नकली खोये का असली सच, 90 रुपये किलो बिक रहा सफेद जहर
अमृतसर बात पंद्रह साल पुरानी है। अमृतसर में एक आइसक्रीम विक्रेता रेहड़ी लेकर गली-गली घूमता था।
नितिन धीमान, अमृतसर
बात पंद्रह साल पुरानी है। अमृतसर में एक आइसक्रीम विक्रेता रेहड़ी लेकर गली-गली घूमता था। उसने रेहड़ी के फट्टे पर लिखा था- जो खाए मेरा खोया वो ¨जदगी भर न रोया। असल में आइसक्रीम विक्रेता द्वारा लिखे गए ये शब्द खोये से निर्मित आइसक्रीम के शुद्ध होने का सूचक थे। वर्तमान स्थिति में खाद्य पदार्थों खासकर खोये से निर्मित सामान की शुद्धता पर यकीन करना मुश्किल है। दीपावली का त्यौहार मिलावटी मिठाइयों से सज गया है। अमृतसर के ज्यादातर मिठाइयां उस खोये से तैयार की जा रही है जो महज 90 रुपये प्रति किलोग्राम में बिकता है। यह खुलासा स्वास्थ्य विभाग द्वारा हाल ही में गांव मेहता चौक स्थित शाह कोल्ड स्टोर में की गई छापामारी से हुआ है। इस स्टोर में शहर के अलग-अलग मिठाई विक्रेताओं ने 60 ¨क्वटल से अधिक मिठाई स्टोर कर रखी थी। चमचम, लड्डू, बर्फी, कलाकंद, गाजर का हलवा इत्यादि मिठाइयों पर 90 रुपये प्रतिकिलो बिकने वाला खोया मिश्रित था। जिन विक्रेताओं ने कोल्ड स्टोर में मिठाइयां रखवाई थीं उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को बताया है कि वे 90 रुपये प्रति किलोग्राम खोया खरीदकर इससे मिठाई तैयार करवाते हैं।
दरअसल, दीपावली के आगमन से पहले अमृतसर में नकली खोये का कारोबार तेजी से चल रहा है। मिलावट का कारोबार करने वाले दुकानदार इसी खोये से मिठाई बनाकर अंबरसरियों को बेच रहे हैं। जानकारों की मानें तो एक किलो असली खोया तैयार करने में 400 से 500 रुपये की लागत आती है, लेकिन अमृतसर स्थित खोया मंडी व गांवों में यह 90 रुपये किलो में बिक रहा है। अक्टूबर 2017 में स्वास्थ्य विभाग ने अमृतसर के गांव भुल्लर में चार घरों में छापामारी कर नकली खोया तैयार करने वालों का भंडाफोड़ किया था। यहां मिल्क पाउडर व डालडा घी के मिश्रण से नकली खोया बनाया जा रहा था। विभाग ने यहां से एक ¨क्वटल नकली खोया बरामद कर नष्ट किया है। अमृतसर में ऐसे कई गांव हैं जहां नकली खोये का कारोबार बेरोकटोक चल रहा है। यहां से तैयार होने वाला खोया शहर के विभिन्न मिष्ठान भंडारों तक पहुंचता है।
अमृतसर में खोये की सबसे बड़ी मंडी लोहगढ़ में लगती है और यहां आया खोया मात्र दो घंटे में ही बिक जाता है। हर साल स्वास्थ्य विभाग यहां रेड करता है, लेकिन विक्रेता अपना खोया वहीं छोड़ भाग जाते हैं। यहां दुकानें खोलकर बैठे आढ़ती भी इसकी जिम्मेदारी नहीं लेते। उन्होंने अपनी दुकानों पर साफ लिख रखा है कि यहां खोये की मात्र तुलाई होती है। 2017 में ही खोया मंडी में सेहत विभाग की छापामारी के दौरान खोया विक्रेता भाग खड़े हुए थे। हालांकि सेहत विभाग की टीम के साथ आई पुलिस ने दो विक्रेताओं को पकड़ा और खोये के सैंपल भरे। 2016 में सेहत विभाग ने रामतीर्थ रोड पर लावारिस अवस्था में रखा 20 ¨क्वटल खोया बरामद किया था, जिस पर किसी ने मालिकाना हक ही नहीं जताया। इसी तरह सुल्तान¨वड रोड पर नकली खोया तैयार करने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़ भी हुआ था। इन सभी मामलों से स्पष्ट होता है कि खोये में मिलावट की ऐसी कालिख लगी है जो इंसान की ¨जदगी के लिए खतरा है। डालडा और डिटर्जेंट से बना रहे हैं खोया
सामाजिक कार्यकर्ता जय गोपाल लाली के अनुसार खोया व्यापारी ज्यादा मुनाफा कमाने की चाह में लोगों की ¨जदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। डालडा घी, मिल्क पाउडर व डिटर्जेंट का मिश्रण बनाकर खोया तैयार किया जाता है। कुछ स्थानों पर खोये में आलू, मैदा, रवा आदि मिलाकर भी इसकी मात्रा बढ़ाई जाती है। इसका सेवन करने से कैंसर जैसा जानलेवा रोग हो सकता है।
शिकंजा कसा जा रहा है
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. लखबीर ¨सह भागोवालिया ने कहा कि तंदरुस्त पंजाब मिशन के तहत लोगों को गुणवत्ता युक्त खाद्य पदार्थ उपलब्ध करवाने के लिए हम प्रयासरत हैं। नकली खोया तैयार करने वालों के खिलाफ शिकंजा कसा जा रहा है। मेहता चौक में बरामद की गई खोये से बनी मिठाई के सैंपल चंडीगढ़ भेजे गए हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद सख्त एक्शन होगा।