26.5 किलो सरकारी गेहूं को बारी और उसमें भी निकले मिट्टंी-कंकर
आटा-दाल स्कीम के तहत भेजी गई घटिया सरकारी गेहूं से लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है।
नितिन धीमान, अमृतसर : आटा-दाल स्कीम के तहत भेजी गई घटिया सरकारी गेहूं से लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है। पंजाब सरकार की ओर से भेजी गेहूं में कंकर और मिट्टी पाई गई है। उत्तरी विधानसभा क्षेत्र के डिपुओं में आई गेहूं बेहद निम्न स्तर की निकली है।
दरअसल पूर्व की कांग्रेस सरकार की ओर से आटा-दाल स्कीम के तहत मार्च में डिपुओं में गेहूं भेजा गया। डिपो होल्डरों ने इसे अप्रैल में वितरित किया था, लेकिन कई लोगों के पास पहले से गेहूं था, इसलिए उन्होंने इसे खोला नहीं। अब जब उन्होंने इसे खोला तो गेहूं के कई दाने काले निकले और बोरियों में मिट्टी व कंकड़ मिले हैं। डिपो होल्डर तो तीस-तीस किलो वाली पैकिग लोगों को बिना तोले उठवा रहे हैं, पर लोग जब घर जाकर इनकी जांच कर रहे हैं तो इसमें मिट्टंी-कंकड़ मिल रहा है। आटी चक्की से फोन आया, तो बोरी में घटिया गेहूं देख हैरान हुआ
मजीठा रोड पर रहने वाले राजिदर शर्मा ने बताया कि उन्होंने डिपो से गेहूं उठाया और सीधे चक्की में भेज दिया। चक्की वाला जान-पहचान का है। उसने गेहूं देखकर मुझे फोन किया। मैं वहां पहुंचा तो गेहूं देखकर मैं हैरान रह गया। उसमें मिट्टंी के साथ कंकर भी थे। वहीं तीस किलो की यह बोरी आटा चक्की पर तोली तो 26.500 किलोग्राम की निकली। राजिदर के अनुसार उन्होंने इसकी पड़ताल की तो पता चला कि नंगली गोदाम से भेजे जा रहे गेहूं में ऐसी अनियमितताएं हैं। यह संभव है कि वहां के कर्मचारी गेहूं में कंकड़ व मिट्टी मिलाकर इनका वजन बढ़ा रहे हैं। लोहारका रोड स्थित गोदाम में घटिया गेहूं की आपूर्ति का राजफाश हो चुका
लोहारका रोड स्थित पनग्रेन के गोदाम में कई बार घटिया गेहूं की आपूर्ति का राजफाश हो चुका है। पिछले वर्ष आरटीआइ एक्टिविस्ट वरुण सरीन ने बोरियों की जांच की तो इसमें मिट्टी पाई गई। कीड़े भी रेंग रहे थे। जांच में यह सामने आया कि इन बोरियों में से अच्छी क्वालिटी की गेहूं निकालकर उसमें निम्न स्तर की गेहूं और गंदगी डाली गई थी। जो बोरियां बरामद हुईं, उनकी सिलाई खुली हुई थी। डिपो मालिक लोगों को तोलकर नहीं देते गेहूं: संजीव कुमार
भाजपा एससी सेल के जिला अध्यक्ष संजीव कुमार ने कहा कि उनके पास इस तरह की कई शिकायतें आई हैं। जब उपभोक्ता गेहूं की बोरी तोलकर देने को कहता है तो डिपो मालिक कांटा नहीं होने की बात कहकर टरका देते हैं। लाभपात्रियों को सरकारी बोरियों में गेहूं कम होने का पता आटा चक्की पर पहुंचने पर चलता है। हर बोरी में जब तीन से चार किलो तक गेहूं कम निकलता है तो लोग हैरान रह जाते हैं। इस बार कम मिली गेहूं: डिपो होल्डर
डिपो होल्डर सुरिदर महाजन का कहना है कि ढाई क्विंटल गेहूं पीछे से ही कम मिली है। इस संबंध में हमने जिला खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को लिखित शिकायत भेजी है। लोग आकर शिकायत दें: अधिकारी
सहायक खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी सौरभ महाजन का कहना है यदि इस प्रकार की कोई शिकायत है तो लोग उन्हें बता सकते हैं। वह व्यक्तिगत तौर पर मामले की जांच करेंगे। -------------- विभाग ने गेहूं की हर बोरी का वजन कर देने के दिए हैं आदेश
पंजाब सरकार की आटा-दाल स्कीम के तहत गरीबी रेखा से नीचे आने वाले परिवारों के लिए तीस-तीस किलो गेहूं दो रुपये किलो दिया जाता है। सरकारी गोदामों से ही बोरियों में गेहूं पैक होकर गेहूं डिपो तक पहुंचता है। विभागीय इंस्पेक्टर व डिपो मालिक गेट पास के आधार पर इन्हें अपने गोदामों तक ले आते हैं। हालांकि विभाग ने गेहूं की हर बोरी का वजन कर देने के आदेश दे रखे हैं, पर डिपो मालिक लाभपात्रियों को गेहूं तोलकर नहीं देते।