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सुरजीत पातर से गीत तैयार करवा जीएनडीयू में लागू करने पर एसजीपीसी ने जताई आपत्ति

अमृतसर गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी की ओर से कवि सुरजीत पातर से गीत तैयार करवा कर जीएनडीयू में लागू किया गया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Mar 2019 12:34 AM (IST)Updated: Thu, 21 Mar 2019 12:34 AM (IST)
सुरजीत पातर से गीत तैयार करवा जीएनडीयू में लागू करने पर एसजीपीसी ने जताई आपत्ति
सुरजीत पातर से गीत तैयार करवा जीएनडीयू में लागू करने पर एसजीपीसी ने जताई आपत्ति

जागरण संवाददाता, अमृतसर

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गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी की ओर से कवि सुरजीत पातर से गीत तैयार करवा कर जीएनडीयू में लागू किया गया है। अब हर कार्यक्रम व सेमिनार की शुरूआत पर विश्वविद्यालय का गीत गाना अनिवार्य होगा। इससे पहले विश्वविद्यालय में देहि शिवा वर मोहि ईहै..शबद का गायन किया जाता रहा है। वहीं, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने इसका विरोध किया है। जीएनडीयू के इस फैसले को एसजीपीसी ने सिख कौम विरोधी बताया है। एसजीपीसी के मुख्य सचिव डॉ. रूप सिंह ने जीएनडीयू अधिकारियों के फैसले पर एतराज जताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय को यह फैसला तुरंत वापस लेना चाहिए। सिख कौम के अंदर पहले ही कई विवाद चल रहे हैं। इसलिए विश्वविद्यालय को कोई नया विवाद नहीं शुरू करना चाहिए। गुरु साहिब की ओर से रचित शबद की जगह किसी व्यक्ति विशेष की ओर से लिखे शब्द को विश्वविद्यालय की धुन के रूप में लागू करना पूरी तरह गलत है। उधर, जीएनडीयू के वीसी डॉ. जसपाल सिंह ने कहा कि हर विश्वविद्यालय का अपना गीत होता है। हमने भी जीएनडीयू का गीत सुरजीत पातर से तैयार करवाया गया है और इसे लागू किया गया है। गुरु साहिब की ओर से रचित शबद को बैन नहीं किया गया है। गुरु साहिब के शबद का तो छात्र कभी भी गायन कर सकते हैं।


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