दवा नहीं, दर्द बांट रहा 3 मंजिल का अस्पताल
एक तरफ प्रदेश सरकार अपनी सफलता के 21 माह पूरे होने के दावे कर रही है तो दूसरी तरफ लोगों का कहना है कि कैप्टन के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही लोगों को मिल रही सभी सहूलियतें बंद हो गई हैं। कांग्रेसी नेता आम आदमी पार्टी की ¨नदा करते दिखाई देते हैं जबकि वहीं आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली में लोगों को सुविधाओं के साथ बागोबाग कर दिया है। प्रदेश सरकार द्वारा मिशन तंदुरुस्त पंजाब शुरू किया गया जिसकी बड़े बड़े होर्डिग्स बोर्ड भी हाईवे व सरकारी दफ्तरों में लगाए गए हैं परन्तु इसकी जमीनी स्तर पर हकीकत देखी जाएं, तो लोग अस्पतालों में मिलने वाली फ्री दवाई को भी तरस रहे हैं।
पुनीत मैनन, तपा (बरनाला) : एक तरफ प्रदेश सरकार अपनी सफलता के 21 माह पूरे होने के दावे कर रही है तो दूसरी तरफ लोगों का कहना है कि कैप्टन के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही लोगों को मिल रही सभी सहूलियतें बंद हो गई हैं। कांग्रेसी नेता आम आदमी पार्टी की ¨नदा करते दिखाई देते हैं जबकि वहीं आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली में लोगों को सुविधाओं के साथ बागोबाग कर दिया है। प्रदेश सरकार द्वारा मिशन तंदुरुस्त पंजाब शुरू किया गया जिसकी बड़े बड़े होर्डिग्स बोर्ड भी हाईवे व सरकारी दफ्तरों में लगाए गए हैं परन्तु इसकी जमीनी स्तर पर हकीकत देखी जाएं, तो लोग अस्पतालों में मिलने वाली फ्री दवाई को भी तरस रहे हैं। यही हाल तपा के करोड़ों रुपये की लागत से बने सब डिविजनल अस्पताल का है। अस्पताल में तीन मंजिल तो है परन्तु सुविधा कोई नहीं। जब दैनिक जागरण की टीम ने अस्पताल की पड़ताल की तो देखा कि जरूरतमंद मरीज फ्री दवाइयों वाले काउंटर पर खड़े होकर फार्मासिस्ट की मिन्नतें कर रहे थे। फार्मासिस्ट मरीजों को बाहर से दवा लेने के लिए कह रहे थे। गौर हो कि विगत 6 माह से अस्पताल में दवाइयों की काफी कमी है।
सवाल यह पैदा होता है कि जब दिल्ली में मुख्यमंत्री अर¨वद केजरीवाल सरकार ने सेहत सुविधा बिल्कुल फ्री कर दी तो प्रदेश सरकार जोकि बड़े बड़े वादे करके सत्ता में आई है वह लोगों को सेहत व शिक्षा सुविधाएं देने में क्यों सुस्त है।
300 की बजाय बचे 5 साल्ट
मुख्य फार्मासिस्ट राकेश कुमार ने बताया कि अस्पताल में तीन सौ से उपर साल्ट फ्री दिए जाते हैं, परन्तु अब उनके पास सिर्फ पांच साल्ट ही बाकी बचे हैं।
250 में खरीदी दवा, इससे अच्छा निजी डॉक्टर से इलाज करवा लेता
दवाई लेने आए एक बुजुर्ग गुरजंट ¨सह ढिल्लवां ने कहा कि उसने बाहर से ढाई सौ रुपये की दवाई खरीदी है। इससे तो अच्छा वह गांव के प्राइवेट डॉक्टर से ही दवा ले लेते।
पीछे से ही सप्लाई कम
इस संबंधी सीनियर मेडिकल अफसर डॉक्टर राजकुमार ने बताया कि दवाइयों की सप्लाई पीछे से ही कम आ रही है।