Pitru Paksha Shradh 2022: अमावस्या पर एक साथ करें तीन पीढ़ियों का श्राद्ध
Pitru Paksha Shradh 2022 कथाव्यास सुश्री गुंजन वशिष्ठ (श्री धाम वृंदावन वाले) बताते हैं कि पूर्वजों को समर्पित श्राद्ध पूजन करके न केवल उनकी कृपा को प्राप्त किया जा सकता है बल्कि उनकी आत्मा को शांति के लिए भी यह पूजन महत्वपूर्ण है।
हेमंत राजू, बरनाला। Pitru Paksha Shradh 2022: पितृदोष से मुक्ति पाने व उनको समर्पित श्राद्ध पूजन का सनातन धर्म में खास महत्व है। दस सितंबर को शुरू हुए श्राद्ध का पूजन 25 सितंबर तक किया जा सकता है। सनातन धर्म के मुताबिक पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए श्रद्धा के साथ श्राद्ध करना चाहिए। घर में हुई मौत के मुताबिक श्राद्ध करने की तिथि निर्धारित की जाती है। अमावस्या पर तीन पीढ़ियों का श्राद्ध एक साथ कर सकते हैं।
श्राद्ध पूजन करके पूर्वजों का मिलता है आशीर्वाद
कथाव्यास सुश्री गुंजन वशिष्ठ (श्री धाम वृंदावन वाले) बताते हैं कि पूर्वजों को समर्पित श्राद्ध पूजन करके न केवल उनकी कृपा को प्राप्त किया जा सकता है, बल्कि उनकी आत्मा को शांति के लिए भी यह पूजन महत्वपूर्ण है। उनके मुताबिक अंतिम श्राद्ध यानि अमावस्या के दिन एक साथ तीन पीढ़ियों का श्राद्ध किया जा सकता है।
अमावस्या के दिन श्राद्ध करके प्राप्त कर सकते हैं पुण्य
खासकर वह परिवार जिन्हें अपने पूर्वजों के निधन की तिथि का ज्ञान नहीं है, वह अमावस्या के दिन श्राद्ध करके इसका पुण्य फल प्राप्त कर सकते हैं। इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध योग माना जाता है। उन्होंने बताया कि घर में किसी की मौत के बाद पुण्यतिथि होने तक श्राद्ध नहीं किया जाता। इसके बाद निर्धारित तिथि के मुताबिक श्राद्ध किया जाता है।
इन कारणों से लगता है पितृ दोष
-मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार की रस्में विधिवत पूरी नहीं होने के कारण।
- अकाल निधन हो जाने पर परिवार के लोगों को पितृ दोष की संभावना अधिक रहती है।
- मृत्यु के बाद स्वजनों द्वारा पिंडदान, तर्पण व श्राद्ध न करने के कारण।
- नाग या इंसान की हत्या करने पर।
- पीपल, नीम या बरगद का पेड़ काटने या कटवाने पर।
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