युवा डॉक्टर आने को नहीं तैयार, पुराने डॉक्टर्स को एक्सटेंशन से प्यार
सरकारी मेडिकल कॉलेज में शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाने के लिए सरकार कई बार अपनी वचनबद्धता दोहरा चुकी है।
नितिन धीमान, अमृतसर : सरकारी मेडिकल कॉलेज में शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाने के लिए सरकार कई बार अपनी वचनबद्धता दोहरा चुकी है। हालांकि फैकल्टी स्टाफ की कमी के चलते ऐसा संभव नहीं हो पा रहा। मेडिकल कॉलेज तथा इससे सम्बद्ध गुरुनानक देव अस्पताल में युवा डॉक्टर आने को तैयार नहीं, वहीं पुराने डॉक्टर यहां से जाना नहीं चाहते। कॉलेज के कई प्रोफेसर उधार की नौकरी यानी एक्सटेंशन पर चल रहे हैं। ये पुराने प्रोफेसर प्रौढ़ावस्था पर पहंच गए हैं, लेकिन सेवानिवृत्ति नहीं चाहते। हर बार एक्सटेंशन लेकर अपनी सीट पर जम जाते हैं।
पिछले कुछ सालों से सेवानिवृत्ति से पहले ही एक्सटेंशन लेकर कई वरिष्ठ प्रोफेसर अभी भी कॉलेज में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। एक्सटेंशन के लिए इतनी टेंशन लेने की एक वजह यह भी है कि प्रोफेसरों व डॉक्टरों पर सर्जिकल व मेडिसिन विभाग को संचालित करने का दायित्व होता है। गुरुनानक देव अस्पताल की वार्ड्स हमेशा ही मरीजों से खचाखच भरी रहती है। डॉक्टरों को वार्ड पर एकछत्र राज होने के कारण कई दवा कंपनियां उन पर मेहरबान होती हैं। टूर पैकेज, महंगे गिफ्ट, विदेश यात्रा और न जाने क्या क्या, इन डॉक्टरों को दवा कंपनियां एक इशारे पर उपलब्ध करवा देती हैं। दूसरी वजह यह है कि सेवानिवृत्ति के बाद डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस ज्यादा नहीं चल पाती और निजी अस्पताल भी उम्र का हवाला देकर इन्हें नौकरी पर नहीं रखते। यही वजह है कि डॉक्टर मेडिकल कॉलेज में ही जमे रहना चाहते हैं।
मेडिकल कॉलेज एक वरिष्ठ प्रोफेसर इसी वर्ष सेवानिवृत्त हुए। उन्हें यकीन था कि सेवानिवृत्ति के बाद किसी न किसी निजी अस्पताल में नौकरी मिल जाएगी, लेकिन हुआ इसके विपरीत। निजी अस्पताल ने यह कहकर इंकार कर दिया कि आप बहुत सीनियर डॉक्टर हैं और हमारे पास आपकी योग्यतानुसार काम नहीं है। वास्तव में इस डॉक्टर ने मेडिकल कॉलेज में कभी काम को तवज्जो ही नहीं दी। उनकी काम न करने की प्रवृत्ति की जानकारी दूर दूर तक फैली है। यही कारण है कि उन्हें निजी अस्पताल अपनी शरण में लेना नहीं चाहते।
दूसरी तरफ मेडिकल शिक्षा एवं खोज विभाग में नए डॉक्टर ड्यूटी ज्वाइन करने को तैयार नहीं। हालांकि विभाग ने वॉक-एंड-इंटरव्यू का प्रावधान रखा है, लेकिन सरकारी अस्पतालों में व्यवस्थागत खामियों व क्लेरिकल कामों की वजह से युवा डॉक्टर यहां ज्वाइन नहीं कर रहे। इसी मजबूरी के चलते विभाग की ओर से बूढ़े हो चुके प्रोफेसरों को एक्सटेंशन देनी पड़ रही हैं। मेडिकल कॉलेज में स्टाफ की वर्षों से शॉर्टेज रही है। विभाग की ओर से लगातार विज्ञापन जारी कर डॉक्टरों को सरकारी अस्पतालों में आने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, पर युवा डॉक्टरों को निजी अस्पतालों में डेढ़ से दो लाख रुपये प्रतिमाह वेतन मिल जाता है। इसलिए वे सरकारी अस्पतालों की चौखट तक आने को तैयार नहीं। बैठक समय पर नहीं होने से रिक्त हैं कई पद : डॉ. सुजाता शर्मा
मेडिकल कॉलेज की ¨प्रसिपल डॉ. सुजाता शर्मा का कहना है कि डिपार्टमेंट प्रमोशन कमेटी की बैठक समय पर न होने की वजह से कई पोस्ट खाली हैं। इन पोस्ट को न भरा जाए तो कॉलेज में पोस्ट ग्रेजुएशन की सीटें कम हो सकती हैं। युवा डॉक्टर ज्वाइन क्यों नहीं कर रहे, यह विभागीय स्तर का मामला है।