सिविल अस्पताल पहुंची कायाकल्प की टीम, खामियां हुई उजागर
। किसी समय पंजाब में नंबर वन का खिताब पाने वाले जलियांवाला बाग मेमोरियल सिविल अस्पताल की हालत अब दूर के ढोल सुहाने जैसी हो गई है।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
किसी समय पंजाब में नंबर वन का खिताब पाने वाले जलियांवाला बाग मेमोरियल सिविल अस्पताल की हालत अब दूर के ढोल सुहाने जैसी हो गई है। बुधवार को सिविल अस्पताल पहुंची कायाकल्प प्रोजेक्ट की टीम ने चप्पे-चप्पे का निरीक्षण किया और कई खामियां नोट कीं। दरअसल, चार वर्ष पूर्व कायाकल्प प्रोजेक्ट रूपी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर रहने वाला सिविल अस्पताल अब कई खामियों का शिकार हो चला है।
कायाकल्प प्रोजेक्ट की टीम में शामिल गुरदासपुर के डिप्टी मेडिकल कमिश्नर मनिदर सिंह ने बुधवार को सिविल अस्पताल का दौरा कर यहां मरीजों मिलने वाली सुविधाओं का निरीक्षण किया और खामियों के संदर्भ में अस्पताल प्रशासन को बता दिया। अधिकारी ने अस्पताल प्रशासन को इन खामियों को दूर करने को भी कहा, ताकि वह इस प्रतियोगिता में उच्च स्थान प्राप्त कर सके। कई दरवाजों की हालत खस्ता
टीम ने एक्सरे मशीन पर जमी धूल का नोटिस लिया। अस्पताल के कई दरवाजों की हालत खस्ता थी। ओपीडी में कई डॉक्टरों की टेबल पर कुछ दवा कंपनियों के विज्ञापन रूपी पोस्टर रखे हुए थे। यहां तक कि कई दरवाजों पर भी दवा कंपनियों के पोस्टर चिपके हुए थे। कुछ स्टाफ सदस्यों ने एप्रेन नहीं पहना था। टीम ने साफ कहा कि एप्रेन के साथ-साथ नेम प्लेट भी लगाएं। कमरों में रखीं अलमारियों के पीछे सफाई की जाए।
क्योंकि करीब एक महीने बाद आने वाली कायाकल्प की टीम इन डस्टबीन ठीक तरह से रखे होने चाहिए, बाथरूम में सफाई हो। दवा एक्सपायर हो तो क्या करेंगे?, स्टाफ मौन
डॉ. मनिदर ने स्टाफ से पूछा यदि कोई दवा एक्सपायर हो जाए तो फिर आप क्या करोगे? इस सवाल का स्टाफ जवाब नहीं दे पाया। डॉ. मनिदर ने कहा कि यदि दवा एक्सपायर हो जाए तो इसकी जानकारी सर्वप्रथम अस्पताल के सीनियर मेडिकल अधिकारी को देनी चाहिए। यह दवा मरीज तक न पहुंचे, यह सुनिश्चित करना आपकी जिम्मेदारी है। ऐसे कैसे होगा कायाकल्प?
सिविल अस्पताल में डॉक्टर के अभाव की वजह से डायलिसिस यूनिट बंद है। ठीक इसी प्रकार रेडियोलॉजी न होने की वजह से अल्ट्रासाउंड यूनिट बंद पड़ा है। ये दोनों महत्वपूर्ण विभाग बंद होने की वजह से मरीजों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। कायाकल्प की टीम ने इन सभी खामियों की रिपोर्ट तैयार कर एसएमओ डॉ. अरुण शर्मा को थमा दी है। साथ ही साफ किया है कि टीम अगले माह फिर से अस्पताल का निरीक्षण करेगी। जो खामियां सामने आई हैं, वह दुरुस्त करवा ली जाएं। यदि ऐसा होता है तो सिविल अस्पताल नंबर वन की पोजीशन पर आ सकता है। सिविल अस्पताल के एसएमओ डॉ. अरुण ने कहा कि टीम द्वारा बताई गई तमाम खामियों को दूर करने की हर संभव कोशिश की जाएगी।