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पराली से बनेगा सपनों का 'महल'

कसानों द्वारा खेतों में पराली को जलाने से शरीर पर होने वाले दुष्प्रभाव को रोकने के लिए विद्यार्थियों ने मंत्र सुझाया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2020 11:38 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 11:38 PM (IST)
पराली से बनेगा सपनों का 'महल'
पराली से बनेगा सपनों का 'महल'

अखिलेश सिंह यादव, अमृतसर : किसानों द्वारा खेतों में पराली को जलाने से शरीर पर होने वाले दुष्प्रभाव को रोकने के लिए विद्यार्थियों ने मंत्र सुझाया है। यह सुझाव किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है। भविष्य में इस प्रोजेक्ट पर अमल हुआ तो किसान पराली से मालामाल होने के साथ पराली से बनने वाली ईंट से सपनों का महल भी तैयार कर पाएंगे। हम इस आविष्कार को कोविड-19 के पॉजिटिव इफेक्ट का नाम भी दे सकते हैं।

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जी हां, डीएवी पब्लिक स्कूल के होनहार तीन छात्रों रचित अग्रवाल, हेमंग गुप्ता व वासु मेहरा ने अटल टिकरिग लैब की इंचार्ज डॉ. रेशम शर्मा की निगरानी में प्रोजेक्ट राइज स्टेबल मैनेजमेंट एंड सस्टेनएबल प्रेक्टिसिस का आविष्कार किया है। रचित 12वीं, हेमंग दसवीं कक्षा और वासु मेहरा आठवीं कक्षा में पढ़ रहे हैं। यह प्रोजेक्ट केंद्र सरकार के नीति आयोग द्वारा आयोजित अटल टिकरिग लैब मेराथन राष्ट्रीय प्रतियोगिता में चयनित हुआ है। पंजाब भर में दस स्कूलों के प्रोजेक्टों को चयनित किया गया है। लॉकडाउन से पहले नीति आयोग द्वारा आयोजित अटल टिकरिग मेराथन 2020 प्रतियोगिता के लिए प्रविष्टि मांगी थी। उसकी घोषणा शनिवार को की गई थी।

खास बात यह है कि इस टीम को नीति आयोग ने ईको इंटीग्रेटर्स का नाम दिया है। इस टीम ने पराली को जलाने से रोकने के लिए सेंसर डिटेक्टिव सिस्टम भी डेवलप किया है। किसी खेत में पराली जलाई जाती है तो उसकी जानकारी तुरंत मुख्यालय में मिलेगी। उसके बाद अधिकारी किसान को जुर्माना नहीं, बल्कि पराली न जलाने के फायदे गिनाएंगे। प्रोजेक्ट के चयन से खुशी की लहर

अटल टिकरिग लैब की इंचार्ज डॉ. रेशम शर्मा ने बताया कि नन्हे वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत से इस प्रोजेक्ट पर वर्क किया। नीति आयोग द्वारा उनके प्रोजेक्ट को चयनित करने से उन्हें व विद्यार्थियों में खुशी की लहर है। ऐसे तैयार होगी पराली से ईंट

डॉ. रेशम के अनुसार पराली को न जलाया जाए तो इससे ईंट तैयार की जा सकती है। पराली में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट के साथ साथ अन्य तत्व मौजूद रहते हैं। इसको चारे के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है। क्ले के साथ पराली को पीस कर केमिकल ट्रीटमेंट से ईंट व पेपर तैयार किया जा सकता है। एक ऐसा प्रोडक्ट जो रॉ मैटीरियल के रूप में प्रयोग होता है। उसे किसान जला रहे हैं।


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