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गले में स्टेथोस्कोप, तन पर एप्रिन; दिल में बसी काली कमाई

नितिन धीमान, अमृतसर गले में स्टेथोस्कोप, तन पर एप्रिन और चेहरे पर रहस्यमयी मुस्कान लिए घूमन

By JagranEdited By: Published: Sat, 26 May 2018 08:44 PM (IST)Updated: Sat, 26 May 2018 08:44 PM (IST)
गले में स्टेथोस्कोप, तन पर एप्रिन; दिल में बसी काली कमाई
गले में स्टेथोस्कोप, तन पर एप्रिन; दिल में बसी काली कमाई

नितिन धीमान, अमृतसर

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गले में स्टेथोस्कोप, तन पर एप्रिन और चेहरे पर रहस्यमयी मुस्कान लिए घूमने वाले गुरुनानक देव अस्पताल के डॉक्टरों की कारस्तानी के नित्य नए किस्से सामने आ रहे हैं। हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव अरोड़ा द्वारा मरीजों से की जा रही लूट ने इस अस्पताल की प्रतिष्ठा को धूल—धूसरित कर दिया है। मरीज को कार्डियक वार्ड में एडमिट करने के नाम पर ही दस हजार रुपये वसूलने वाले इस डॉक्टर ने पूरे चिकित्सा तंत्र को शर्मसार किया है। वहीं, सब कुछ अपनी आंखों से देख लेने के बाद भी अस्पताल प्रशासन तत्काल कार्रवाई में विलंब कर रहा है।

दरअसल, डॉ. राजीव अरोड़ा की वार्ड में दाखिल मरीज वर्षों से आर्थिक शोषण का शिकार होते रहे हैं। ज्यादातर मरीजों को तो यह मालूम भी नहीं कि उनसे जो पैसे लिए जा रहे हैं, वह डॉक्टर की काली कमाई का हिस्सा हैं। मरीज यही सोचते कि शायद सरकार द्वारा निर्धारित की गई फीस ही उनसे ली जाती है। जो जागरूक मरीज विरोध करते, उन्हें उपचार की बजाय दुत्कार मिलती। बीते वीरवार व शुक्रवार को दो मरीजों के साथ डॉ. अरोड़ा ने दु‌र्व्यवहार की सारी हदें लांघ दीं। मरीज कश्मीर ¨सह व नीतिश कुमार को अस्पताल के मेडिकल सुप¨रटेंडेंट डॉ. सु¨रदर पाल ने डॉ. अरोड़ा के पास भेजा था। उन्होंने डॉक्टर से कहा था कि वह इस मरीजों की केयर कर लें। वरिष्ठ अधिकारी का फोन सुनकर डॉ. अरोड़ा आपा खो बैठे। जैसे ही ये मरीज उनकी वार्ड में पहुंचे, डॉक्टर ने उन्हें जमकर खरी-खोटी सुनाई। कहा, तुम सिफारिश लेकर आए हो, मैं सिफारिशियों का इलाज नहीं करता। मरीजों का आरोप है कि डॉ. अरोड़ा उनसे दस हजार रुपये ले चुके थे। मेडिकल सुप¨रटेंडेंट का फोन आने के बाद डॉ. अरोड़ा ने नीतिश कुमार के परिजनों को दस हजार लौटा दिए और उसे सख्ती से वार्ड से बाहर चले जाने को कहा। डॉक्टर को भगवान की संज्ञा देने वाले मरीज डॉ. अरोड़ा का ऐसा रूप देखकर सहम गए। वहीं कश्मीर ¨सह को इंजेक्शन लगाने के नाम पर दस हजार रुपये लेने वाले डॉ. अरोड़ा की शिकायत जब मेडिकल सुप¨रटेंडेंट तक पहुंची तो उन्होंने यह राशि लौटा दी। स्वीकार किया कि मैंने पैसे लिए हैं। डॉक्टर की इस स्वीकारोक्ति के बावजूद अस्पताल प्रशासन ने जांच कमेटी का गठन किया है। यह जांच कमेटी अस्पताल के डॉक्टरों पर ही आधारित है और संभवत: हमेशा ही तरह अपने सहयोगी डॉक्टर के खिलाफ रिपोर्ट नहीं दे पाएगी। बॉक्स.

2016 में दस हजार लिए, माफी मांगकर छुड़ाई जान

आरटीआइ कार्यकर्ता रा¨जदर शर्मा कहते हैं कि डॉ. राजीव अरोड़ा को उन्होंने खुद दस हजार रुपये रिश्वत लेते पकड़ा था। 2016 में डॉ. अरोड़ा ने एक मरीज से इलाज के नाम पर यह राशि ली थी। तब उन्होंने मामले की शिकायत तत्कालीन मेडिकल सुप¨रटेंडेंट डॉ. रामस्वरूप शर्मा से की थी। डॉ. शर्मा ने डॉ. अरोड़ा को उसी वक्त अपने कार्यालय में बुलाकर पूछताछ की तो वह माना कि उसने पैसे लिए थे। डॉ. अरोड़ा ने तब न केवल मरीज को पैसे लौटाए, बल्कि जमीन पर बैठकर माफी भी मांगी थी। रा¨जदर शर्मा के अनुसार यह बात समझ से परे है कि डॉ. अरोड़ा मरीजों से पैसे ऐंठते हैं और खुद स्वीकार भी करते हैं, तो फिर उनके खिलाफ सख्त एक्शन क्यों नहीं लिया जा रहा। इसी वर्ष सांसद गुरजीत ¨सह औजला ने भी डॉ. अरोड़ा को महंगी दवाएं लिखने के कारण कड़ी फटकार लगाई थी। बॉक्स.

शिकायतों का अंबार, कार्रवाई का इंतजार

मेडिकल सुप¨रटेंडेंट डॉ. सु¨रदर पाल ने कहा कि जांच कमेटी अपना काम कर रही है। यकीन मानिए, यदि डॉ. अरोड़ा पर आरोप साबित हुए तो सख्त कार्रवाई होगी।


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