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रेडियो के सुर थे सुरमयी, आज एफएम का जमाना

रेडियो.. स्वर लहरियों को गुंजायमान करने वाला एक उपकरण। पुराने दौर में रेडियो ही इंसान को सुकून देता था।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Feb 2020 11:51 PM (IST)Updated: Wed, 12 Feb 2020 11:51 PM (IST)
रेडियो के सुर थे सुरमयी, आज एफएम का जमाना
रेडियो के सुर थे सुरमयी, आज एफएम का जमाना

नितिन धीमान, अमृतसर : रेडियो.. स्वर लहरियों को गुंजायमान करने वाला एक उपकरण। पुराने दौर में रेडियो ही इंसान को सुकून देता था। हालांकि घर में रेडियो रखने के लिए भारतीय तार अधिनियम 1885 के अंतर्गत डाक विभाग से लाइसेंस लेना पड़ता था। बिना लाइसेंस रेडियो सुनना अपराध था। वायरलेस टेलीग्राफी एक्ट 1933 के अंतर्गत सजा का प्रावधान भी रखा गया था। देश की आजादी में भी रेडियो ने एक संदेशवाहक की भूमिका भी निभाई थी। 13 फरवरी को रेडियो दिवस है। रेडियो तो अब कहीं दिखाई नहीं देता, पर उस दौर में देश को सुरमयी बनाने वाला यही एकमात्र उपकरण था। हाथ में रेडियो लेकर घूमते थे

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पिताजी के पास रेडियो था। पिताजी सुबह शाम रेडियो पर गीत व समाचार सुना करते थे। उनसे पूछे बगैर कोई भी रेडियो को हाथ नहीं लगा सकता था। पिताजी जब घर से निकलते तो मैं रेडियो से छेड़छाड़ शुरू कर देता। बटन घुमा-घुमाकर स्टेशन सेट करता है और गाने सुनता। रेडियो लेकर घर से बाहर चला जाता। दोस्तों के साथ बैठकर हम गीत सुना करते। समय के कालचक्र में रेडियो भी कहीं गायब हो गया। आज रेडियो की जगह मोबाइल ने ले ली है, पर रेडियो सुनने का अलग आनंद था।

- पवन कुंदरा, कारोबारी

तलत महमूद के गानों से मिलता था दिल को सुकून विविध भारती पर तलत महमूद के गाने सुनकर दिल को सुकून मिलता था। मैं रेडियो के बगैर एक पल नहीं रहता था। बिजली चली जाए तो सेल डालकर रेडियो सुनता। विविध भारती पर कोलंबो से एक कार्यक्रम का प्रसारण होता था। इसमें अमीन सैनी एंकर थे। यह कार्यक्रम तो मैं हर हाल में छोड़ता नहीं था। आज तो कार में एफएम है, जिसमें नए व पुराने गाने सुनता हूं। तकनीक के इस युग में लोगों के हाथों में एफएम आ चुका है।

- मायाराम शर्मा, सेवानिवृत्त डीएफएसओ। पूरा परिवार रेडियो के इर्द गिर्द बैठ जाता था

रेडियो पर प्रसारित होने पर छायागीत, हवा महल कार्यक्रम सभी को बहुत पसंद था। कमल शर्मा जैसे प्रस्तुतकर्ता इसे पेश करते थे। उनका अंदाज शायराना था। हमारा पूरा परिवार एक साथ बैठ कर रेडियो सुनता था। गाना बजते ही सारा परिवार चुप हो जाता था। रेडियो सिर्फ एक संगीत उपकरण नहीं, अपितु परिवार को एक सूत्र में भी बांधे रखता था। आज तो सबके मोबाइल में रेडियो का आइकॉन है। सभी कान में हेडफोन लगाकर सुनते हैं। किसी से बातचीत नहीं होती।

- राजिदर शर्मा राजू, दुकानदार अब तो मोबाइल, होम थियेटर व कार ने ली रेडियो की जगह

एफएम में नए व पुराने गीतों का प्रसारण किया जाता है। मोबाइल में एफएम है। अब को होम थिएटर व कारों में भी एमएफ की सुविधा है। बस बटन दबाइए और गाने शुरू। मेट्रो सिटी में दस से ज्यादा एमएफ स्टेशन हैं अमृतसर में भी पांच एमएफ स्टेशन है। एक के बाद एक गाना लगातार चलता है। स्टेशन बदलने के लिए भी सिर्फ एक बटन ही दबाना पड़ता है। लोग एफएम ऑन कर साथ-साथ काम भी निपटा लेते हैं।

— शिव कनौजिया, दुकानदार। विविध भारती था सबकी पसंद

मेरे पिताजी को रेडियो पर विविध भारती पर प्रसारित होने वाला सुगम संगीत कार्यक्रम पसंद था। विविध भारती के उद्घोषक यूनुस खान की दमदार आवाज के बाद प्रसारित होने वाला गीत सुनकर वाकई पूरा परिवार आनंदित हो उठता था। अब एफएम ने भारी बदलाव किया है। बेक टू बेक गाने चलते हैं। आप एफएम स्टेशन पर फोन करके अपनी पसंद का गाना भी लगवा सकते हो।

- कुसुम शर्मा आज भी संभालकर रखा है पुराना रेडियो

बाजार कसेरियां में रहने वाले कांट्रैक्ट चरणजीत लाल ने आज भी रेडियो संभालकर रखा है। 68 वर्षीय चरणजीत लाल का रेडियो प्रेम बहुत गहरा है। वह बताते हैं कि उन्होंने 1984 में रेडियो खरीदा था। कई बार रेडियो खराब हुआ, तो इसे ठीक करवाया। मुझे फरमाइशी गाने बहुत पसंद थे। कई बार अपनी फरमाइश का गाना भी रेडियो पर बजवाया। आज रेडियो के अलावा संगीत सुनने के कई माध्यम घर में मौजूद हैं, पर रेडियो पर संगीत सुनने का जो मजा है वो किसी और माध्यम में नहीं।


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