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एसजीपीसी ने बाबा जगतार का माफीनामा किया अस्वीकार

गुरुद्वारा दरबार साहिब तरनतारन की दर्शनीय ड्योढ़ी को गिराने का मामला राजनीतिक रंगत लेने के बाद एसजीपीसी इस मुद्दे पर सख्त हो गई है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Apr 2019 11:59 PM (IST)Updated: Wed, 03 Apr 2019 11:59 PM (IST)
एसजीपीसी ने बाबा जगतार का माफीनामा किया अस्वीकार
एसजीपीसी ने बाबा जगतार का माफीनामा किया अस्वीकार

जागरण संवाददाता, अमृतसर : गुरुद्वारा दरबार साहिब तरनतारन की दर्शनीय ड्योढ़ी को गिराने का मामला राजनीतिक रंगत लेने के बाद एसजीपीसी इस मुद्दे पर सख्त हो गई है। गत रात्रि कार सेवा वाले बाबा जगतार के समर्थकों की ओर से एक वीडियो वायरल कर एसजीपीसी को कटहरे में खड़े करने की कोशिश को एसजीपीसी के मुख्य सचिव ने पूर्ण रूप में रद्द कर दिया।

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एसजीपीसी के मुख्य सचिव डॉ. रूप सिंह ने कहा कि गत दिवस बाबा जगतार सिंह कार सेवा वालों के समर्थकों ने एक वीडियो वायरल की है। इसमें बाबा के समर्थकों ने एसजीपीसी को दोषी सिद्ध करने की कोशिश की है, जबकि बाबा के समर्थकों की ओर से माफी नामे की आड़ में एसजीपीसी के पहले प्रस्ताव का हवाला दिया गया है। वहीं प्रस्ताव नंबर 765 जो 18 अक्टूबर 2018 को जारी कार सेवा बंद करने संबंधी जारी किया गया था उसका जिक्र न करके संगत संगत को गुमराह किया गया है। बाबा जगतार सिंह की ओर से 14 सितबर 2018 को कार सेवा शुरू करवाई गई थी। इस दौरान भी बाबा के समर्थकों ने गलतियां की थीं। संगत का रोष पैदा हुआ था और अक्टूबर 2018 में कार सेवा रोक दी गई थी। रात के अंधेरे में बाबा के समर्थकों ने एसजीपीसी को नोटिस में लाए बिना ही दर्शनीय ड्योढ़ी को गिरा दिया। इसका खुलासा जल्दी ही जांच के बाद सब के सामने आ जाएगा। बाबा का माफी नामा स्वीकार नहीं हो सकता। सोशल मीडिया पर यह माफीनाम न तो एसजीपीसी को और न ही श्री अकाल तख्त साहिब को संबोधित है।

आरोपियों को दी जाएंगी सख्ता सजाएं : डॉ. रूप सिंह

डॉ. रूप सिंह बताया कि एसजीपीसी के अध्यक्ष गोबिद सिंह लोंगोवाल के आदेशों पर ड्योढ़ी गिराने के मामले की जांच के लिए बनाई गई जांच कमेटी गंभीरता के साथ जांच कर रही है। मामले की जांच के दौरान अगर कोई भी एसजीपीसी का कर्मचारी शामिल पाया गया तो उसे किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। आरोपियों को सख्त से सख्त सजाएं दी जाएंगी। वहीं भविष्य में इस तरह की कोई घटना दोबारा न हो इस को मुख्य रखते हुए एसजीपीसी एक विरासती कमेटी का गठन करेगी। इसमें पुरातत्व विभाग के महिर, पुरातत्व इमारतों की कला के साथ संबंधित तकनीकी माहिरों को भी शामिल किया जाएगा।


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