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कवि दरबार सम्मेलन में चला रचनाओं का दौर

खालसा कॉलेज आकर मुझे अपने कॉलेज के दिन याद आ गए। जब हम यहां अजीम शायर को सुनने के लिए आते थे।

By JagranEdited By: Published: Sat, 21 Sep 2019 06:03 PM (IST)Updated: Sat, 21 Sep 2019 06:03 PM (IST)
कवि दरबार सम्मेलन में चला रचनाओं का दौर
कवि दरबार सम्मेलन में चला रचनाओं का दौर

जागरण संवाददाता, अमृतसर : खालसा कॉलेज आकर मुझे अपने कॉलेज के दिन याद आ गए। जब हम यहां अजीम शायर को सुनने के लिए आते थे। विद्यार्थी आज हमें सुनने आए हैं। उम्मीद है कि यह हमारा इतिहास दोहराएंगे। हमें अपनी यादों में संजो कर रखेंगे। कॉलेज स्मृति सृजित करने की भूमि होती है। मैं कॉलेज में नए कवियों को सुनने के लिए आता हूं। यदि मैं शायर न होता तो मैं एक अच्छा श्रोता बनता। यह शब्द पंजाब कला परिषद के चेयरपर्सन डॉ. सुरजीत पातर ने खालसा कॉलेज के सेमिनार हाल में आयोजित पंजाबी कवि दरबार सम्मेलन में मुख्य मेहमान के रूप में संबोधन करते हुए व्यक्त किए।

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यह कवि दरबार कॉलेज में पंजाब कला परिषद चंडीगढ़ व एकम साहित्यिक मंच अमृतसर के सहयोग से करवाया गया था। इसकी अध्यक्षता कॉलेज के प्रिसिपल डॉ. महल सिंह ने की। पंजाब भर से 20 के करीब पंजाबी के कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं की वाह वाह बटोरी।

प्रि. डॉ. महल सिंह ने कहा कि कॉलेज पंजाबी भाषा, साहित्य व सभ्याचार की तरक्की व बेहतरी के लिए हमेशा तत्पर रहा है। पंजाबी के बडे़ साहित्यकार कॉलेज से संबंधित रहे हैं। बीते समय में बड़े-बड़े साहित्यिक समारोह यहां होते रहे हैं। कॉलेज हर संस्था को अपने परिसर में सजीदा किस्म के समारोह करवाने के लिए खुला आमंत्रण दिया है।

पंजाब कला परिषद के महासचिव डॉ. लखविदर जौहल ने कहा कि ऐसे कवि दरबार सम्मेलन साहित्यिक पृष्ठों में ताजगी लाते हैं। विद्यार्थियों के जीवन में साहित्य सकारात्मक भूमिका निभाता है। साहित्य के नए दौर को समझने के लिए ऐसे कवि दरबारों का बहुत महत्वपूर्ण रोल होता है। पंजाबी के सिरमौर कवि जसवंत जफर, डॉ. रविदर, दर्शन बुटटर, भगवान ढिल्लों, हरमीत विद्यार्थी, गुरतेज कोहारवाला, सुहिदरबीर, सुरिदरप्रीत घनिया, पाल कौर, रमन संधू, नरिदर पाल कंग, विशाल, प्रवासी कवि, करनैल शेरगिल, नवरूप कौर, अजीत पाल मोगा, डॉ. खुशवीन, अजायब सिंह हुंदल व कई अन्य स्थानीय कवियों ने अपना कलाम पेश किया।

एकम साहित्यिक मंच अमृतसर की प्रधान व अमृतसर की प्रसिद्ध शायरा अरतिदर संधू ने कहा कि आज पंजाबी के इतने समर्थ कवियों को कॉलेज में सुन कर मान महसूस करते हैं। ऐसे शानदार अवसर पैदा करने के लिए पंजाब कला परिषद के धन्यवादी हैं। मंच संचालन की भूमिका मेजबान पंजाबी विभाग के मुखी डॉ. आत्म सिंह रंधावा ने निभाई।समारोह को संपन्न करने में विभाग के अध्यापकों डॉ. परमिदर सिंह, डॉ. भुपिदर सिंह, डॉ. हीरा सिंह, डॉ. कुलदीप सिंह, डॉ. मिन्नी सलवान, डॉ. हरजीत कौर के साथ-साथ समूह स्टाफ सदस्यों ने बड़ी भूमिका निभाई। इस मौके पर कॉलेज रजिस्ट्रार प्रो. दविदर सिंह सहित विभिन्न विभागों के अध्यापक, विद्यार्थी, शहर की साहित्य कला व अकादमी जगत की प्रसिद्ध शख्सियत मौजूद थे। 


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