बैग्स की लाइन में है लाइफलाइन
कोरोना काल में बेरोजगार हुए बाहरी राज्यों के श्रमिक घर जाने को बेताब हैं।
रविदर शर्मा, अमृतसर
कोरोना काल में बेरोजगार हुए बाहरी राज्यों के श्रमिक घर जाने को बेताब हैं। मेडिकल स्क्रीनिग करवा गृह राज्य लौटने की उम्मीद में प्रशासन की अव्यवस्थाओं का शिकार हो रहे हैं। श्रमिक पारिवारिक सदस्यों सहित सुबह सेंटरों में पहुंच जाते हैं। सिटी सेंटर स्थित गुरु नानक भवन सेंटर के बाहर मंगलवार दोपहर श्रमिकों के बैग्स की लंबी-लंबी लाइनें नजर आई। कड़कती धूप से बचने के लिए उन्होंने बैग को ही लाइन का हिस्सा बनाया और खुद छांव में खड़े होकर बारी का इंतजार कर रहे थे। उत्तर प्रदेश के जिला गाजीपुर के राम आसरे, रामजी, बसंत और मुन्ना ने बताया कि आज उनकी गाड़ी है। उन्हें सुबह नौ बजे गुरु नानक भवन में बुलाया था मगर मेडिकल दोपहर को किए। वे एक साथी को लाइन में खड़ा कर बाकी सदस्य छांव में आ गए। बारी आने के आधे घंटे के बाद स्क्रीनिग हो गई जबकि गांव के किशन कुमार का टेस्ट नहीं हो सका और उसे घर जाने के लिए अभी इंतजार करना होगा।
इसी तरह उत्तर प्रदेश के जिला सीतापुर के नौशाद, असलम, शकीला बानो, बिमला देवी, राम संजीवन और कमलेश ने बताया कि मेडिकल के लिए चार दिन से गुरु नानक भवन में पहुंच रहे हैं। भीषण गर्मी में बारी के इंतजार के बाद लौट जाते हैं। उन्नाव के संजय और खीरी लखीमपुरा के साबिर अली ने बताया कि आज उनकी ट्रेन है। सुबह से ही मेडिकल के लिए पहुंचे हैं। प्रशासन की अव्यवस्थाओं से दुखी इन लोगों ने बताया कि हमारे लिए कड़कती धूप या भूख और प्यास महत्वपूर्ण नहीं, बल्कि घर पहुंचना जरूरी है।
मेडिकल स्क्रीनिग में यह हुए टैस्ट
मेडिकल टीम ने श्रमिकों के शरीर का तापमान मापा। इसके अलावा सेहत संबंधी बात की गई। उनसे पूछा कि गला तो खराब नहीं या सर्दी-जुकाम या खांसी की शिकायत तो नहीं। इसके बाद ही सर्टिफिकेट जारी किया गया।
रोजाना हो रहे 3200 टेस्ट
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक जिला में बनाए स्क्रीनिग सेंटरों में रोजाना 3200 बाहरी राज्यों के श्रमिकों की मेडिकल स्क्रीनिग की जा रही है। नौ मई से शुरू स्क्रीनिग के दौरान अब तक 23 हजार श्रमिकों व उनके पारिवारिक सदस्यों की जांच की जा चुकी है। इनमें से 21,949 श्रमिक गाड़ियों में जबकि बाकी लोगों को बसों के जरिए भेजा जा रहा है। भीड़ इकट्ठा नहीं हो, इसके लिए आधा दर्जन से ज्यादा स्क्रीनिग सेंटर बनाए हैं। कुछ सेंटरों के बाहर श्रमिकों के पारिवारिक सदस्य ठहरने से भीड़ बढ़ी है। इसके लिए टीम गठित की है जो जांच के बाद ऐसे लोगों को शैल्टर होम में शिफ्ट करेगी।
डॉ. हिमांशु अग्रवाल, अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर, अमृतसर।