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लैबोरेटरीज पर मंदी की मार, पर सरकार डाल रही पैथोलॉजिस्ट का भार

नितिन धीमान, अमृतसर : हरियाणा के बाद अब पंजाब की लैबोरेटरी पर भी खतरे के बादल मंडरा रह

By JagranEdited By: Published: Wed, 07 Feb 2018 06:37 PM (IST)Updated: Wed, 07 Feb 2018 06:37 PM (IST)
लैबोरेटरीज पर मंदी की मार, पर सरकार डाल रही पैथोलॉजिस्ट का भार
लैबोरेटरीज पर मंदी की मार, पर सरकार डाल रही पैथोलॉजिस्ट का भार

नितिन धीमान, अमृतसर : हरियाणा के बाद अब पंजाब की लैबोरेटरी पर भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए गए क्लिनिकल स्टेबलिशमेंट एक्ट के मुताबिक लैबोरेटरीज पर एमडी-पैथोलॉजिस्ट की नियुक्ति अनिवार्य रूप से करने के आदेश हैं।

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दूसरी तरफ लेबोरेटरी संचालकों का तर्क है कि पैथोलॉजिस्ट को वेतन देना उनके लिए टेढ़ी खीर होगा। यदि सरकार ने गाइडलाइन में बदलाव न किया तो निश्चित ही लैबोरेटरीज बंद हो जाएंगी। पंजाबभर में तकरीबन एक लाख लेबोरेटरी हैं। एक लेबोरेटरी पर चार से पांच टेक्निशियन काम करते हैं। ये टेक्निशियन ही मरीजों की जांच करने के बाद रिपोर्ट तैयार करते थे। अब केंद्र सरकार ने रिपोर्ट तैयार करके उस पर हस्ताक्षर करने का अधिकार पैथोलॉजिस्ट को दिया है। सरकार के इस फैसले के बाद निजी लैबोरेटरी संचालकों में खासा रोष है। लैबोरेटरी में ज्यादातर मरीजों का 200 से 400 रुपये तक का टेस्ट होता है। महंगे टेस्ट करवाने के लिए लोग आते भी नहीं। पहले से मंदी की मार झेल रही लैबोरेटरीज में पैथोलॉजिस्ट का वेतन निकाल पाना ही मुमकिन नहीं।

पंजाब मेडिकल लैबोरेटरी एसोसिएशन के चेयरमैन सोमेश गुप्ता का कहना है कि क्लिनिकल स्टेबलिशमेंट एक्ट के संदर्भ में लेबोरेटरी संचालकों में कई भ्रांतियां हैं। केंद्र सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन कहती है कि लेबोरेटरी में एमबीबीएस डॉक्टर की तैनाती की जाएगी, जबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि पैथोलॉजिस्ट रखा जाए। वैसे एमबीबीएस अथवा पैथोलॉजिस्ट को नौकरी देना हमारे वश में नहीं।

लैबोरेटरी को कौंसिल के दायरे में लाया जाए

उन्होंने कहा कि लैबोरेटरी कारोबार से जुड़े लोगों के संरक्षण व गाइडलाइन के लिए लैबोरेटरी कौंसिल का गठन किया जाए। जिस प्रकार देश में नर्सिंग कौंसिल है, फार्मेसी कौंसिल है, डेंटल कौंसिल है, उसी प्रकार लैबोरेटरी को भी कौंसिल के दायरे में लाया जाए। इससे काम में पारदर्शिता आएगी और लैबोरेटरी संचालकों को अपनी बात रखने का मंच भी मिलेगा।

लैबोरेटरी में कार्यरत कर्मचारी होंगे बेरोजगार

एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष डॉ. सुभाषा थोबा का कहना है कि केंद्र सरकार लैबोरेटरी में कार्यरत कर्मचारियों को बेरोजगारी की भट्ठी में झोंकने की तैयारी कर रहे हैं। लैबोरेटरी में जो टेक्निशियन मरीज की जांच करता है, वह रिपोर्ट भी सही देता है। ऐसे में एमडी-पैथोलॉजिस्ट की तैनाती का क्या औचित्य है। हरियाणा में यह सरकारी नियम लागू हो चुका है। वहां लेबोरेट्रीज तेजी से बंद हो रही है।


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