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    अमृतसर की 'पहल' योजना ने बदली महिलाओं की तकदीर, 20 हजार स्कूल यूनिफॉर्म सिलकर कमाए लाखों

    Updated: Wed, 12 Nov 2025 06:20 PM (IST)

    अमृतसर जिले की 'पहल' परियोजना ने ग्रामीण महिलाओं को सेल्फ हेल्प ग्रुप से जोड़कर समृद्धि का मार्ग दिखाया है। इस प्रोजेक्ट के तहत महिलाओं ने 20 हजार स्कूली वर्दियां बनाईं, जिससे उन्हें रोजगार मिला। नीति आयोग के सम्मेलन में इस पहल को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया। इस परियोजना से 150 से अधिक महिलाओं को रोजगार मिला और उनके कौशल का विकास हुआ।

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    अमृतसर के ब्लाक हर्षा छीना में सेंटर में सिलाई करती हुईं महिलाएं (फोटो: जागरण)

    हरदीप रंधावा, अमृतसर। गरीबी उन्मूलन और महिला सशक्तीकरण की दिशा में अमृतसर जिले की पहल को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में नीति आयोग की ओर से आयोजित सर्वोच्च अभ्यास सम्मेलन में अमृतसर के ‘पहल प्रोजेक्ट’ को देशभर के प्रोजेक्ट्स में सराहना मिली।

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    इस सम्मेलन में जिले की एडीसी (ग्रामीण विकास) परमजीत कौर ने हिस्सा लिया और बताया कि जिले के हर्षा छीना और अजनाला ब्लाक में चल रहा यह प्रोजेक्ट ‘एस्पिरेशनल ब्लाक्स प्रोग्राम (एबीपी)’ के तहत चलाया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के जरिए ग्रामीण महिलाओं को सेल्फ हेल्प ग्रुप (एसएचजी) से जोड़कर रोजगार और आत्मनिर्भरता का रास्ता दिखाया गया है।

    पहल प्रोजेक्ट के तहत महिलाओं को स्कूली वर्दी सिलने का काम दिया गया। साल 2023-24 में 10 हजार वर्दियां, जबकि 2024-25 में 20 हजार वर्दियां तैयार की गईं। शिक्षा विभाग ने इन वर्दियों को 600 रुपये प्रति सेट की दर से खरीदकर स्कूलों को उपलब्ध करवाया। इससे न केवल स्कूलों की जरूरत पूरी हुई, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को स्थायी आमदनी का जरिया भी मिला।

    वर्ष 2022 में जिला संगरूर में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट को अमृतसर में विस्तार दिया गया। शुरुआत में हर्षा छीना ब्लाक की महिलाओं को स्टिचिंग, इंटरलाकिंग, काज-बटन, इलास्टिक और कटिंग मशीनें सरकारी सहायता से दी गईं। महिलाओं ने आत्मनिर्भर बनकर अब अपनी आजीविका मजबूत कर ली है।

    ग्रामीण इलाकों की 20 से अधिक पंचायतों की महिलाओं को पहल प्रोजेक्ट से जोड़ा गया। अब तक 150 से अधिक महिलाएं वर्दी बनाने के कार्य से जुड़ चुकी हैं। महिलाओं को रूरल सेल्फ एंप्लायड ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट (आरएसईटीआइ) के जरिए 30 दिन का प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि वे हुनर में निखार लाकर आत्मनिर्भर बन सकें।

    अमृतसर की एस्पिरेशनल ब्लाक फेलो मेहमीत ने बताया कि नीति आयोग के मिशन डायरेक्टर आइएएस रोहित कुमार और एडिशनल डायरेक्टर आनंद शेखर ने उन्हें सम्मानित किया। सम्मेलन में देशभर से आए प्रोजेक्ट्स में शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि से जुड़े माडल शामिल थे। हरियाणा के भिवानी जिले के ग्रे वाटर प्यूरीफिकेशन माडल को देखकर अमृतसर प्रशासन ने इसे भी अपनाने की योजना बनाई है।

    पहल प्रोजेक्ट का असर
    - रोजगार सृजन : ग्रामीण इलाकों की 150 से अधिक महिलाओं को स्थायी रोजगार मिला।
    - आर्थिक आजादी : महिलाओं को अपनी आय का स्रोत मिला, परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार आया।
    - कौशल विकास : आरएसईटीआइ के माध्यम से 30 दिनों की ट्रेनिंग ने सिलाई-कढ़ाई का पेशेवर हुनर सिखाया।
    - शिक्षा में सहयोग : स्थानीय स्तर पर 20 हजार स्कूली वर्दियां तैयार होने से शिक्षा विभाग को बड़ी राहत मिली।
    - स्वावलंबन की मिसाल : सरकारी सहायता से शुरू हुआ प्रोजेक्ट अब ग्रामीण महिलाओं के आत्मनिर्भरता माडल के रूप में सामने आया है।