अमृतसर के प्रसिद्ध भैरों मंदिर में अब जा सकेंगी महिलाएं, प्रवेश पर लगी राेक हटी
अमृतसर के 350 साल पुराने भैरों मंदिर में अब महिलाएं भी दर्शन आैर पूजा अर्चना कर सकेंगी। इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगा प्रतिंबध हटा दिया गया है।
अमृतसर, [नितिन धीमान]। अमृतसर स्थित करीब 350 साल पुराने भैरो नाथ मंदिर में अब महिलाएं भी प्रवेश कर सकेंगी। मंदिर के प्रवेश द्वार पर लगाया गया वह नोटिस फाड़ दिया गया है, जिस पर महिलाओं का प्रवेश वर्जित होने की बात लिखी गई थी। पूर्व स्वास्थ्य मंत्री प्रो. लक्ष्मीकांता चावला की ओर से आपत्ति उठाने पर मंदिर के नाथ (प्रमुख) ने तत्काल दशकों से चली आ रही इस कुरीति का अंत कर दिया। इसके बाद महिलाओं ने भैरो बाबा के दर्शन भी किए।
अमृतसर में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री लक्ष्मीकांता चावला व मंदिर के नाथ के प्रयास से खत्म हुई रूढि़वादी परंपरा
दरअसल, सोमवार को प्रो. लक्ष्मीकांता चावला गोलबाग के ठीक सामने नाथों के डेरे में स्थित भैरो नाथ मंदिर पहुंचीं। वि मंदिर में प्रवेश कर रही थीं कि उनकी नजर दीवार पर चिपके एक नोटिस पर पड़ी। इस पर महिलाओं के अंदर न आने की हिदायत लिखी गई थी। प्रो. चावला ने मंदिर के नाथ योगी जी से पूछा कि महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी क्यों लगाई गई है। शहर के किसी भैरो नाथ मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध नहीं है, तो फिर इस मंदिर में महिलाओं के साथ ऐसा भेदभावपूर्ण व्यवहार क्यों हो रहा है।
मंदिर के प्रमुख ने फाड़ा नोटिस, कहा-अब प्रवेश कर सकेंगी महिलाएं, महिलाओं को रोकना ठीक नहीं
यह कहकर प्रो. चावला ने बाहर से ही भैरो मंदिर में माथा टेका और जाने लगीं। इस पर मंदिर के नाथ ने कहा कि उन्हें यहां आए डेढ़ वर्ष ही हुआ है। यह नोटिस वर्षों से यहां लगा है। उन्हें नहीं मालूम कि इसे किसने लगाया। मैं इसे हटा देता हूं। इसके बाद नाथ जी ने नोटिस को खुद फाड़ कर फेंक दिया। उन्होंने कहा, 'बहनजी! आपने मुझे बता दिया, वरना यह नोटिस यहां लगा रहता और महिलाएं मंदिर में माथा टेकने से वंचित रह जातीं।'
प्रो. चावला ने कहा कि महाराष्ट्र के शिंगणापुर स्थित शनि मंदिर में लंबे संघर्ष के बाद महिलाओं को प्रवेश की अनुमति मिली थी। देश के कई ऐसे मंदिर हैं, जहां महिलाएं नहीं जा सकतीं। मैं स्वास्थ्य मंत्री के रूप में हिमाचल के बाबाबालक नाथ मंदिर में माथा टेकने गई थीं, पर वहां पुजारी ने यह कहकर अंदर जाने से रोका कि आप महिला हैं। इस पर उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री और गर्वनर को भी लिखा था। ऐसे ही कुरुक्षेत्र के कार्तिकेय भगवान के मंदिर में भी हुआ, लेकिन वहां प्रो. चावला पूजा करके ही मानीं। बाद में मुख्यमंत्री व महिला आयोग को इसकी जानकारी दी।
इससे पहले प्रो. चावला ने करीब तीन माह के संघर्ष के बाद अमृतसर के दुग्र्याणा मंदिर स्थित शनि मंदिर के बाद महिलाओं के प्रवेश वर्जित होने से संबधित सूचना हटवाई थी। उन्होंने बताया कि भैरो नाथ मंदिर की गद्दी के पहले महंत नया नाथ थे। यह मंदिर करीब 350 साल पुराना है। उन्होंने कहा, 'सभ्य समाज में आज भी रूढि़वादी सोच हावी है। मुझे आश्चर्य होता है कि मंदिर में माथा टेकने के लिए भी महिलाओं को आज्ञा लेनी पड़ती है। इस प्रवृत्ति को बदलने के लिए महिलाओं को आगे आना होगा ।'
आज आजादी मिल गई
इस सारे घटनाक्रम के बाद प्रो. चावला ने भैरों मंदिर में प्रवेश किया और माथा टेका। उनकी देखादेखी में मंदिर के बाहर खड़ी महिलाएं भी अंदर दाखिल हुईं। करीब 75 वर्षीय महिला दयावंती ने कहा, 'मेरी सारी उम्र बीत गई है, पर मैं यहां कभी माथा टेक नहीं पाई। बाहर से ही भैंरो बाबा के दर्शन कर चली जाती थी। आज लगता है कि मुझे आजादी मिल गई।'
महिलाएं कर सकती हैं पूजा-पाठ: नाथ योगी
नाथ योगी ने कहा कि इस ऐतिहासिक मंदिर में अब महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध नहीं रहेगा। वैसे भैरो जी काली माता के पुत्र हैं। काली माता के पुत्र के मंदिर में महिलाओं को आने से रोकना ठीक नहीं। अब महिलाएं रीति-रिवाज के अनुसार यहां पूजा-पाठ कर सकती हैं।