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आवारा कुत्तों का प्रहार, बिना इंजेक्शन सेहत विभाग लाचार

आवारा कुत्तों की खौफनाक गुर्राहट से निजात दिलाने में सरकार असमर्थ साबित हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 12:58 AM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 06:10 AM (IST)
आवारा कुत्तों का प्रहार, बिना इंजेक्शन सेहत विभाग लाचार
आवारा कुत्तों का प्रहार, बिना इंजेक्शन सेहत विभाग लाचार

नितिन धीमान, अमृतसर

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आवारा कुत्तों की खौफनाक गुर्राहट से निजात दिलाने में सरकार असमर्थ साबित हो रही है। इतना ही नहीं सरकारी अस्पतालों में भी एंटी रैबीज इंजेक्शन खत्म हो चुके हैं। हालात ये हैं कि रोजाना 40 से 50 मरीज कुत्ते के काटने से अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। इंजेक्शन न होने के कारण उन्हें इलाज नहीं मिल रहा।

शहर के दोनों बड़े अस्पतालों सिविल अस्पताल, गुरुनानक देव अस्पताल सहित सभी प्राइमरी हेल्थ व कम्युनिटी हेल्थ सेंटर्स में टीकों की एक भी डोज उपलब्ध नहीं है। स्थिति इतनी विकराल है कि जिन लोगों को पूर्व में आवारा कुत्तों ने काटा था, उन्हें भी इंजेक्शन नहीं मिल रहे। दरअसल, सिविल अस्पताल में एक सप्ताह पूर्व एंटी रैबीज खत्म हुए हैं। गुरुनानक देव अस्पताल में तकरीबन पंद्रह दिन से स्टॉक नहीं है। स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिए एंटी रैबीज इंजेक्शन निशुल्क उपलब्ध करवाने की नियम बनाया है। इन अस्पतालों में सिर्फ आधार कार्ड की प्रति जमा करवाकर इंजेक्शन लगवाया जा सकता है। निजी अस्पतालों में यह इंजेक्शन साढ़े तीन सौ रुपये में मिलता है। आवारा कुत्तों के नोंचे गए इंसान को एक माह में पांच इंजेक्शन लगवाने पड़ते हैं।

एक महीने में पांच टीके लगवाना है जरूरी

आवारा कुत्तों पर नियंत्रण पाने में नगर निगम प्रशासन नाकारा साबित हुआ है। गली-मोहल्लों और पार्कों में आवारा कुत्ते दनदना रहे हैं। हर रोज 40 से 50 लोगों को कुत्ते अपने नुकीले दांतों व पंजों से जख्मी कर अस्पताल की राह दिखा रहे हैं। ये लोग सरकारी अस्पतालों में पहुंचते हैं, लेकिन इंजेक्शन न होने की वजह से इन्हें लौटा दिया जाता है। आवारा कुत्ते के काटने के चौबीस घंटे के भीतर पहला इंजेक्शन लगाना जरूरी है। इसके बाद तीसरे, सातवें, चौदहवें व अंत में अठाइसवें दिन इंजेक्शन लगाना अनिवार्य है। यदि एक भी इंजेक्शन नहीं लग पाया तो मरीज को भविष्य में हलकाय की बीमारी से जूझना पड़ सकता है। मरीज तो डॉक्टर की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन इंजेक्शन का स्टॉक विभागीय स्तर पर नहीं भेजा जा रहा।

वीवीआइपी की सिफारिश पर मिल जाता है टीका

एंटी रैबीज इंजेक्शन अब वीवीआइपी हो गया है। वीवीआइपी के कहने पर कथित तौर पर सरकारी अस्पतालों में इंजेक्शन मिल रहा है, जबकि आम जनता का साफ तौर पर इन्कार कर दिया जाता है। सिविल अस्पताल प्रशासन ने बीते सोमवार को वेरका स्थित वेयर हाउस से कुछ इंजेक्शन मंगवाए हैं। पर ये इंजेक्शन उन लोगों के लिए हैं जो किसी राजनेता अथवा असर-रसूख वाले व्यक्ति का फोन करवा दे।

अस्पतालों में जल्द पहुंचेगा स्टॉक : डॉ. अरुण शर्मा

सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉ. अरुण शर्मा का कहना है कि हम प्रयास कर रहे हैं कि जल्द से जल्द एंटी रैबीज इंजेक्शन मिल जाएं। विभागीय उच्चाधिकारियों को इस बाबत अवगत करवा दिया गया है।


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