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अमृतसर से अाइएस आतंकियों तक पहुंची दवा की खेप, दो कंपनियों के लाइसेंस रद

पंजाब के अमृतसर से लीबिया में आइएस आ‍तंकियों तक नशे के तौर पर इस्‍तेमाल हाेेन वाली दर्द निवारक दवा ट्रामाडोल पहुंच गई। इस मामले में दो दवा कंपनियों के लाइसेंस रद कर दिए गए हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Thu, 14 Jun 2018 12:07 PM (IST)Updated: Fri, 15 Jun 2018 05:35 PM (IST)
अमृतसर से अाइएस आतंकियों तक पहुंची दवा की खेप, दो कंपनियों के लाइसेंस रद
अमृतसर से अाइएस आतंकियों तक पहुंची दवा की खेप, दो कंपनियों के लाइसेंस रद

जेएनएन, अमृतसर। 2017 में अमृतसर की दो दवा कंपनियों द्वारा तैयार की गई ट्रामाडोल दवा दुबई की बजाय लीबिया भेज दी गई। ये दवा आइएस आतंकियाें तक भेज दिया गया। मामले के उजागर होने के बाद इन कंपनियों के इस दवा को बनाने के लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैैं। आरोप है कि 24 लाख टेबलेट हवाई मार्ग के जरिए इस्लामिक स्टेट के आतंकियों को मिली। यह दवा इस्लामिक स्टेट के आतंकियों तक कैसे पहुंची, इसकी जानकारी किसी को नहीं। इसकी जांच जांच जारी है। यह दर्द निवारक दवा नशे के विकल्‍प के तौर पर इस्‍तेमाल होती है। 

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दुबई की बजाय आइएस आतंकियों तक भेज दी ट्रामाडोल दवा, नशे के तौर पर इस्‍तेमाल होती है

वहीं ड्रग एंड कॉस्मेटिक विभाग ने अमृतसर की दो कंपनियों का ट्रामाडोल बनाने का लाइसेंस रद्द कर दिया है। डिप्टी ड्रग कंट्रोलर गुरविंदर सिंह ने इस बात की पुष्टि की कि यह दवा आइएस आतंकियों तक पहुंची है। जानकारी के अनुसार, ये दोनों कंपनियों ने पिछले वर्ष ये दवाएं दुबई की एक फर्म को भेजी थीं। दुबई की बजाय यह दवा लीबिया पहुंच गईं।

सूचना मिलने पर पंजाब सरकार समेत खुफिया विभाग में हड़कंप मच गया था। मामले की उच्चस्तरीय जांच शुरू की गई। पिछले दिनों चंडीगढ़ से आई ड्रग एंड कॉस्मेटिक विभाग की टीम ने दोनों कंपनियों के मालिकों से पूछताछ भी की। अंतत: विभाग ने फौरी कार्रवाई करते हुए दोनों कंपनियों को ट्रामाडोल दवा बनाने पर रोक लगा दी है।

आइएस आतंकियों के लिए फाइटर है ट्रामाडोल

ट्रामाडोल एक दर्द निवारक दवा है। इसका इस्तेमाल नशे के रूप में भी होता रहा है। ट्रामाडोल को अफीम का विकल्प भी माना जाता है। बताया जा रहा है कि यह दवा इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों की पहली पसंद है। इस्लामिक आतंकी इस दवा को फाइटर कहते हैं। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों की मानें तो इस्लामिक आतंकी इस दवा का बड़ी शौक से सेवन करते हैं। भारत में एक गोली की कीमत तीन रुपये है, जबकि इस्लामिक स्टेट में यह 200 रुपये प्रति गोली बिकती है।

आइएस तक कैसी पहुंची दवा, जांच जारी

डिप्टी ड्रग कंट्रोलर गुरविंदर सिंह ने बताया कि ये कंपनियां अब ट्रामाडोल दवा तैयार नहीं कर पाएंगी। इनका ट्रामाडोल तैयार करने का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। कंपनी द्वारा भेजी गई दवा इस्लामिक आतंकियों के पास कैसे पहुंची, इसकी जांच जारी है। चंडीगढ़ के अधिकारी मामले की हर पहलू से जांच कर रहे हैं। दवा कंपनियों के दस्तावेज भी खंगाले जा रहे हैं।


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