अल्ट्रासाउंड मशीन नहीं हुई रजिस्टर्ड, रेडियोलॉजिस्ट ने दिया त्यागपत्र
अमृतसर सरकारी सिस्टम का यह कुरूप चेहरा सिविल अस्पताल में दिखा है।
नितिन धीमान, अमृतसर
सरकारी सिस्टम का यह कुरूप चेहरा सिविल अस्पताल में दिखा है। इस सरकारी अस्पताल में कार्यरत रेडियोलॉजिस्ट ने सिर्फ इसलिए अपने पद से त्यागपत्र दे दिया, क्योंकि वह दो माह से खाली बैठा था। सरकारी औपचारिकताओं के कारण वह अल्ट्रासाउंड मशीन संचालित नहीं कर पा रहा था। ऐसे निराशाजनक माहौल में रेडियोलॉजिस्ट ने खुद को सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं से अलग कर लिया है।
दरअसल, सिविल अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट के रिक्त पद की पूर्ति के लिए स्वास्थ्य विभाग ने दो माह पूर्व डॉ. हर्ष कश्यप को नियुक्त किया था। नियमानुसार किसी भी रेडियोलॉजिस्ट को अल्ट्रासाउंड मशीन संचालित करने का दायित्व सौंपने से पहले उसका रजिस्ट्रेशन किया जाता है। दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग के स्थानीय अधिकारियों ने दो माह बीत जाने के बाद भी अल्ट्रासाउंड मशीन के साथ डॉ. हर्ष कश्यप का रजिस्ट्रेशन न किया। डॉ. हर्ष प्रतिदिन सिविल अस्पताल के अल्ट्रासाउंड रूम में आते थे, पर नियमों का बंधन उन्हें अल्ट्रासाउंड करने की अनुमति नहीं दे रहा था। ऐसे माहौल में वे हताश हो चुके थे। इस संदर्भ में उन्होंने सिविल अस्पताल के सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉ. चरणजीत ¨सह से बात भी की थी कि जल्द से जल्द सरकारी औपचारिकता पूरी की जाए, क्योंकि वे खाली बैठ कर बोर हो चुके हैं। हैरानीजनक पहलू यह है कि एक रेडियोलॉजिस्ट स्वयं बार-बार यह कहता रहा कि उसे काम करने का अवसर दिया जाए, पर ऐसा संभव नहीं हो सका। परिणामस्वरूप डॉ. हर्ष कश्पय ने न चाहते हुए भी स्वास्थ्य विभाग को गुडबाय करने का निश्चय किया।
पचास लाख रुपये सरकार को देने को तैयार
नियमानुसार पीसीएमएस कोटे से पोस्ट ग्रेजुशन करने पर स्वास्थ्य विभाग डॉक्टर से बांड भरता है कि यदि वह दस साल तक सरकारी नौकरी छोड़ता है तो इसकी एवज में उसे पचास लाख रुपये जुर्माना भरना होगा। डॉ. हर्ष ने इस्तीफा देने के साथ ही यह भारी भरकम राशि सरकार को जमा करवाने का निर्णय कर लिया है। सरकारी अस्पतालों में रेडियोलॉजिस्ट का भारी अभाव
पंजाब के सरकारी अस्पतालों में रेडियोलॉजिस्ट का भारी अभाव है। अमृतसर स्थित ईएसआइ अस्पताल की अल्ट्रासाउंड मशीन केवल इस वजह से नहीं चल पा रही क्योंकि रेडियोलॉजिस्ट नहीं। ऐसे हालात में रेडियोलॉजिस्ट का इस्तीफा देना स्वास्थ्य विभाग की कारगुजारी पर ही सवाल उठाता है।
कोट...
डॉ. हर्षदीप ने विभाग को प्रोविजनल डिग्री दी थी। नियमानुसार अल्ट्रासाउंड पर नाम रजिस्ट्रेशन करने के लिए असली डिग्री की अनिवार्यता रहती है। विभाग ने उन्हें कई बार असली डिग्री जमा करवाने को कहा, लेकिन उन्होंने ऐसा करने की बजाय इस्तीफा दे दिया। उनका इस्तीफा सरकार को भेज दिया गया है।
— डॉ. हरदीप ¨सह घई
सिविल सर्जन, अमृतसर।