अमृतसर में फुटपाथों पर लगाए जा रहे वेरका बूथ, गरीब के हक पर हो रहा रईस का 'कब्जा'
अमृतसर के आनंद एवेन्यू में फुटपाथ पर वेरका बूथ लगने पर निगम की ओर से न सिर्फ उसे हटाया गया बल्कि कमिश्नर ने बाकायदा नगर सुधार ट्रस्ट के चेयरमैन को पत्र लिखकर साफ किया कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की वजह से फुटपाथ पर बूथ नहीं लग सकता।
अमृतसर, विपिन कुमार राणा। ऊंची पहुंच रखने वालों के लिए न तो कोई कानून है और न ही उसके कोई मायने। आनंद एवेन्यू में फुटपाथ पर वेरका बूथ लगा तो निगम की ओर से न सिर्फ उसे हटाया गया, बल्कि कमिश्नर ने बाकायदा नगर सुधार ट्रस्ट के चेयरमैन को पत्र लिखकर साफ किया कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की वजह से फुटपाथ पर बूथ नहीं लग सकता।
कमिश्नर की चिट्ठी पर अमल तो नहीं हुआ, पर शहर में ट्रस्ट के एरिया वाले पांच से छह स्थानों पर फुटपाथों पर बूथ जरूर लगा दिए गए। आनंद एवेन्यू के वेरका बूथ का उद्घाटन करने बाकायदा कांग्रेस नेता पहुंचे। वेरका बूथ को लेकर यूं तो कांग्रेसी उदाहरण दे रहे हैं कि गरीब वर्कर सेट किए गए हैं, पर खास बात यह है कि जिन्हें ये बूथ दिए हैं वह खुद शहर के रईस हैं। कांग्रेस के बड़े नेताओं के पैरामीटर पर उन्हीं के वर्कर तंज कस रहे हैं।
चंडीगढ़ ही कर लेते प्रेस कांफ्रेंस
पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू पिछले पौने दो साल से ही सियासी हाशिये पर चल रहे हैं। फिर भी वह अपनी बात रखने का मौका कभी नहीं छोड़ते। फिर चाहे वह बात अपने यूट्यूब चैनल 'जित्तेगा पंजाब' के जरिए कहें या फिर कुछ खास मीडिया वालों से कहें। पिछले दिनों उन्होंने पटियाला में प्रेस कांफ्रेंस की, पर खास बात यह रही कि मीडिया कर्मी चंडीगढ़ से बुलाए।
एक-दो को छोड़कर पटियाला के मीडिया वालों को 'जित्तेगा पंजाब' चैनल से ही पता चला कि पटियाला में चंडीगढ़ का मीडिया बुलाकर प्रेस कांफ्रेंस की गई है। सिद्धू की इस गुगली पर कुछेक ने तो यहां तक कहने से भी परहेज नहीं किया कि अगर कांफ्रेंस चंडीगढ़ की मीडिया के साथ ही करनी थी तो फिर चंडीगढ़ में ही कर लेते। कुछ ने तो यहां तक कहा कि कहीं इसके पीछे पटियाला में सियासी पिच तैयार करने की कवायद तो नहीं है।
अब तो लग गया इलेक्शन कोड
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ हुई बैठक के बाद पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत ङ्क्षसह सिद्धू के कुनबे को बड़ी उम्मीद थी कि अब उनके साहब की सुनी जाएगी। पर नवंबर में हुई बैठक के बाद भी गुरु के हाथ कुछ नहीं लगा। तभी अटकलों का दौर चल रहा था कि कैप्टन अमरिंदर उन्हें देने वाले कुछ नहीं है, बस गेंद उनके पाले में डालकर छोड़ दी है।
उसके बाद शुरू हुए किसान आंदोलन और नगर कौंसिल चुनाव को लेकर लगने वाली आचार संहिता को लेकर पहले ही चर्चाएं चल रही थीं कि अब सिद्धू को कुछ देना कैप्टन के लिए संभव नहीं है। इसके बावजूद सिद्धू कुनबा आश्वस्त था कि उनकी सुनवाई होगी, पर अब जब इलेक्शन कोड लग गया तो सिद्धू के कुनबे को भी सियासी पत्तों का पता चल गया। अब वह खासे मायूस हो गए हैं कि पता नहीं कब उनके आका और उनकी सुनवाई होगी।
अधिकारी की ही सुनवाई नहीं
नगर निगम में लोगों की कितनी सुनवाई होती होगी, इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि विभागीय अधिकारी तो अपने आला अफसरों की भी नहीं सुनते। नगर निगम के एक अहम विभाग में पिछले दिनों एक आलाधिकारी ने मैसेज डालते हुए एक गैर कानूनी निर्माण पर कार्रवाई करने के बारे में पूछा। 24 घंटे तक जब संबंधित विभाग के किसी भी अधिकारी ने कोई जवाब नहीं दिया तो दूसरे अधिकारी ने ग्रुप में मैसेज डालते हुए नाराजगी जताई कि 24 घंटे बाद भी अधिकारी की बात का जवाब नहीं दिया जा रहा।
अधिकारी की फटकार सुनकर विभागीय अधिकारी हरकत में आए और उन्होंने उसका जवाब देते हुए स्टेटस बताया। बात जब निगम गलियारे में लीक हुई तो सभी इसके मजे लेने लग पड़े। बोले, जिस विभाग के अधिकारी आलाधिकारियों की ही नहीं सुनते, वह शहर के लोगों की समस्या क्या सुनते होंगे, इससे ही पता चल जाता है।