स्वतंत्रता संघर्ष में महान क्रांतिकारी नायक थे सुभाष चंद्र बास: प्रो. दरबारी लाल
पंजाब के पूर्व डिप्टी स्पीकर एवं इतिहास के प्रोफेसर दरबारी लाल ने राष्ट्र के महान नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिवस पर राष्ट्र को बधाई दी है।
संवाद सहयोगी, अमृतसर : पंजाब के पूर्व डिप्टी स्पीकर एवं इतिहास के प्रोफेसर दरबारी लाल ने राष्ट्र के महान नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिवस पर राष्ट्र को बधाई दी है। उन्होंने कहा है कि आजादी में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए राष्ट्र हमेशा उनका ऋणी रहेगा। जब जापान ने 1942 में अंडेमान-निकोबार द्वीप समूह पर कब्जा कर लिया था तो सुभाष चंद्र बोस ने पहली बार भारत का राष्ट्रीय झंडा पोर्ट ब्लेयर में लहराया और राष्ट्रगान भी गाया। इसने पूरे भारत में एक नई क्रांति को जन्म दिया। उन्होने अंग्रेजी, हिदी, तामिल, तेलुगु, गुजराती, पश्तो और अन्य भाषाओं में आजाद भारत के रेडियो स्टेशन से खबरें देनी शुरू कर दी थीं। क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेने पर उन्हें जेल में डाल दिया गया। फिर रिहा होने के बाद उन्होंने महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए हर आंदोलन में अपनी भूमिका अदा की। 1938 में वह पहली बार कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बने। 1939 में गांधी ने पट्टाभी सीतारमईया को प्रधान पद के लिए खड़ा किया। जबकि नेता जी उसके सामने चुनाव लड़े। बास के जीतने से महात्मा गांधी नाराज थे। सुभाष देश में बड़े उद्योग लगाने के पक्ष में थे, जबकि गांधी कूटीर उद्योग के पक्षपाती थे। इस तरह दोनों में मतभेद बढ़ते गए और सुभाष चंद्र ने कांग्रेस छोड़कर दूसरा रास्ता अपनाया।
प्रो. लाल ने कहा कि उनके जन्मदिवस पर सभी मिलकर यह संकल्प लें कि हमारे रास्ते चाहे अलग-अलग हों, परंतु राष्ट्र की एकता, विकास और आपसी भाईचारे का निशाना एक ओर केवल एक हो। यहीं महान नेताओं का संदेश है और यहीं हमारे राष्ट्र के हित में है।