Move to Jagran APP

हवा में घुला पटाखों का जहर, छह दिन बाद भी लोगों पर बरपा रहा कहर

दीपावली को छह दिन बीत चुके हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 05:39 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 05:39 PM (IST)
हवा में घुला पटाखों का जहर, छह दिन बाद भी लोगों पर बरपा रहा कहर
हवा में घुला पटाखों का जहर, छह दिन बाद भी लोगों पर बरपा रहा कहर

नितिन धीमान, अमृतसर : दीपावली को छह दिन बीत चुके हैं। 7 नवंबर को इस पावन पर्व पर जमकर आतिशबाजी हुई थी। निसंदेह, लोग खुशी के इस पर्व को हर्षोल्लास व धूमधाम से मनाते हैं। करोड़ों रुपयों के पटाखे फूंकने वाले अंबरसरिये अब सांस व एलर्जी की तकलीफ से जूझ रहे हैं। पटाखों से उठे धुएं से निकलीं हानिकारक गैसें आज भी हवा में विद्यमान हैं। यही कारण है कि लोगों को कई खतरनाक बीमारियां घेर रही हैं।

loksabha election banner

दरअसल, आतिशबाजी का धुआं हवा में जहर बनकर तैर रहा है। इस धुएं के कारण अस्थमा, चेस्ट एलर्जी, स्किन एलर्जी व आंख की एलर्जी का शिकार मरीजों की संख्या अप्रत्याशित ढंग से बढ़ी है। गुरुनगरी के सिविल अस्पताल, टीबी अस्पताल व गुरुनानक देव अस्पताल में चेस्ट एलर्जी का शिकार मरीजों की संख्या 40 फीसद तक बढ़ी है। टीबी अस्पताल में तो हर रोज 50 मरीज चेस्ट एलर्जी, दमा की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। वहीं सिविल अस्पताल की पीडिएट्रिक वार्ड में खांसी, जुकाम व वायरल का शिकार बच्चे लाए जा रहे हैं। वास्तविक स्थिति यह है कि अमृतसर का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 230 तक पहुंच गया है। यह लोगों के लिए बहुत खतरनाक है। विशेषज्ञों की मानें तो एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 100 से अधिक हो तो यह इंसान को बेदम कर सकता है।

टीबी अस्पताल के प्रभारी डॉ. नवीन पांधी के अनुसार अस्थमा व एलर्जी के मरीजों की संख्या देखकर वह भी हैरान हैं। 100 में से 50 लोगों को यही शिकायत है। बुजुर्गों के साथ-साथ बच्चे भी इन बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि दीपावली की आतिशबाजी के कारण हवा में सल्फरडाईऑक्साइड,साइनेट्स व अन्य हानिकारक गैसें हवा में मिश्रित हो चुकी हैं। ये गैसें तब तक विद्यमान रहेंगी जब तक बारिश नहीं हो जाती।

सिविल अस्पताल के पीडिएट्रिक डॉक्टर संदीप अग्रवाल की मानें तो दीपावली के छह दिन बीतने के बाद भी लोगों को आंखों की एलर्जी, चेस्ट एलर्जी, जुकाम, नोज एलर्जी सता रही है। बच्चों की छाती रुक रही है। हमारे पास जो बच्चे आ रहे हैं उन्हें नेब्युलाइजर दिया जा रहा है। नेब्युलाइजर ऐक ऐसा उपकरण है जो इन्हेलर मेडिकेटिड दवाओं को सीधे फेफड़ों तक पहुंचाकर विषैले तत्वों का खात्मा करता है। इस मौसम में जरूरी है कि बच्चों को घर में ही रखें। यदि बाहर जाना भी पड़े तो उन्हें पूरे कपड़े पहनाएं। चेहरा व सिर ढक कर रखें। नवजात शिशुओं को मां अपने आंचल में रखे। उसे डिब्बा बंद दूध की बजाय मां का दूध ही पिलाएं। उन्होंने स्पष्ट किया कि चेस्ट एलर्जी बच्चों के लिए बेहद खतरनाक है। यदि लंबे समय तक इसका प्रकोप रहे तो बच्चे का दमघुट सकता है। इससे फेफड़ों संबंधी विकार भी उत्पन्न होते हैं। हवा में विद्यमान अनगिनत विषैले तत्व सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंचकर बच्चों को बीमार बना रहे हैं। बच्चों को छाती जाम होना, गले और फेफड़ों में सूजन पैदा होने की शिकायत है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.