'वर्तमान समय में लोग नहीं सरकार बीमार'
अमृतसर सेहत सेवाओं को निजी क्षेत्र में धकेलने आम जनता के साथ बड़ा धोखा है।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
सेहत सेवाओं को निजी क्षेत्र में धकेलने आम जनता के साथ बड़ा धोखा है। क्योंकि निजी क्षेत्र के सेहत सिस्टम के हाथ खून से रंगे हुई नजर आ रहे हैं। देश की जनता को सरकार की तरफ से बढि़या व सस्ती सेहत सहूलियतें मुहैया करवाने के मकसद से विरसा विहार में फोक्लोर रिसर्च अकादमी की तरफ से विशेष सेमिनार आयोजित करवाया गया। अकादमी के प्रधान रमेश यादव की अध्यक्षता में इंडियन डॉक्टर फार पीस एंड डेवलेपमेंट, अलायंस आफ डाक्टर्स फार एथिकल केयर व विरसा विहार के सहयोग से देश की वर्तमान सेहत स्थिति पर आधारित सेमिनार में डा. अरुण मित्रा, डा. तेजबीर ¨सह व प्रोफेसर डा. श्याम सुंदर दीप्ती मुख्य वक्ता के तौर पर पहुंचे। इस मौके पर भूपेंद्र ¨सह संधू, डा. इंद्रजीत गिल, कमल गिल, कर्मजीत कौर जस्सल, दस¨वदर कौर, हरजीत ¨सह सरकारिया, अमरजीत आंसल, लखबीर ¨सह निजामपुरा, प्रोफेसर बलदेव ¨सह वेरका, विजय कुमार, डा. रश्मि नंदा, प्रोफेसर मधु शर्मा, सुखबीर ¨सह, गुरप्रीत ¨सह, डा. प्रभजोत कौर, डा. हीरा ¨सह, दिलबाग ¨सह सरकारिया, दलजीत ¨सह बेदी, शमशेर ¨सह कोहरी, अशोक शर्मा, गुरदेव ¨सह आदि मौजूद थे।
कर्ज लेकर लोग करवाते हैं इलाज
डा. अरुण मित्रा ने कहा कि दवाईयों की कीमतों में 900 प्रतिशत इजाफा जनता की लूट है। अस्पतालों में 67 प्रतिशत खर्चा दवाईयों पर हो रहा है। देश के 52 प्रतिशत लोग अपनी बीमारी का कर्ज लेकर सेहत का इलाज करवा रहे हैं।
लोगों की खरीद शक्ति से बाहर दवाईयां
डा. तेजबीर ¨सह ने कहा कि सेहत सेवाओं को संविधान का अंग बनाया जाए, तो ही दवाईयां लोगों की खरीद शक्ति में आ सकती हैं। उन्होंने कहा कि बीमार न होना सेहत है न कि बीमार लोगों की सेहत संबंधी काम करना सेहत नहीं है।
कामकाजी इंसान रहता है सेहतमंद
डा. कर्मजीत ¨सह ने लोगों को दवाईयां को डाक्टरों की सलाह के बिना खाने का निमंत्रण दिया। उन्होंने कहा कि सेहत सावधानियों के साथ-साथ कामकाज अपने हाथों से करने की सलाह भी दी, जोकि सेहतमंद इंसान की पहचान है।
सेहत सहूलियतों में सरकार है असफल
प्रोफेसर डा. श्याम संदर दीप्ती ने कहा कि सरकार ने साल-1983 में एक लक्ष्य निर्धारित किया था कि साल-2000 तक देश के सभी लोगों को सरकार सेहत सहूलियत मुहैया करवाएगी, मगर सरकार अपने फैसले में असफल ही रही है।