ध्यानचंद अवॉर्डी हाकम सिंह के अंतिम संस्कार पर मिला परिवार को इलाज का चेक
एशियन गोल्ड मेडलिस्ट और ध्यानचंद अवॉर्ड पाने वाले हाकम सिंह भट्ठल का मंगलवार को बीमारी के बाद निधन हो गया।
बरनाला [हेमंत राजू]। एशियन गोल्ड मेडलिस्ट और ध्यानचंद अवॉर्डी हाकम सिंह भट्ठल का मंगलवार को बीमारी के चलते निधन हो गया। वह किडनी और लिवर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। बिडंबना देखिए कि पंजाब सरकार ने उनके इलाज के लिए पांच लाख रुपये देने की ग्रांट की घोषणा की थी, लेकिन यह मदद उन्हें जीते जी नहीं मिली, बल्कि मौत के बाद अंतिम संस्कार पर दी गई। प्रशासन ने इलाज का खर्च वहन करने का दावा कर रहा है लेकिन हॉकम सिंह की पत्नी ने कहा कि सिर्फ दवा के पैसे मिल रहे थे, अस्पताल के अन्य खर्च खुद वहन करने पड़े।
देश-दुनिया में पंजाब का नाम रोशन करने वाले हाकम सिंह भट्ठल बीती 18 जुलाई को बीमार हुए थे। उन्हें बरनाला के एक अस्पताल में दाखिल करवाया गया। लेकिन हालत में सुधार न होने पर उन्हें 22 जुलाई को संगरूर के अस्पताल में रेफर किया गया। उनकी बीमारी का पता चलने पर 29 जुलाई को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उनके इलाज के लिए ट्वीट कर पांच लाख रुपये की ग्रांट देने का एलान किया था। इसके बाद एक अगस्त को केंद्रीय खेल मंत्री राज्यवर्धन राठौड़ ने भी ट्वीट कर 10 लाख की मदद देने की घोषणा की थी।
यह राशि तीन के भीतर मिल गई थी लेकिन पंजाब सरकार की तरफ से घोषित राशि जीते जी नहीं मिली। मंगलवार को उनका निधन हो गया। अंतिम संस्कार सरकारी सम्मान के साथ गांव के ही श्मशानघाट में किया गया। इस अवसर सरकार की तरफ से कांग्रेस के सीनियर उपाध्यक्ष केवल सिंह ढिल्लों ने इलाज के लिए घोषित पांच लाख का चेक हाकम सिंह की पत्नी बेअंत कौर, बेटे सुखजीत सिंह व मनप्रीत को दिया। इस मौके पर डीसी धर्मपाल गुप्ता, एसएसपी हरजीत सिंह, केवल सिंह ढि़ल्लों, कांग्रेस के जिला प्रधान मक्खन शर्मा आदि ने भट्ठल को श्रद्धांजलि भी दी।
डीसी धर्मपाल गुप्ता ने कहा कि जिला प्रशासन तथा सरकार की ओर से हाकम सिंह भट्ठल का इलाज करवाया जा रहा था, परंतु हालत गंभीर होने के कारण उनका निधन हो गया। इलाज राशि देने में हुई देरी के सवाल पर उन्होंने बिना जवाब दिए फोन काट दिया।
अंतिम संस्कार में शामिल लोग।
पत्नी ने बेटों के लिए मांगी सरकारी नौकरी, मदद के लिए जागरण का आभार जताया
स्व. हाकम सिंह भट्ठल की पत्नी बेअंत कौर ने कहा कि बेशक सरकार उनके पति का इलाज करवा रही थी। लेकिन सरकार की ओर से सिर्फ दवाइयों का बिल ही दिया जाता था। बेड का खर्च सहित अन्य खर्च करीब 62 हजार रुपये उन्होंने अपनी तरफ से दिए। उनके बेटे सुखजीत सिंह व मनप्रीत पांच-पांच हजार रुपये प्रतिमाह वेतन पर काम कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से बेटों के लिए सरकारी नौकरी की मांग की। साथ ही उन्होंने उनकी समस्या को प्रमुखता से उठाने के लिए दैनिक जागरण का आभार जताया जिस वजह से उन्हें सरकारी मदद मिल सकी।
पंजाब पुलिस में एथलेटिक्स कोच व सेना में भी रहे
देश के लिए मेडल जीतने वाले हाकम सिंह भट्ठल भारतीय सेना का भी हिस्सा रहे। उन्होंने 1972 में 6 सिख रेजिमेंट ज्वाइन की थी। इसके बाद चोट लगने के कारण उन्होंने 1981 में खेलना छोड़ दिया था। वह सेना से 1987 में नायक पद से रिटायर हुए और इसके बाद 2003 तक पंजाब पुलिस में एथलेटिक्स कोच रहे। पंजाब पुलिस से वह 2014 में सेवानिवृत्त हुए।
उपलब्धि
1978 में बैंकाक एशियन गेम्स और 1979 में जापान (टोक्यो) में एशियन ट्रैक एंड फील्ड में गोल्ड मेडल जीतने वाले हाकम सिंह भट्ठल को 2010 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने ध्यान चंद अवॉर्ड से सम्मानित किया था।