अच्छे संगीत को ही स्वीकार करें श्रोता : प्रसुन जोशी
जागरण संवाददाता, अमृतसर प्रसुन जोशी ने कहा कि अगर श्रोता अच्छे संगीत को स्वीकार करें तो बे
जागरण संवाददाता, अमृतसर
प्रसुन जोशी ने कहा कि अगर श्रोता अच्छे संगीत को स्वीकार करें तो बेतुका संगीत का अस्तित्व अपने आप खत्म हो जाएगा और इससे बहुत बड़ा बदलाव भी आएगा। ¨हदी कवि, लेखक, स्क्रिप्ट राइटर और इंडियन सिनेमा के गीतकार जोशी ने यह बात शनिवार को यहां पार्टीशियन म्यूजियम दौरे के दौरान पत्रकारों के साथ बातचीत में कही।
इस मौके पर उन्होंने अपने प्रशंसकों को अपनी कविताएं सुनाई और अपनी ¨जदगी से संबंधित जुड़े महत्वपूर्ण यादों को सांझा किया। उत्तराखंड के अलमोड़ा में जन्मे जोशी ने बताया कि उनके पिता पीसीएस अधिकारी और माता क्लासिकल गायिका रहीं। क्योंकि उनके परिजनों की संगीत में दिलचस्पी थी लेकिन उन्हें गीत गाना नहीं बल्कि लिखना पसंद था। पांच किताबें लिख चुके प्रसुन जोशी ने प्रसिद्ध कंपनियों के इतिहासकारों में लिखे उनके पंच को भी उन्हें अच्छी प्रसिद्धी दिलाई है।
राष्ट्रीय फिल्म फेयर पुरुस्कार सहित पदमश्री पुरुस्कारों से सम्मानित हो चुके जोशी ने लज्जा, रंग दे बसंती, तारे जमीन पर, दिल्ली-6, आकर्षण,
लंदन ड्रीम्स ब्लैक, नीरजा, हम तुम, गजनी फनाह, भाग मिलखा भाग और द क्वीज आफ झांसी आदि फिल्मों के लिए गीत लिखे और इनसे उन्हें शोहरत भी काफी मिली।
उन्होंने टाउन हाल स्थित पार्टीशियन म्यूजियम की सीईओ मलिका आहलूवालिया के साथ इसकी गैलरियों का दौरा किया। उन्हें बताया गया कि आर्ट्स एंड कल्चर हेरिटेज ट्रस्ट की तरफ निर्मित किए गए इस अजायब घर में दर्शकों को देश के बंटवारे से प्रभावित हुए लोगों की आप
बीती और उनकी निशानियों से रू-ब-रू करवाए जाने के साथ पंजाब की आजादी के संघर्ष के इतिहास बारे भी बताया जाता है।