सिविल अस्पताल के डॉक्टरों की पदोन्नति से बढ़ेगी मरीजों की पीड़ा
सिविल अस्पताल में एक बार फिर डॉक्टरों की कमी आड़े आएगी।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : सिविल अस्पताल में एक बार फिर डॉक्टरों की कमी आड़े आएगी। इस अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर के रूप में कार्यरत कई डॉक्टरों को सहायक प्रोफेसर के रूप में पदोन्नत किया गया है। ऐसे में ये डॉक्टर अब सरकारी मेडिकल कॉलेज अमृतसर की ओर रुख करने जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने इन डॉक्टरों के रिक्त हुए पदों पर डॉक्टरों की नियुक्ति अभी तक नहीं की है।
दरअसल, सिविल अस्पताल में कार्यरत रेडियोलॉजिस्ट डॉ. सुमन भगत को सहायक प्रोफेसर बना दिया है। डॉ. सुमन एकमात्र रेडियोलॉजिस्ट हैं जो सिविल अस्पताल में गर्भवती महिलाओं सहित आम मरीजों का अल्ट्रासाउंड करती थीं। उनके मेडिकल कॉलेज जाने से अल्ट्रासाउंड सेवा बंद हो जाएगी। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को निजी डायग्नोस्टिक सेंटर में जाकर 800 से 1000 रुपये खर्च कर अल्ट्रासाउंड करवाना होगा।
इसी प्रकार सिविल अस्पताल में कार्यरत मेडिकल स्पेशलिस्ट डॉक्टर इंद्रजीत सिंह को भी सहायक प्रोफेसर बना दिया गया है। डॉ. इंद्रजीत सिंह सिविल अस्पताल में डायलिसिस यूनिट का कामकाज संभाल रहे थे। यह यूनिट वर्ष 2018-19 में आठ माह तक बंद रहा था। डॉ. इंद्रजीत सिंह को यहां भेजकर स्वास्थ्य विभाग ने डायलिसिस यूनिट तो चलवा दिया, लेकिन अब उन्हें सहायक प्रोफेसर के रूप में पदोन्नति देकर यहां से भेजा जा रहा है। डायलिसिस यूनिट में प्रतिमाह 90 मरीजों का डायलिसिस किया जाता है। डॉ. इंद्रजीत के आने से यह सेवा भी ठप होकर रह जाएगी। हालांकि सिविल अस्पताल में मेडिसिन डॉक्टर कुणाल बांसल भी तैनात हैं, लेकिन उन्हें डायलिसिस की ट्रेनिग नहीं मिल पाई, इसलिए वे डायलिसिस यूनिट का संचालन नहीं कर सकते।
इसके अलावा सर्जरी विभाग के डॉ. एनपी सिंह और डॉ. हरसिमरत सिंह को भी सहायक प्रोफेसर बनाया गया है। एनेस्थीसिया डॉ. प्रीत का तबादला बरनाला सिविल अस्पताल किया गया है। सिविल अस्पताल अमृतसर में अब सिर्फ दो एनेस्थीसिया डॉक्टर शेष हैं। यहां प्रतिदिन दस से बारह मरीजों के ऑपरेशन किए जाते हैं, इस अनुपात में कम से कम चार एनेस्थीसिया डॉक्टरों की उपलब्धता जरूरी है।
मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सीट बढ़ाई
वास्तविक स्थिति यह है कि पंजाब सरकार ने सरकारी मेडिकल कॉलेज अमृतसर का स्टाफ पूरा करने के मकसद से सिविल अस्पताल के डॉक्टरों को सहायक प्रोफेसर बनाकर भेजा है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया ने मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की 200 सीटों को बढ़ाकर 250 कर दिया है। 50 अतिरिक्त सीटों पर एमबीबीएस छात्रों को शिक्षा देने के लिए अतिरिक्त स्टाफ भी चाहिए। यदि पंजाब सरकार स्टाफ की व्यवस्था नहीं करती तो मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया बढ़ाई गई 50 सीटें वापस भी ले सकती है। इस बाबत कौंसिल ने चेतावनी भी जारी की थी। यही वजह है कि सरकार ने आनन-फानन में सिविल अस्पताल के डॉक्टरों को सहायक प्रोफेसर के रूप में पदोन्नत कर मेडिकल कॉलेज की ओर रवाना कर दिया है। --कोट्स-
डॉक्टरों की पदोन्नति के बाद कामकाज प्रभावित होना लाजमी है। वह स्वास्थ्य विभाग को लिख रहे हैं कि यहां स्टाफ की व्यवस्था की जाए।
डॉ. राजिदर अरोड़ा, सिविल अस्पताल के सीनियर मेडिकल ऑफिसर।