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SGPC सदस्यों को मिली धार्मिक सजा, एक माह तक नहीं हों सकेंगे किसी कार्यक्रम में शामिल

श्री गुरु ग्रंंथ के गायब हुए स्वरूपों के मामले में एसजीपीसी सदस्यों को एक माह तक कार्यक्रम में शामिल न होने की सजा सुनाई गई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 19 Sep 2020 10:28 AM (IST)Updated: Sat, 19 Sep 2020 10:28 AM (IST)
SGPC सदस्यों को मिली धार्मिक सजा, एक माह तक नहीं हों सकेंगे किसी कार्यक्रम में शामिल
SGPC सदस्यों को मिली धार्मिक सजा, एक माह तक नहीं हों सकेंगे किसी कार्यक्रम में शामिल

जेएनएन, अमृतसर। श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पावन स्वरूपों के मामले में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) की मौजूदा व पूर्व कार्यकारिणी ने शुक्रवार को श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश होकर अपनी गलती स्वीकार की और क्षमा मांगी। श्री अकाल तख्त साहिब ने सभी को एक माह तक किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल न होने के अलावा गुरुद्वारा रामसर साहिब व श्री हरिमंदिर साहिब में सेवा की धार्मिक सजा सुनाई।

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गौरतलब है कि वर्ष 2016 में श्री हरिमंदिर साहिब के साथ गुरुद्वारा श्री रामसर साहिब में शॉर्ट सर्किट से आग लग गई थी। इससे श्री गुरु ग्रंथ साहिब के कई पावन स्वरूपों को नुकसान हुआ था। SGPC के रिकॉर्ड में 382 पावन स्वरूप गायब पाए गए थे।

मास्क हटाकर संगत को चेहरा दिखाएं, गलती स्वीकारें

श्री अकाल तख्त साहिब ने शुक्रवार को SGPC के अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल व कार्यकारिणी सदस्यों को श्री हरिमंदिर साहिब की परिक्रमा करके अकाल तख्त पर पेश होने को कहा। साथ ही कहा कि सभी दोषी मास्क व रूमाल हटाकर अपने चेहरे संगत को दिखाएं। अपनी गलती स्वीकार करें। उन्हें सहज पाठ करवाने व गुरुद्वारा साहिब सफाई की सेवा निभाने के आदेश भी दिए।

लंगाह से संबंध रखने पर भी धार्मिक सजा

पंथ से निष्कासित शिरोमणि अकाली दल के नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री सुच्चा सिंह लंगाह से संबंध रखने वालों को 1100 रुपये की कड़ाह प्रसाद की देग करवाने (प्रसाद भेंट करने) व 1100 रुपये श्री अकाल तख्त साहिब के दानपात्र में जमा करवाने समेत सहज पाठ, पांच दिन एक घंटा सेवा, कीर्तन श्रवण की धार्मिक सजा सुनाई। श्री हरिमंदिर साहिब परिसर में एक निहंग की पगडिय़ां उतारने को पांच प्यारों के सामने पेश कर सजा सुनाई जाएगी।

SGPC के वरिष्ठ उपाध्यक्ष मेहता ने दिया इस्तीफा

SGPC के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रजिंदर सिंह मेहता ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है। धार्मिक सजा के अनुसार कार्यकारिणी के किसी भी सदस्य को एक वर्ष किसी पद पर तैनात न करने और किसी कमेटी में शामिल न करने को कहा गया है। इसी लिए उन्होंने त्यागपत्र दे दिया।


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