कोरोना ने दिखाई गांव व कस्बों में डिजिटल भुगतान की राह
। बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों के भी कोरोना पाजिटिव आने के बाद लोगों में भय है। गांवों में भी इसका असर साफ दिख रहा है। लोग कैश से कैशलेस सिस्टम का हिस्सा बन रहे हैं।
जागरण टीम, ब्यास, अजनाला, जंडियाला गुरु
कोरोना महामारी ने लोगों की जीवन शैली बदल दी है। बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों के भी कोरोना पाजिटिव आने के बाद लोगों में भय है। गांवों में भी इसका असर साफ दिख रहा है। लोग कैश से कैशलेस सिस्टम का हिस्सा बन रहे हैं। कोरोना ने गांवों और कस्बों में भी डिजिटल भुगतान की राह आसान कर दी है।
ब्यास में इलेक्ट्रिशियन की दुकान करने वाले हरजिदरपाल ने बताया कि सेना से रिटायर होने के बाद उन्होंने दुकान शुरू की थी। कैश लेनदेन के साथ ही काम किया करते थे। लेकिन 2020 वर्ष शुरू होने के बाद उन्होंने ऑनलाइन बैंकिग के जरिए ग्राहकों से लेनदेन शुरू किया। पूर्व पंचायत सदस्य किसान लखबीर सिंह ने कहा कि नई तकनीक को अपनाना अच्छी बात है, लेकिन इसकी पूरी समझ होना जरूरी है। डिजिटल भुगतान का रुझान बढ़ रहा है, जैसे-जैसे लोग जागरूक होंगे, इसका चलन और बढ़ेगा।
ब्यास निवासी गुरप्रीत कौर ने बताया कि बढ़ती क्राइम ग्राफ के कारण पहले बाजार जाते हुए पर्स छिन जाने का डर लगा रहता था, लेकिन अब कैश लेकर जाने की जरूरत नहीं पड़ती। आधार कार्ड नंबर याद रहता है तथा दुकानदार से सामान लेने के बाद स्कैन डिजी-पे डिवाइस के जरिए डिजिटल भुगतान कर घर लौट आती हूं। पेट्रोल पंप पर स्वाइप मशीन का अधिक इस्तेमाल
अजनाला-अमृतसर मुख्य मार्ग पर स्थित पेट्रोल पंप अजनाला सर्विस स्टेशन के मालिक सोनू बजाज ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र व सीमावर्ती क्षेत्र के लोग पहले नकद राशि का भुगतान करते थे। लेकिन अब लोग स्वाइप मशीन, पेटीएम, फोन पे, आदि के जरिये डिजिटल भुगतान को तरजीह दे रहे हैं।
फतेहगढ़ चूड़ियां रोड पर करियाना की दुकान करने वाले अशोक शर्मा ने बताया कि पहले उन्होंने मोबाइल पर पेटीएम व गूगल पे डॉउनलोड नहीं किए थे। कोरोना के शुरू होते ही उन्होंने दोनों एप डाउनलोड कर लिए। क्योंकि अधिकतर ग्राहक नकद राशि न देकर डिजिटल भुगतान ही कर रहे हैं।
बब्बर बुक डिपो के मालिक हतिदर ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के अधिकतर विद्यार्थी भी अब नकद राशि देने की बजाय विभिन्न मोबाइल एप से डिजिटल भुगतान को ही तरजीह दे रहे हैं। कोई खास फर्क नहीं पड़ा
जंडियाला गुरु में जनरल स्टोर चलाने वाले दुकानदार गुरप्रीत सिंह बॉबी, सुनील जैन पप्पू व अरुण कालिया ने कहा कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद डिजिटल भुगतान के रुझान में कोई खास फर्क नहीं पड़ा। जैसा पहले चल रहा था अब भी तकरीबन वैसा ही हैं। शहरी ग्राहक तो कभी कार्ड से या ऑनलाइन एप से पेमेंट कर जाते हैं, लेकिन ग्रामीण ग्राहक सिर्फ कैश पेमेंट को ही प्राथमिकता देता है।
डिजिटल भुगतान का रुझान बढ़ा है
डीपी इलेक्ट्रॉनिक के मालिक पवन कुमार का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक सामान की कीमत ज्यादा होती है। किश्तें बनवाने के लिए तकरीबन 60 प्रतिशत ग्राहक डेबिट या क्रेडिट कार्ड से ही पेमेंट कर जाते हैं। अनलॉक-1 में डिजिटल भुगतान का रुझान बढ़ा है।
तेल कारोबारी पुनीत जैन व रेडीमेड कपड़ों की दुकान चलाने वाले राजेश कनोजिया कहते हैं कि कोरोना से पहले 10-15 दिन में कोई कोई ग्राहक डेबिट-क्रेडिट कार्ड या ऑनलाइन पेमेंट किया करता था, लेकिन अब दो-तीन दिन में कोई न कोई ग्राहक आ ही जाता है जो ऑनलाइन पेमेंट ही करता है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के मैनेजर विजय कुमार ने कहा कि बैंक में भी ऑनलाइन ट्रांसजेक्शन का रुझान बढ़ है। कोरोना काल में लोग कैश को छूने से डर रहे हैं, इसलिए वे डिजिटल पेमेंट ही कर रहे हैं। इसके अलावा बैंक द्वारा दुकानदारों को सेंट डिजी-पे स्कैन डिवाइस दी जा रही है, जो कि आधार कार्ड से लिक होने के कारण कोई खर्चा नही तथा ऑनलाइन कार्ड 100 प्रतिशत सुरक्षित रहेगा। जंडियाला गुरु के एचडीएफसी बैंक के मैनेजर हरिंदरपाल सिंह ने कहा कि लॉकडाउन के बाद क्रेडिट कार्ड लेने वाले ग्राहकों की कोई खास संख्या नहीं बढ़ी है। कोरियर सेवा के बाधित होने की वजह से भी अभी बैंक की तरफ से ज्यादा क्रेडिट कार्ड जारी नहीं किए जा रहे।