किला गोबिंदगढ़ ने सूफियाने समंदर में लगाई डुबकी
अमृतसर पंजाब सरकार के विभाग टूरिजम एंड कल्चर अफेयर की ओर से किला गोबिंदगढ़ में आयोजित करवाए गए तीन दिवसीय सूफी संगीत उत्सव के दूसरे दिन सोमवार को सूफी गायक ममता जोशी व जसपिंदर नरूला ने अपनी परफामेंस दी।
-तीन दिवसीय सूफी संगीत उत्सव के दूसरे दिन ममता जोशी और जसपिंदर नरूला ने दशकों को झूमने पर किया मजबूर...
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जागरण संवाददाता, अमृतसर
पंजाब सरकार के विभाग टूरिजम एंड कल्चर अफेयर की ओर से किला गोबिंदगढ़ में आयोजित करवाए गए तीन दिवसीय सूफी संगीत उत्सव के दूसरे दिन सोमवार को सूफी गायक ममता जोशी व जसपिंदर नरूला ने अपनी परफामेंस दी। जैसे ही उक्त
गायकों ने अपना संगीत पेश किया तो सुनने के लिए सैंकड़ो लोग झूमने लग
पडे़। पहले ममता जोशी ने अपनी परफामेंस पेश की। करीब एक घटे तक समय बाधे रखने के बाद जसपिंदर नरूला ने अपने गीतों पर सभी दर्शकों को थिरकने पर मजबूर कर दिया। दोनों ही गायकों ने शुरुआत ईश्वर की वंदना से की और इसके बाद एक से एक बढ़ कर अपने गीत पेश किए। जसपिंदर नरूला ने
जुगनी-जुगनी, पिया लागी लगन, नंबर वन पंजाबी आदि कई गीत पेश किए।
वहीं इससे पहले परफामेंस देते हुए ममता जोशी ने अपनी गायकी पेश की और हर किसी को झिझोड़ कर
रख दिया। उन्होंने असा इश्क नामाज, एक तारा, कमली दे साइया, माही, चरखा नौ लख दा, तेरे नैना व कई
अन्य गीत पेश किए। अपनी लंबी हेक के साथ ममता जोशी ने सभी को भाव-विभोर कर दिया। वहीं दूसरे दिन एडीसीपी जगजीत सिंह वालिया व कई अन्य पुलिस अधिकारी मौजूद रहे। दूसरे दिन भी सैकड़ो की संख्या में टूरिस्ट भी इस सूफी उत्सव का आनंद मानने के लिए पहुंचे थे। वहीं टूरिज्म विभाग के अधिकारियों ने बताया
कि सूफी संगीत उत्सव करवाने का मुख्य मकसद टूरिस्टों को ज्यादा से ज्यादा प्रेरित करना है ताकि वह अमृतसर में आए और जहा पर घूमें-फिरें। इससे न केवल अमृतसर में व्यापार की वृद्वि होगी। बल्कि युवा पीढ़ी को रोजगार भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि टूरिज्म विभाग की ओर से भविष्य में भी इस तरह के प्रयास लगातार जारी रखें जाएंगे। अब 12 फरवरी मंगलवार को नूरा सिस्टर व उस्ताद पूर्ण सिंह वडाली और लखविंदर वडाली की ओर से परफामेंस दी जाएगी।
गायकी का प्रयोग सही ढंग से करने का दिया संदेश
किला गोबिंद गढ़ में पहुंच कर दोनों गायकों ममता जोशी व जसपिंदर नरूला ने कहा कि कुछ लोग अपने फायदे के लिए गायकी का प्रयोग बहुत ही गलत ढंग से कर रहे हैं। जिससे समाज में बहुत ही गलत मैसेज जा रहा है। इसलिए यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि हम जो भी गीत पेश करें। उससे समाज को एक नई दिशा मिले।