तड़प-तड़प कर तोड़ा दम, पोस्टमार्टम में गायों के पेट से निकला 40 से 50 किलो पालीथिन
सिगल यूज प्लास्टिक इंसानों के लिए ही नहीं बल्कि पशुओं के लिए भी जानलेवा है।
नितिन धीमान, अमृतसर: सिगल यूज प्लास्टिक इंसानों के लिए ही नहीं बल्कि पशुओं के लिए भी जानलेवा है। यह बात सभी को समझनी होगी। केंद्र सरकार की ओर से सिगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया है, पर पालीथिन के लिफाफे पहले की तरह बिक रहे हैं। लोग इसका प्रयोग भी कर रहे हैं। अकसर फेंके गए लिफाफे सड़कों पर, गोशालाओं के बाहर और यहां तक कि कूड़े के डंपों पर भी पड़े दिखते हैं।
जब बेसहारा पशु इनमें मुंह मारते हैं तो यह पालीथिन उनके अंदर चला जाता है जो उनके लिए जानलेवा साबित हो रहा है। हाल ही में 88 फुट रोड पर तीन गायों की संदिग्ध रूप से मौत हो गई। पशु प्रेमियों ने जब प्रशासन के सहयोग से इनका पोस्टमार्टम करवाया तो डाक्टर हैरान रह गए। प्रत्येक गाय के पेट से पालीथिन के लिफाफे निकले। एक गाय के पेट में तो 50 किलोग्राम पालीथिन निकला। माना जा रहा है कि यही इनकी मौत की वजह बना है।
दरअसल, प्लास्टिक कचरा प्रबंधन संशोधन नियम-2021 के अनुसार 75 माइक्रोन से कम मोटाई वाले पालीथिन के निर्माण, आयात, भंडारण, बिक्री और उपयोग पर भी प्रतिबंध है। दूसरी तरफ दूध, दही, सब्जियां, फल, किराना, व हर छोटी मोटी वस्तु को 75 माइक्रोन से अधिक मोटाई के लिफाफों में भरकर दिया जा रहा है। अफसोसनाक बात यह है कि इन लिफाफों का प्रयोग करने के बाद लोग यहां-वहां फेंक देते हैं। नगर निगम के 85 वार्डो में सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोग्राम के तहत कचरा उठाने वाली गाड़ियां निर्धारित समय पर पहुंचती हैं, पर निगम की हद के बाहर बाईपास एरिया में बसे बाशिदों को यह सुविधा नहीं। ये लोग घरों का कूड़ा कर्कट पालीथिन बैग में भरकर प्लाटों में फेंक देते हैं। गोशाला में गायों को चारा डालने के बाद वहीं फेंक जाते हैं लिफाफे
यहीं बस नहीं लोहगढ़ स्थित गोशाला में गोवंश को हरा चारा व दाना डालने वाले लोग भी इन्हीं लिफाफों का प्रयोग करते हैं। गोवंश को चारा आदि डालने के पश्चात ये लोग लिफाफों को बाहर ही फेंक रहे हैं। ये लिफाफे बेसहारा भूखे गोवंश निगल रहे हैं। शहर के पुतलीघर क्षेत्र में भी ऐसी ही स्थिति हैं। प्लास्टिक निगलकर ये गोवंश अपनी भूख तृप्त करने की कोशिश करते हैं, पर कुछ दिनों में बीमार होकर मौत की आगोश में समा जाते हैं। अपील: प्लास्टिक के लिफाफों का प्रयोग न करें लोग
एंटी क्राइम एंड एनिमल प्रोटेक्शन एसोसिएशन के चेयरमैन डा. रोहण मेहरा ने कहा कि हमें कई बार सड़क पर बेसुध जानवरों की सूचना दी जाती है। इनके पेट फूले होते हैं। गोवंश बच्चों के प्रयोग किए डायपर तक भी निगल जाते हैं। हम इनका उपचार तो कर देते हैं, पर कुछ समय बाद इनकी मौत की सूचना मिल जाती है। मौत से पहले ये खाना-पीना छोड़ देती हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि ये पालीथिन निगलते हैं। उन्होंने अपील की कि लोग प्लास्टिक के लिफाफों का प्रयोग न करें। इसमें प्रशासन का कोई दोष नहीं। लोग लिफाफों को निर्धारित कूड़ादान के अंदर ही फेंकें। प्लास्टिक किसी के भी पच नहीं सकता
पशु चिकित्सक रमेश अग्रवाल का कहना है कि प्लास्टिक् पचा पाना किसी भी प्राणी के लिए संभव नहीं। प्लास्टिक आंतों में जाकर फंसता है और पच नहीं पाता। कई बार तो प्लास्टिक गले में फंस जाता है। इन दोनों स्थितियों में पशु की मौत होना तय हैं प्लास्टिक बेचने वालों के खिलाफ कार्रंवाई के लिए टीमें बनाई: एक्सईएन
पंजाू प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक्सईएन हरपाल सिंह का कहना है कि अमृतसर में प्लास्टिक तैयार करने वाली फैक्ट्रियां नहीं हैं। इसके बावजूद हमने दो टीमें बनाई हैं जो छापामारी कर रही हैं। कहीं प्लास्टिक लिफाफे तैयार करने वाले पाए गए तो इनके खिलाफ पर्यावरण संरक्षण कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसके तहत एक लाख का जुर्माना व तीन साल का प्रावधान है।