कमाने गए थे विदेश, सब-कुछ गंवाकर लौटे स्वदेश
। पंजाब में ट्रैवल एजेंटों का जाल बुरी तरह फैल चुका है। हालांकि सरकार ने फर्जी ट्रैवल एजेंटों को चिन्हित कर इनकी सूची जारी कर दी थी।
नितिन धीमान, अमृतसर
पंजाब में ट्रैवल एजेंटों का जाल बुरी तरह फैल चुका है। हालांकि सरकार ने फर्जी ट्रैवल एजेंटों को चिन्हित कर इनकी सूची जारी कर दी थी। इसके बावजूद पंजाबियों से ठगी का क्रम थम नहीं रहा। ताजा मामला अमृतसर के छेहरटा से संबंधित है। यहां दो युवकों को मलेशिया भेजने के नाम पर तीन लाख रुपये ऐंठे गए। दोनों को मलेशिया भेजा, पर वायदे के अनुसार स्टडी वीजा की बजाय टूरिस्ट वीजा लगवाया गया। दोनों युवक मलेशिया में पुलिस की नजरों में आ गए। भारी भरकम जुर्माना भरा और परिवार की जिदगी भर की जमा पूंजी गंवा बैठे। अमृतसर की एक स्वयंसेवी संस्था ने इन युवकों को मलेशिया से पुन: अमृतसर पहुंचाया।
सुधीर कुमार एवं मनप्रीत सिंह छेहरटा के घनुपुर के रहने वाले हैं। मनप्रीत ने बताया कि वह ज्यादा पढ़-लिख नहीं सका। आर्थिक दृष्टि से कमजोर परिवार को सहारा देने के लिए जगह-जगह नौकरी की तलाश की, पर हर ओर से निराशा ही हाथ लगी। इसके बाद जालंधर के एक ट्रैवल एजेंट के संपर्क में आ गया। ट्रैवल एजेंट ने उससे कहा कि वह उसे स्टडी वीजा पर मलेशिया भेज सकता है। डेढ़ लाख लाख रुपये लगेंगे। इसके बाद सारी जिदगी मोटी कमाई कर सकता है। मनप्रीत के अनुसार उसका दोस्त सुधीर भी बेरोजगार था। हम दोनों ने मलेशिया जाने का निर्णय लिया। ट्रैवल एजेंट ने दोनों से तीन लाख रुपये लिए और अप्रैल 2019 में हमें मलेशिया भेज दिया।
मनप्रीत के अनुसार मैं वेल्डिग का काम जानता हूं और सुधीर इलेक्ट्रिशियन काम। एजेंट ने हमें यही काम मलेशिया में दिलवाने की बात कही थी। मलेशिया पहुंचने के बाद ट्रेवल एजेंट का ही एक कारिदा हमें मिला। उसने हमें एक कारपेंटर की दुकान पर लगवा दिया। मैंने उससे कहा कि हमें वेल्डिंग और इलेक्ट्रिशियन का काम चाहिए, पर कारिदे ने कहा कि यहां यही काम मिलेगा, करना है तो करो, वरना घर जाओ। तीन लाख रुपये उधार लेकर हम मलेशिया आए थे, इसलिए मजबूरी में हमें कारपेंटर के यहां ही काम करना पड़ा। यहां हमसे 18 से 20 घंटे काम लिया जाता था, जबकि ट्रैवल एजेंट ने भारत में हमसे यह कहा था कि उन्हें सिर्फ पांच घंटे काम करना पड़ेगा। तकरीबन एक माह वहां काम करने के बाद एक दिन मलेशिया पुलिस ने हमें देखा और वीजा दिखाने को कहा। हमने वीजा दिखाया तो पुलिस ने कहा कि वह तो टूरिस्ट वीजा है और इसकी समयावधि समाप्त हो चुकी है। पुलिस ने हमें आर्थिक दंड लगाया। हमने किसी तरह पैसों का जुगाड़ कर पुलिस को दिए। कारपेंटर के यहां हमसे हाड़ तोड़ काम करवाया जाता। इसके बदले में प्लास्टिक के गंदे लिफाफे में बासी खाना दिया जाता रहा। इस नारकीय स्थिति से निकलने के लिए हमने अमृतसर की संस्था एंटी क्राइम एंड एनिमल प्रोटेक्शन सेल के प्रधान डॉ. रोहण मेहरा से संपर्क किया।
डॉ. रोहण ने बताया कि इन दोनों युवकों को मलेशिया से लाना टेढ़ी खीर था। हमारी संस्था ने मलेशिया सरकार से संपर्क किया, पर बात नहीं बनी। इसके बाद उस ट्रेवल एजेंट से संपर्क किया जिसने दोनों को मलेशिया भेजा था। पहले तो वह नानुकुर करता रहा, पर जब मैंने उसे एफआईआर दर्ज करवाने की चेतावनी दी तो उसने दोनों युवकों का आउटपास तैयार करवाकर मलेशिया भेजे। एजेंट ने आउटपास तैयार करवाया। इसके बाद दोनों को वहां से निकालकर अमृतसर लाया गया।
डॉ. रोहण ने कहा कि इन दोनों युवकों ने वहां नर्क भोगा है। ट्रैवल एजेंट ने उन्हें गुमराह कर न केवल उनका आर्थिक शोषण किया, बल्कि उन्हें मानसिक प्रताड़ना भी दी। इस मामले की शिकायत हमने थाना छेहरटा पुलिस में कर दी है। बुधवार को पुलिस कमिश्नर से मिलकर कार्रवाई की मांग करेंगे।