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परदादा के कर्ज को परपौता तक नहीं चुका पाया, परिवार में छह खुदकुशी के बाद वंश खत्म

बरनाला के गांव भोतना में पिछले 50 वर्षों से पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे कर्ज ने एक परिवार का वंश ही खत्म कर दिया।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Fri, 13 Sep 2019 12:29 PM (IST)Updated: Sat, 14 Sep 2019 08:17 AM (IST)
परदादा के कर्ज को परपौता तक नहीं चुका पाया, परिवार में छह खुदकुशी के बाद वंश खत्म
परदादा के कर्ज को परपौता तक नहीं चुका पाया, परिवार में छह खुदकुशी के बाद वंश खत्म

बरनाला [हेमंत राजू]। बरनाला के गांव भोतना में पिछले 50 वर्षों से पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे कर्ज ने एक परिवार का वंश ही खत्म कर दिया। कर्ज नहीं चुका पाने के कारण परिवार के छह पुरुष किसान अब तक खुदकुशी कर चुके हैं, लेकिन उनका कर्ज खत्म नहीं हुआ। अब परिवार में सिर्फ तीन महिलाएं बची हैं। परदादा से लेकर परपौते तक सभी की मौत हो चुकी है।

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दरअसल, 10 सितंबर को गांव भोतना में इसी परिवार के 21 वर्षीय नौजवान लवप्रीत सिंह उर्फ लब्बू ने खेत में जहरीली स्प्रे पीकर आत्महत्या कर ली थी। अब परिवार में मृतक लवप्रीत सिंह की 70 वर्षीय दादी गुलदीप कौर, 50 वर्षीय माता हरपाल कौर व 23 वर्षीय बहन मनप्रीत कौर ही रह गए हैं। इस दुखद घटना के बाद से उनकी आंखों के आंसू भी रो-रोकर सूख चुके हैं। घर में कोई भी कमाने वाला पुरुष भी नहीं बचा।

गांव भोतना में परिवार की बुजुर्ग गुलदीप कौर ने दैनिक जागरण को बताया कि लवप्रीत के परदादा जोगिंदर सिंह ने आढ़ती से कुछ कर्ज लिया था, जिसे वह चुका नहीं सके थे। उसी कारण 1970 में उन्होंने स्प्रे पीकर जान दे दी। लवप्रीत के परदादा के भाई भगवान सिंह पर इसी कर्ज का भार आ गया और उन्होंने 1980 में फंदा लगा लिया।

दिन-प्रतिदिन लगते ब्याज के साथ कर्ज भी बढ़ता गया और परिवार के सदस्यों आगे बैंक व को-ऑपरेटिव सोसायटी से कर्ज ले लिया। इसेे न चुका न पाने के कारण लवप्रीत के दादा नाहर सिंह ने वर्ष 2000 में, 2010 में लवप्रीत के चाचा जगतार सिंह ने भी खुदकुशीकर ली। मजबूर होकर आखिर लवप्रीत सिंह के पिता कुलवंत सिंह ने 6 जनवरी 2018 व डेढ़ साल बाद यानि 10 सितंबर को परिवार में बचे एकमात्र पुरुष लवप्रीत ने भी जान दे दी। इतनी जानें जाने के बाद भी परिवार पर अब भी 15 लाख का कर्ज बकाया है।

13 एकड़ जमीन रह गई थी आधा एकड़

गुलदीप कौर ने बताया कि लवप्रीत के परदादा जोगिंदर सिंह के पास 13 एकड़ जमीन थी। कर्ज के ब्याज को वापस करने के चक्कर में वे लोग जमीन बेचते गए। अब लवप्रीत के पास केवल आधा एकड़ जमीन ही बची थी, वह भी गहने पर थी। ऊपर से करीब 13 लाख रुपये बैंक, सोसायटी व आढ़ती का कर्ज अलग से था। किसी भी सरकार ने कोई मुआवजा नहीं दिया।

नेताओं के आरोप-प्रत्यारोप

आम आदमी पार्टी के बरनाला से विधायक गुरमीत सिंह मीत हेयर ने बताया कि 6 जनवरी, 2018 को मुख्यमंत्री कै. अमरिंदर सिंह ने मानसा में एक राज्यस्तरीय समारोह में किसानों के कर्ज माफी का एलान किया था। उसी दिन लवप्रीत सिंह के पिता ने जान दी। सरकार ने डेढ़ साल बाद भी कर्ज माफ नहीं किया। कांग्रेस के प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपप्रधान केवल सिंह ढिल्लों ने कहा कि जल्द ही मुख्यमंत्री से मिलकर जो भी सरकारी सहायता होती है, उसे शीघ्र दिलाएंगे। शिअद के जिला प्रधान व पार्षद रमिंदर सिंह रम्मी ढिल्लों ने कहा कि कर्जमाफी का बखान तो किया जा रहा है लेकिन कर्जा माफ नहीं किया गया।

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