीनों की मदद से गेहूं की बिजवाई की जाएगी। डीसी गुप्ता ने संस्था द्वारा किए जा रहे काम को गांव शेर ¨सह पूरा का दौरा करके खुद भी देखा।
डीसी गुप्ता ने बताया कि अब तक इस संस्था के साथ 410 किसान सीधे तौर पर जुड़ चुके है, जिन्होंने अपने खेतों में पराली नहीं जलाने का भी पक्का निश्चय कर लिया है। उन्होंने संस्था के काम करने की विधि समझाते हुए बताया कि संस्था के प्रतिनिधियों द्वारा जिले के गांव में हैपीसीडर मशीनों की तलाश करके उनको 'कस्टम हाय¨रग' (किराया करन) के लिए उत्साहित किया गया। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही प्रतिनिधियों ने किसानों को भी गेहूं की बिजाई बिना पराली जलाएं, हैपीसीडर से करवाने के लिए प्रेरित किया। जिससे संस्था द्वारा 4000 एकड़ क्षेत्र जलने से बचा लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि किसानों को हैपीसीडर मशीनों किराए पर चलाने के लिए उत्साहित करने के लिए संस्था द्वारा 20 एकड़ क्षेत्रफल तक 400 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब के साथ खर्चा अपनी तरफ से भी दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह करने से किसान पर्यावरण को बचाने में अपना हिस्सा डालेंगे, बल्कि इसके साथ ही प्रतिदिन बढ़ रहे खेती खर्चों को कम करके अपने रुपयों को भी बचाएंगे। 'इंडिया पर्यावरण सहायक फाउंडेशन' के सीईओ रितेष भाटिया ने बताया कि विभिन्न क्षेत्रों में काम करते युवकों द्वारा बनाई संस्था द्वारा प्रदेश के 4 जिले बरनाला, संगरूर, रोपड़ व फतेहगढ़ साहिब के 100 गांव में यह मुहिम चलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि इस मुहिम सदका पराली के धुएं
कारण प्रत्येक वर्ष बढ़ते प्रदूषण को काबू करने के साथ-साथ किसानों
को सिर्फ गेहूं की बिजाई के लिए महंगे खेती यंत्र खरीदने की समस्या से भी निजात मिल सकेगी। इस अवसर पर कार्यक्रम मैनेजर अजय मलिक, कृषि विभाग से एडीओ सुखपाल ¨सह, एडीओ गुरमीत ¨सह, एडीओ गुरचरन ¨सह, किसान जैपाल ¨सह, जुगराज ¨सह के अलावा अन्य क्षेत्र के किसान उपस्थित थे।