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पौष्टिकता में मिलावट की जांच पर अब भी लॉकडाउन

। कोरोना से बंद हुई दुकानें सरकारी गाइडलाइन के अनुसार खुल गई हैं। खरीददारी का क्रम जारी है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Jun 2020 12:04 AM (IST)Updated: Fri, 26 Jun 2020 12:04 AM (IST)
पौष्टिकता में मिलावट की जांच पर अब भी लॉकडाउन
पौष्टिकता में मिलावट की जांच पर अब भी लॉकडाउन

नितिन धीमान, अमृतसर

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कोरोना से बंद हुई दुकानें सरकारी गाइडलाइन के अनुसार खुल गई हैं। खरीददारी का क्रम जारी है। फूड ऑपरेटर्स भी दुकानें सजाकर बैठे हैं। इन सबके बीच स्वास्थ्य विभाग द्वारा खाद्य वस्तुओं की सैंपलिग का क्रम अब तक शुरू नहीं हो पाया। कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग के फूड सेफ्टी विग द्वारा महज छह खाद्य वस्तुओं के सैंपल ही लिए गए। 31 मई तक लॉकडाउन जारी रहा। इस दौरान तो सैंपलिग का क्रम ठप रहा। एक जून से दुकानें खुल गईं, लेकिन विभाग की एक छोटी-सी औपचारिकता पूरी न होने की वजह से जिला स्वास्थ्य अधिकारी व उनकी टीम खाद्य वस्तुओं की सैंपलिग नहीं कर पा रही। जाहिर-सी बात है कि फूड ऑपरेटर्स को किसी का डर भी नहीं रहा।

दरअसल, स्वास्थ्य विभाग ने 12 जून को डॉ. अमनदीप सिंह को जिला स्वास्थ्य अधिकारी के रूप में तैनाती दी। डॉ. अमनदीप इससे पूर्व अमृतसर में ही डिप्टी मेडिकल कमिश्नर के पद पर विराजमान थे। नियुक्ति के 14 दिन बीतने के बाद भी उन्हें डेजिग्नेटिक ऑफिसर नहीं बनाया गया। डेजिग्नेटिक ऑफिसर से अभिप्राय यह है कि जिला स्वास्थ्य अधिकारी को स्वास्थ्य विभाग द्वारा डेजिग्नेटिक ऑफिसर का एक पत्र, अकाउंट व पासवर्ड जारी किया जाता है। यह अकाउंट चंडीगढ़ से जेनरेट होता है। अकाउंट बनने के बाद अधिकारी सैंपलिग का क्रम शुरू कर सकते हैं। इसके बिना नहीं।

सभी को गाइडलाइन का पालन करने को कहा है: डॉ. अमनदीप

डॉ. अमनदीप के अनुसार अब तक वह सैंपलिग नहीं कर पाए हैं, लेकिन फूड ऑपरेटर्स से लगातार बैठकें कर उन्हें फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट की गाइडलाइन के अनुसार काम करने की नसीहत दे रहे हैं। मीट शॉप व मिठाई शॉप के मालिकों से बैठकें हो चुकी हैं। उन्हें हर गाइडलाइन का पालन करने को कहा गया है। वैसे सोमवार को विभाग की ओर से लेटर जारी कर दी जाएगी। इसके बाद वह व टीम फील्ड में उतरकर खाद्य वस्तुओं की सैंपलिग करेंगे।

पूर्व डीएचओ भरे थे छह सैंपल, रिपोर्ट नहीं आई

पूर्व जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. महेश प्रभाकर ने कोरोना काल में छह सैंपल भरे थे। अफसोस यह कि पांच जून को भरे गए इन सैंपलों की रिपोर्ट अब तक लेबोरेट्री से प्राप्त नहीं हुई। रिपोर्ट न आने का दुष्परिणाम यह है कि जिन खाद्य वस्तुओं के सैंपल भरे गए थे, वे बाजार में बिक चुकी हैं। यदि सैंपल रिपोर्ट में ये खाद्य पदार्थ फेल साबित होते हैं तो यह उन लोगों की सेहत के लिए कितना खतरनाक होगा जिन्होंने इनका सेवन किया।


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