पीड़ित परिवारों ने मांगी नौकरी, डीसी बोले-जॉब मेले में जाओ
जौड़ा फाटक के पास हुए रेल हादसे के पीड़ित परिवार मंगलवार को डिप्टी कमिश्नर शिव दुलार सिंह ढिल्लों से मिलने पहुंचे।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : पिछले साल 19 अक्टूबर को दशहरा पर्व पर जौड़ा फाटक के पास हुए रेल हादसे के पीड़ित परिवार मंगलवार को डिप्टी कमिश्नर शिव दुलार सिंह ढिल्लों से मिलने पहुंचे। हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों में से एक-एक सदस्य को नौकरी देने का वादा सरकार द्वारा नौ माह बाद भी पूरा नहीं किए जाने पर भूख हड़ताल की चेतावानी दी। डीसी ने उन्हें बताया कि सरकारी नौकरी देना उनके हाथ में नहीं है। वे लोग चाहें तो सरकार की घर-घर नौकरी योजना के तहत लगाए जाने वाले जॉब मेले में पहुंच नौकरी हासिल कर सकते हैं। इसमें वह उनकी हर तरह से मदद करने को तैयार हैं।
पीड़ित परिवारों में से दीपक, विजय, नवनीत, नंद किशोर, सीमा और मुकेश ने कहा कि पंजाब सरकार ने हादसे के वक्त उन्हें बहुत भरोसा दिया और वादा किया कि पीड़ित परिवारों की हर जरूरत का ध्यान रखा जाएगा। उन्हें नगर निगम व पंजाब सरकार के अन्य विभागों में नौकरी भी दी जाएगी। हादसे के नौ माह बीत जाने के बाद भी पंजाब सरकार ने अपना वादा पूरा नहीं किया। वे लोग दर-दर ठोकरें खाने को मजबूर हो गए हैं। इससे पूर्व सोमवार को वे मेयर कर्मजीत सिंह रिटू से मिले तो उन्होंने पीड़ित परिवारों को डिप्टी कमिश्नर से मिलने को कहा। मेयर ने उन्हें कहा कि अगर जिला प्रशासन इस बाबत उन्हें सर्वे करवा रिपोर्ट देते हैं तो पीड़ित परिवारों को नौकरी देने पर अवश्य विचार करेंगे। आज यहां डिप्टी कमिश्नर उन्हें कह रहें है कि निगम उन्हें यह बताए कि सर्वे किस बात का करवाना है। हादसे की रिपोर्ट देने को वे तैयार हैं मगर हादसे के बारे तो पूरा विश्व जानता है। डीसी ने उन्हें कहा कि जॉब मेले में हिस्सा लेने वाले इच्छुक पीड़ित परिवार एडीसी विशेष सारंगल को मिलें, लेकिन वे सरकार से सीधी नौकरी चाहते हैं। इसके लिए अगर उन्हें भूख हड़ताल पर जाना पड़ा तो वे इसके लिए भी तैयार हैं।
सिद्धू ने भी पीड़ित परिवारों को गोद लेने का वादा पूरा नहीं किया
पंजाब के तत्कालीन कैबिनेट मंत्री व संबंधित हलका से विधायक नवजोत सिंह सिद्धू भी रेल हादसे के वक्त काफी भावुक हो गए थे। इतना ही नहीं सिद्धू की पत्नी डॉ. नवजोत कौर ने भी पीड़ित परिवारों के पास पहुंच कर हर संभव मदद देने का विश्वास दिलाया था। कैबिनेट मंत्री सिद्धू ने तो तब जहां पीड़ित परिवारों को गोद लेने का दावा किया था, वहीं सभी पीड़ित परिवारों में से एक-एक सदस्य को नौकरी देने का भी भरोसा दिलाया। लेकिन, हादसा बीतने के नौ माह बाद भी सिद्धू ने न तो पीड़ित परिवारों में से किसी एक को गोद नहीं लिया और न ही उन्हें नौकरी दिए जाने का वादा पूरा किया।