मैं ता राम जी ते सुटिया डोरा आपे बेड़ा पार लागे, सुन झूमे श्रद्धालु
श्री शिव मठ धाम में परम पूज्य तपोमूर्ति श्रद्धेय श्री श्री 100 कथा चल रही है।
संवाद सूत्र, बरनाला : श्री शिव मठ धाम में परम पूज्य तपोमूर्ति श्रद्धेय श्री श्री 1008 श्री स्वामी नित्यानंद मौनी जी महाराज की 24वीं पुण्य तिथि पर दिव्य श्रीराम कथा आयोजित है, जिसमें श्री राम कथा के 5वें दिन कथा व्यास परम पूज्य वैष्णवकुल भूषण श्री श्री 1008 श्री योगेंद्र दास जी महाराज श्रीराम जी का गुणगान कर श्रद्धालुओं को निहाल किया। उन्होंने नामकरण के बाद प्रभु के मनोहर बाल रूप का वर्णन किया। मौनी जी महाराज ने बताया कि प्रभु श्रीरामचन्द्र ने बाल क्रीड़ा की और समस्त नगर निवासियों को सुख दिया। कौशल्याजी कभी उन्हें गोद में लेकर हिलाती-डुलाती और कभी पालने में लिटाकर झुलाती थीं। प्रभु श्री राम जी की बाल लीला का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि एक बार माता कौशल्या ने श्री रामचंद्रजी को स्नान कराया और श्रृंगार करके पालने पर बिठा दिया। फिर अपने कुल के ईष्टदेव भगवान की पूजा के लिए स्नान किया, पूजा करके नैवेद्य चढ़ाया और स्वयं वहां गई, जहां रसोई बनाई गई थी। फिर माता पूजा के स्थान पर लौट आई और वहां आने पर पुत्र को भोजन करते देखा। माता भयभीत होकर पुत्र के पास गई, तो वहां बालक को सोया हुआ देखा। फिर देखा कि वही पुत्र वहां भोजन कर रहा है। उनके हृदय में कंपन होने लगा। वह सोचने लगी कि यहां और वहां मैंने दो बालक देखे। यह मेरी बुद्धि का भ्रम है या और कोई विशेष कारण है। प्रभु श्री रामचन्द्रजी माता को घबराया हुआ देखकर मधुर मुस्कान से हंस दिए फिर उन्होंने माता को अपना अखंड अछूत रूप दिखलाया, जिसके एक-एक रोम में करोड़ों ब्रह्माण्ड लगे हुए हैं (माता का) शरीर पुलकित हो गया, मुख से वचन नहीं निकलता। तब आँखें मूंदकर उसने रामचंद्र जी के चरणों में सिर नवाया। माता को आश्चर्यचकित देखकर श्री रामजी फिर बाल रूप हो गए। इस अवसर पर पूरा माहौल भक्तिमय लग रहा था, हर श्रद्धालु भगवान राम का नाम सिमरन में लगा था। इस अवसर पर राम जी के भजन व संध्या सीता राम सीता राम सीता राम, सीता राम सीता राम सीता राम, राम नाम बोलो भाई राम नाम बोलो, श्री राम जी की सेना चली, भजन बिना हरी से मिलन न होय, मैं ता राम जी ते सुटिया डोरा आपे बेड़ा पार लांगे, मैनू किसे दिया नहियो लोह्डा आपे बेड़ा पार लागे पर खूब झूमे। इस अवसर पर बसंत गोयल, राजिदर गार्गी, डॉक्टर मक्खण, लेखी, सीमा बहन जी आदि उपस्थित थे।