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सिद्धू की कोठी के पास नहीं पहुंच पाए अध्यापक

पंजाब सरकार की ओर से अध्यापकों की तनख्वाह पर कटौती करने के दिए फरमान के विरुद्ध मंगलवार को एसएसए-रमसा अध्यापकों का गुस्सा एक बार फिर सड़क पर उतरा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 08:22 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 08:22 PM (IST)
सिद्धू की कोठी के पास नहीं पहुंच पाए अध्यापक
सिद्धू की कोठी के पास नहीं पहुंच पाए अध्यापक

संवाद सहयोगी, अमृतसर : पंजाब सरकार की ओर से अध्यापकों की तनख्वाह पर कटौती करने के दिए फरमान के विरुद्ध मंगलवार को एसएसए-रमसा अध्यापकों का गुस्सा एक बार फिर सड़क पर उतरा। अध्यापकों ने बाईपास रोड स्थित होली सिटी कॉलोनी के बाहर देर शाम धरना लगाया और पंजाब सरकार के खिलाफ जबरदस्त नारेबाजी की। इसके बाद अध्यापक रोष मार्च की शक्ल में होली सिटी में स्थित मंत्री नवजोत ¨सह सिद्धू की कोठी का घेराव करने के लिए रवाना हुए। कोठी के घेराव को रोकने के लिए पुलिस ने चाक चौबंद प्रबंध कर रखे थे। प्रदर्शनकारियों को सड़क के एक साइड पर बैरीकेड लगा कर प्रदर्शनकारियों को सिद्धू की कोठी से 100 मीटर पहले ही रोक लिया गया। दूसरी साइड से लगभग 15 महिलाएं व 5 पुरुष प्रदर्शनकारी पुलिस को चकमा देकर सिद्धू की कोठी के समीप पहुंच गयी। 50 मीटर की दूरी पर पुलिस अधिकारियों ने उन्हें भी भाग कर रोका और बैरीकेड के पीछे धकेला। उसके बाद पुलिस कर्मियों ने जहां बैरीकेड नहीं लगे थे वहां मानवीय चेन बनाकर अध्यापकों को आगे बढ़ने से रोका।

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रोष मार्च के दौरान शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार, शिक्षा मंत्री ओपी सोनी व पंजाब सरकार के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे। गले में उन्होंने पंजाब सरकार मुर्दाबाद व तनख्वाह कटौती मंजूर नहीं के पोस्टर लटकाए थे। वक्ताओं ने कहा कि पटियाला में पक्का मोर्चा लगाकर बैठे अपने एसएसए-रमसा साथियों का धरना व्यर्थ नहीं होने दिया जाएगा। वक्ताओं ने कहा कि पंजाब सरकार एसएसए रमसा अध्यापकों से धक्का कर रही है। उन्हें डरा धमका कर चुप करवा रही है। इसे सहन नहीं किया जाएगा। शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार व शिक्षा मंत्री ओपी सोनी पर बरसते हुए नेताओं ने कहा कि दोनों ने अध्यापकों के अधिकारों पर डाका डालने की प्रक्रिया शुरू की है। इन दोनों को शिक्षा विभाग से चलता किया जाए। अपने मांग पत्र में उन्होंने कहा कि एसएसए रमसा अध्यापकों के वेतन में कटौती करने का नोटिफिकेशन रद किया जाए। पिछली सेवाओं का लाभ दिया जाए। पूरी तनख्वाह व सुविधा सहित शिक्षा विभाग में रेगुलर किया जाए। संघर्ष के दौरान दर्ज किए केस व बदली, मुअत्तली रद की जाए। पंजाब की सार्वजनिक शिक्षा व स्कूलों के शिक्षण माहौल को तबाह करने वाले शिक्षा सचिव को बदला जाए। वक्ताओं ने पंजाब सरकार को अपने चुनावी घोषणा पत्र में कच्चे अध्यापकों को पक्का करने के वायदे को याद दिलाया। मांग पत्र में चुनाव मेनीफेस्टो में किए गए वायदों का उल्लेख किया गया।

शिक्षा प्रोवाइडर अध्यापकों, ईजीएस, एसटीआर, एआईई, आईईवी आदि वालंटियर अध्यापकों को रेगुलर करने की भी मांग की। सरकार द्वारा थोपे गए वार्षिक 2400 रुपये जाजिया टैक्स को वापस लेने की मांग की। विभाग से बाहरी व्यक्तियों से करवाई जाती स्कूलों की चे¨कग बंद करके समर्थ अधिकारियों की ओर से ही इंस्पेक्शन की मांग की गई।

इस मौके पर बलकार ¨सह वल्टोहा, सुखराज ¨सह, जरमनजीत छज्जलवड्डी, मंगल ¨सह टांडा, अश्वनी अवस्थी, अर¨जदर कलेर, गुरदीप ¨सह बाजवा, लख¨वदर गिल, मलकीत ¨सह कदगिल, संत सेवक सरकारिया, पुनीत जोशी, सुखराज ¨सह सरकारिया, सतनाम जस्सड़ आदि मौजूद थे।

सिद्धू से 22 नवंबर की मी¨टग

का मिला आश्वासन

तहसीलदार अर्चना शर्मा प्रदर्शनकारियों से मांग पत्र लेने के लिए पहुंची। उन्होंने कहा कि उनकी वरीय अधिकारियों से बातचीत की है और नवजोत ¨सह सिद्धू छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार के लिए गए है। वह 20 या 21 नवंबर को वापस आ जाएंगे। उनकी मी¨टग 22 नवंबर तक करवा दी जाएगी। इसके बाद सांझा अध्यापक मोर्चा के सदस्यों ने धरना उठा लिया।


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