एसजीपीसी ने हमेशा धार्मिक व सामाजिक कार्यो में निभाई भूमिका: लोंगोवाल
अमृतसर : वर्ष 1920 में अनेक कुर्बानियों के साथ स्थापित की गई शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का स्थापना दिवस एसजीपीसी के कर्मचारियों और अधिकारियों की ओर से संयुक्त रूप में शुक्रवार को मनाया गया। कार्यक्रम के दौरान एसजीपीसी के अध्यक्ष गो¨बद ¨सह लोंगोवाल ने कहा कि एसजीपीसी का शानमई व कुर्बानियों वाला इतिहास है। एसजीपीसी आज एक सदी का सफर पूरा करने जा रही है।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
वर्ष 1920 में अनेक कुर्बानियों के साथ स्थापित की गई शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का स्थापना दिवस एसजीपीसी के कर्मचारियों और अधिकारियों की ओर से संयुक्त रूप में शुक्रवार को मनाया गया। कार्यक्रम के दौरान एसजीपीसी के अध्यक्ष गो¨बद ¨सह लोंगोवाल ने कहा कि एसजीपीसी का शानमई व कुर्बानियों वाला इतिहास है। एसजीपीसी आज एक सदी का सफर पूरा करने जा रही है।
लोंगोवाल ने कहा कि सिख धर्म के प्रचार व प्रसार में एसजीपीसी की विशेष भूमिका रही है। उन्होंने एजसीपीसी की स्थापना से लेकर आज तक का इतिहास सांझा करते हुए कहा कि गुरुद्वारों में सुधारों व एक समान पंथक मर्यादा लागू करने में एसजीपीसी ने विशेष योगदान डाला है। वहीं सिख धर्म में धार्मिक , आर्थिक, समाजिक और जन भलाई के काम करने में भी एसजीपीसी ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। उन्होंने कहा कि जब भी सिखों का कोई मामला समाने आता है तो एसजीपीसी ने सब से पहले मुश्किलों को हल करने के लिए भूमिका निभाई है। एसजीपीसी ने सिख कौम के लिए संघर्षशील नेता भी पैदा किए है। यह सिखों की एक ही ऐसी संस्था है जिस ने सिखों की मुश्किलों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हल करने में योगदान डाला है। उन्होंने कहा कि भविष्य में एसजीपीसी स्थापना दिवस को भव्य रूप में आयोजित किया जाता रहेगा।
श्री हरिमंदिर साहिब के एडिशनल मुख्य ग्रंथी ज्ञानी जगतार ¨सह ने कहा कि एसजीपीसी सिखों की वह संस्था है जिस ने सिख कौम को संगठित करने के लिए विशेष भूमिका निभाई है। एसजीपीसी के मुख्य सचिव डा. रूप ¨सह ने एसजीपीसी के इतिहास की जानकारी दी । उन्होंने बताया कि एसजीपीसी में आज 25 हजार के करीब कर्मचारी काम कर रहे हैं। इस अवसर पर एसजीपीसी के चार कर्मचारियों पूर्व उप सचिव गुरबचन ¨सह चांद, श्री हरिमंदिर साहिब के पूर्व मैनेजर दयाल ¨सह, धर्म प्रचार कमेटी के पूर्व सेवादार ज्ञानी सरवण ¨सह और सोहन लाल को सम्मानित किया गया। इस से पहले श्री हरिमंदिर साहिब के हजूरी रागी भाई कुलदीप ¨सह ने गुरबाणी कीर्तन किया और भाई सुलतान ¨सह की ओर से अरदास की गई। जबकि हुकमनामा ¨सह साहिब ज्ञानी जगतार ¨सह की ओर से लिया गया।